Bermuda Triangle: बरमूडा ट्रायंगल में कैसे गायब हो गए 50 विमान-जहाज? 80 साल बाद खुला राज, सामने आई वजह

4 hours ago

Why accidents happen in Bermuda Triangle: आज का विज्ञान जितना धरती के ऊपर अंतरिक्ष के बारे में जान चुका है, उसके मुकाबले धरती के समुद्र के बारे में जानकारी कम है. जबकि धरती के करीब 71 फीसदी हिस्से में फैला समुद्र हमारा सबसे विशाल और सबसे रहस्यमयी क्षेत्र है.  आज हम अटलांटिक महसागर के उस छोटे से हिस्से के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिसे लोगों ने शैतानी त्रिकोण कहना शुरू कर दिया. इस क्षेत्र को लेकर पिछली सदी तक इतना खौफ था कि अमेरिका जैसे सुपरपावर देश भी इस इलाके में अपने एडवांस समुद्री जहाज और विमान भेजने से कतराने लगे थे. ये जगह है बरमूडा ट्रायंगल. आपने भी ये नाम जरूर सुना होगा. अब इसके बारे में अब एक नई रिपोर्ट ये आई है, जिसमें बताया गया है कि बरमूडा ट्रायंगल की मिस्ट्री सॉल्व कर ली गई है.

कहां गायब हो गए विमान-जहाज?

बरमूडा ट्रायंगल अटलांटिक महासागर का दक्षिणी हिस्सा है. अगर नक्शे के हिसाब से देखें, तो उत्तरी अमेरिका के दक्षिणी पूर्वी हिस्से में छोटे छोटे द्वीपों से भरा हुआ इलाका है. इस इलाके में 50 से ज्यादा समुद्री जहाज और दर्जनों प्लेन कहां गायब हो गए कि उनका नाम ओ निशान तक नहीं मिला? ये सवाल कई सदियों तक नामचीन समुद्री वैज्ञानिकों और भूगर्भशास्त्रियों को परेशान करता रहा है. जहाजों के गायब होने की गुत्थी जितनी उलझती गई, इस इलाके को लेकर खौफ बढ़ता गया. 

कहां पर है बरमूडा ट्रायंगल?

जिस क्षेत्र में ये हादसे हुए, वैज्ञानिकों ने उस समुद्र क्षेत्र को एक खास नाम दे दिया, बरमूडा ट्रायंगल. यह ट्रायंगल तीन जगहों फ्लोरिडा, बरमूडा और प्यूर्टो रिको को मिलाकर बना है. इसका क्षेत्रफल काफी लंबा चौड़ा है. इसकी सीमा को लेकर वैज्ञानिकों में एक राय नहीं है, लेकिन इस ट्रायंगल के भीतर जो होता रहा है, वो सबको एक जैसा चौंकाता है. 
इसकी शुरुआत होती है 15वीं शताब्दी से. जब 13 सितंबर 1492 को क्रिस्टोफर कोलंबस का जहाज बरमूडा के पास से गुजरा. वह स्पेन के राजा का विशेष दूत था और उसी नाविक ने अमेरिका की खोज की थी. इस खोज यात्रा के दौरान क्रिस्टोफर कोलंबस जब अटलांटिक महासागर के दक्षिणी हिस्से में पहुंचा, तो उसे कुछ ऐसी अजीब चीजें महसूस हुई, जो अब तक की समुद्री यात्रा में नहीं दिखी थीं.

बरमूडा में कोलंबस ने क्या नोट किया?

1- जहाज में लगा चुंबकीय कंपास अचानक दिशा बदलने लगा

2- समुद्र की लहरों के साथ रहस्यमयी रोशनी का दिखाई पड़ना

3- अचानक सतह से उठती 50 फीट तक ऊंची समुद्री लहरें

15वी शताब्दी के आखिर में जब क्रिस्टोफर कोलंबस ने ये अनुभव अपनी डायरी में नोट किए, तब बरमूडा के पास इस समुद्री इलाके को कोई नाम नहीं दिया गया था. लेकिन वहां से निकलने के बाद उसने इस समुद्री इलाके को दैत्याकार जरूर कहा.

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ऐसे ही अनुभवों के बाद इस समुद्री इलाके को पहले अटलांटिक महासागर का कब्रिस्तान और फिर बरमूडा ट्रायंगल जैसा नाम दिया गया. साल 1964 में एक किताब में ‘बरमूडा ट्रायंगल’ का पहली बार जिक्र आया. साल 1964 में आई वो किताब थी, द डेडली बरमूडा ट्रायंगल. ये किताब उन रहस्यमयी हादसों की दस्तावेज थी, जिन्होंने अटलांटिक महासागर के इस हिस्से को बेहद खतरनाक साबित किया था. इसमें एक हादसा तो अमेरिका के फ्लाइट 19 बेड़े का था.

जब ‘बरमूडा ट्रायंगल’ में गायब हुए 5 US बॉम्बर्स!

दूसरे विश्वयुद्ध के साल अमेरिकी नौसेना के 5 हाईटेक बमबर्षक विमान जिस तरह इस समुद्री क्षेत्र में गायब हुए, उससे पूरी दुनिया हैरान गई. सवाल था, कि वो हादसा जहाजों के नेविगेशन सिस्टम खराब होने से हुआ, या अचानक खराब हुए मौसम से, या फिर किसी मानवीय भूल से...?

बरमूडा ट्रायंगल के गहराते रहस्य के साथ, ये तीन ही मूल सवाल थे वैज्ञानिकों के सामने. नेविगेशन सिस्टम में खराबी, अचानक मौसम बिगड़ना और मानवीय भूल, इसकी गुंजाइश आखिर बरमूडा ट्रायंगल में इतनी ज्यादा बढ़ कैसे जाती है...? इसके पीछे वो कौन सी ताकत है? क्या यहां कोई रहस्यमयी चुंबकीय शक्ति काम करती है, या फिर यहां ऊपर वायुमंडल में कोई रहस्यमयी बदलाव होता है? 

1945 से चल रही थी तलाश

इन सवालों के जवाब दुनिया भर के वैज्ञानिक तलाशने की कोशिश कर रहे थे. खासतौर से 1945 के बाद, जब अमेरिका के 5 शक्तिशाली जहाज इस क्षेत्र में गायब हुए. अब जो नई रिपोर्ट आई है, उसमें ऐसा क्या है, जिसमें बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य सुलझाने का दावा किया जा रहा है, समझिए हमारी स्पेशल रिपोर्ट के अगले चैप्टर से.

अटलांटिक महासागर का ये समुद्री हिस्सा डरावना है. इस पर कोई संदेह नहीं. समुद्री हलचल यहां जितनी सामने दिखाई देती है, उससे कहीं ज्यादा अदृश्य होती है. यानी हमें समुद्र के रुख का अंदाजा तक नहीं होता और पलक झपकते ही पूरा दृश्य बदल जाता है.

इसलिए अब तक बरमूडा ट्रैंगिल को रहस्यमयी क्षेत्र माना जाता था. लेकिन अब एक ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक की रिपोर्ट इसे पूरी तरह नेचुरल फिनोमिना, यानी प्रकृतिक घटना बता रही है. 

बरमूडा ट्रायंगल पर नई रिपोर्ट

‘बरमूडा ट्रायंगल कोई रहस्य नहीं. यहां जहाजों के गायब होने की घटनाएं खराब मौसम, इंसानी गलतियों की वजह से होती हैं. ये इलाका बहुत व्यस्त है, इसलिए हादसों की संख्या ज्यादा लगती है.' - ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक कार्ल क्रुजेलनिकी

बरमूडा ट्रायंगल को लेकर ऐसा ही दावा साल 2010 में एक अमेरिकी रिपोर्ट में भी किया गया था. इसमें कहा गया था, कि यहां कोई रहस्ययमी घटना नहीं होती. 

बरमूडा ट्रायंगल पर 2010 की US रिपोर्ट

अमेरिकी रिसर्च संस्था NOAA ने 3 कारण बताए थे

1. गल्फ स्ट्रीम में अचानक मौसम बदलना

2. कैरेबियाई टापुओं का जटिल जाल 

3. चुंबकीय गड़बड़ियां जो कंपास को गुमराह करती हैं

बरमूडा ट्रायंगल में क्यों होते हैं हादसे?

इस रिपोर्ट के मुताबिक 1945 का फ्लाइट-19 हादसा भी खराब मौसम और नेविगेशन की गलतियों से हुआ था, जिसकी वजह से 5 बमवर्षक जहाज गायब हो गए. वैज्ञानिकों के मुताबिक इस ट्रायंगल के ऊपर 170 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार वाली खतरनाक हवाएं चलती हैं. जब भी कोई जहाज इस हवा की चपेट में आ जाता है, तो अपना संतुलन खोने से उनका एक्सीडेंट हो जाता है.

अब इसी थ्योरी को ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने आगे बढ़ाया है. इसमें ये दावा किया जाता है कि बरमूडा ट्रायंगल में किसी भी चीज को खींच लेने की जिस ताकत को रहस्यमयी कहा जाता है, वो दरअसल यहां के वायुमंडल में बादलों की हेक्सागोनल शेप यानी षट्कोणीय आकार है. 

हवा में पैदा हो जाती ब्लास्ट जैसी शक्ति

इसकी वजह से यहां बादल ‘एयर बम’ बनाते हैं यानी कि इस क्षेत्र की हवा में बम ब्लास्ट जैसी शक्ति पैदा होती हैं, जिससे यहां से गुजरने वाले वाहनों को नुकसान होता है.

इस ट्रायंगल में मौसम तेजी से बदलने के पीछे गल्फ स्ट्रीम, जो कि अटलांटिक महासागर में सबसे लंबी गर्म जलधारा है, उसे भी माना जाता है. गर्म और ढंडे पानी की धाराओं के टकराव की वजह से भी मौसम तेजी से बदलता है. कई बार इतनी उथलपुथल होती है, कि समुद्र में 50 फीट ऊंची लहरें उठने लगती है.

मानवीय चूक भी हादसों की बड़ी वजह

इसके साथ एक डर भी हावी होता है नाविकों पर, जब वो इस क्षेत्र से गुजरते हैं. मौसम खराब होते ही या नेविगेशन सिस्टम में हलचल दिखते ही मनोवैज्ञानिक दबाव इतना तेज  हो जाता है कि मानवीय भूल  की संभावनाएं बढ़ जाती है. 

वैज्ञानिक इस डर को भी हादसों के पीछे एक बड़ी वजह मानते हैं. इस  रिपोर्ट से ये साफ है कि बरमूडा ट्रायंगल कोई रहस्यमयी जगह नहीं, यहां समुद्री दैत्यों या एलियंस का अटैक नहीं होता. ना ही यहां हादसे समुद्र में डूबे अटलांटिस शहर की वजह से होती है.

नई रिपोर्ट बरमूडा ट्रायंगल से जुड़े हर रहस्यमयी मिथ को खारिज करती है. मगर ये चेताती भी है, कि ये दुनिया के सबसे खतरनाक समुद्री क्षेत्रों में से एक है. इसलिए यहां से गुजरें, तो बेहद सावधानी बरतते हुए.

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