Earth Day 2025: आज के समय में ग्लोबल वॉर्मिंग, क्लाइमेट चेंज, प्रदूषण और सूख जलाशयों की समस्या काफी बढ़ गई है. प्रदूषण और गंदगी के कारण नई बीमारियों का भी जन्म हो रहा है. ऐसे में हमारी धरती का ध्यान रखना, इसको वर्तमान और भविष्य के लिए संरक्षित करना बेहद जरूरी है. इसी मकसद को ध्यान में रखते हुए हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस (Earth Day 2025) मनाया जाता है. चलिए जानते हैं कि पृथ्वी दिवस को मनाने का आखिर मुख्य मकसद क्या है?
क्यों मनाया जाता है पृथ्वी दिवस?
पृथ्वी दिवस को मनाने का मुख्य मकसद हर पीढ़ी के लोगों को पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं खासतौर पर गंदगी, प्रदूषण और फैलते कचरे के बारे में जागरुक करना है. इसके साथ ही हमारे वातावरण को साफ रखना, पेड़ों की कटाई को रोकना और धरती को हरा-भरा रखने के लिए पेड़-पौधे लगाने को बढ़ावा देना है. इस दिन का मकसद पृथ्वी को संरक्षित करने में अपना अहम योगदान देना भी है.
ये भी पढ़ें- रानी लक्ष्मीबाई की इस आखिरी इच्छा के लिए शहीद हुए थे 345 साधु, प्राणों की दी थी बलि
पृथ्वी दिवस की थीम ( earth day 2025 Theme)
पृथ्वी दिवस मनाने के लिए हर साल एक थीम तैयार की जाती है. इस साल की थीम है 'आवर पावर, आवर अर्थ' (Our Planet, Our Earth). इस थीम का उद्देश्य संगठनों, लोगों और देशों की सरकार को पानी, हवा, जियोथर्मल और टाइडल एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए जागरुक करना है. साथ ही इसका उद्देश्य साल 2030 तक वैश्विक तौर पर साफ बिजली प्रोडक्शन को बढ़ाकर तिगुना करना और क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए जीवाश्म ईधन पर निर्भरता को कम करने के लिए सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा देना है.
पृथ्वी दिवस का इतिहास
बता दें कि 22 अप्रैल साल 1970 में पहली बार पृथ्वी दिवस मनाया गया था. इसकी शुरुआत का पूरा क्रेडिट अमेरिकी राजनेता और पर्यावरण कार्यकर्ता सीनेटर जेलार्ड नेल्सन को जाता है. बाद में उनके साथ इस मुहिम में एक्टिविस्ट डेनिस हायस भी जुड़े. साल 1990 में 141 देशों के 20 करोड़ लोगों ने पृथ्वी दिवस मनाया था. साल 1992 में ब्राजील में आयोजित होने वाली संयुक्त राष्ट्र की (United Nations) की एन्वायरमेंट और डेवलपमेंट कॉन्फ्रेंस की नींव रखी गई थी. इसके बाद से हर साल सैकड़ों लोग पृथ्वी दिवस मनाते हैं.