Last Updated:April 22, 2025, 11:37 IST
Surrogacy Case in High Court: दोनों बच्चों की कस्टडी पति को मिलने के बाद महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि मुझे मां बनना है. पर मैं मेडिकल रूप से अब मां नहीं बन सकती इसलिए सरोगेसी की मंजूरी दी जाए. ...और पढ़ें

सरोगेसी के लिए एक महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जानें अदालत ने दिया क्या फैसला?
हाइलाइट्स
डिवीजन बेंच के सामने महिला ने दलील दी कि उसका गर्भाशय हटा दिया गया है.उसके पिछले विवाह से दो बच्चे उसके पिता की कस्टडी में हैं.उसे फिर से मातृत्व के लिए सरोगेसी का रास्ता अपनाने की अनुमति दी जानी चाहिएमुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को निर्देश दिया कि एक 36 वर्षीय तलाकशुदा मां, जो अब मेडिकल तौर पर बच्चे को जन्म नहीं दे सकती है वह सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. जहां पर एक मामला लंबित है जिसमें अकेली महिलाओं को सरोगेसी की अनुमति देने वाली ऐसी ही याचिका लंबित है.
हाईकोर्ट ने कहा कि महिला द्वारा उठाया गया मुद्दा, जिसमें अकेली महिला को सरोगेसी का विकल्प चुनने की अनुमति देने की बात की गई है. यह एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि कानून में इस तरह के प्रावधान का कोई उल्लेख नहीं है. हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि उसे ‘इंटेंडिंग कपल’ की तरह सरोगेसी की अनुमति देने से अवांछित परिणाम हो सकते हैं, जिन्हें कानून रोकना चाहता है – जैसे प्रक्रिया का कर्मशलाइजेशन हुआ है.
महिला का गर्भाशय हटाया गया
महिला के वकील तेजेश डांडे ने जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और अद्वैत सेठना की डिवीजन बेंच के सामने तर्क दिया कि चूंकि उसका गर्भाशय हटा दिया गया है. वह अब बच्चे को जन्म नहीं दे सकती और उसके पिछले विवाह से दो बच्चे उसके पिता की कस्टडी में हैं. डांडे ने कहा कि उसे फिर से मातृत्व के लिए सरोगेसी का रास्ता अपनाने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि उसका फिर से शादी करने का इरादा नहीं है.
क्या सरोगेसी ‘इंटेंडिंग वुमन’ को शामिल करती है: HC
हाईकोर्ट ने कहा कि मुद्दा यह है कि क्या सरोगेसी ‘इंटेंडिंग वुमन’ को शामिल करती है, जबकि विधायिका विशेष रूप से ‘इंटेंडिंग कपल’ शब्द का उपयोग करती है, जब दोनों की परिभाषाएं अलग-अलग हैं. कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि यहां सरोगेट बच्चे के अधिकारों का भी एक निहित मुद्दा है. सुनवाई के दौरान जस्टिस कुलकर्णी ने मौखिक रूप से कहा कि आप केवल अपने अधिकारों के बारे में नहीं सोच सकते.
क्या कहता है कानून
डांडे ने कहा कि उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया क्योंकि वह सरोगेसी अधिनियम के तहत ‘इंटेंडिंग वुमन’ की श्रेणी में नहीं आती. अधिनियम एक विधवा या तलाकशुदा महिला को सरोगेसी का विकल्प चुनने की अनुमति देता है यदि उसके पास कोई जीवित बच्चा नहीं है या यदि ऐसा बच्चा है जिसका जीवन खतरे वाली स्थिति में है. उसका मामला विशेष था, इसलिए उसने हाईकोर्ट के हस्तक्षेप की मांग की.
हाईकोर्ट ने क्या खारिज की याचिका?
हाईकोर्ट ने महिला के वकील डांडे और केंद्र के वकील वाई आर मिश्रा से कहा कि वे दोपहर के सत्र में बताएं कि सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर कौन से समान मामले लंबित हैं. डांडे ने सुप्रीम कोर्ट में अकेली महिला के मुद्दे पर लंबित दो मामलों का हवाला दिया और हाईकोर्ट ने मामले को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया और कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में मामले में हस्तक्षेप कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट में ‘इंटेंडिंग वुमन’ की परिभाषा पर स्पष्टीकरण मांगने वाली याचिकाएं लंबित हैं, ताकि यह पता चल सके कि क्या अकेली अविवाहित महिला को शामिल किया गया है?
बेंच ने कहा कि हम ‘इंटेंडिंग कपल’ को, जिन्हें कुछ शर्तों के तहत सरोगेसी की अनुमति है, ‘इंटेंडिंग वुमन’ के रूप में नहीं पढ़ सकते. जब तक आप यह नहीं दिखा सकते कि विधायिका का इरादा क्या था, तब तक धारा में कुछ पढ़ना असंभव है. डांडे ने कहा कि उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया क्योंकि वह सरोगेसी अधिनियम के तहत ‘इंटेंडिंग वुमन’ की परिभाषा में फिट नहीं बैठती. अधिनियम कहता है कि यदि किसी महिला के पास पिछले विवाह से जीवित बच्चा है, तो वह सरोगेसी के लिए अयोग्य है.
Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
April 22, 2025, 10:36 IST