HF-24 मारुत: जब भारत ने सुपरसोनिक फाइटर बनाया, लेकिन सपना कैसे टूटा?

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Last Updated:June 29, 2025, 04:21 IST

HF 24 Marut Fighter Jet Story: 24 जून 1961 को HF-24 मारुत ने उड़ान भरी थी, जिसने भारत को अपने पहले स्वदेशी सुपरसोनिक फाइटर जेट का सपना दिया. लेकिन इंजन और इंडस्ट्रियल सिस्टम की कमी से यह सपना अधूरा रह गया. पढ़ि...और पढ़ें

 जब भारत ने सुपरसोनिक फाइटर बनाया, लेकिन सपना कैसे टूटा?

HF-24 मारुत भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर था. (फोटो wikipedia)

हाइलाइट्स

HF-24 मारुत ने 1961 में भारत के एयरोनॉटिक्स इतिहास को नई उड़ान दी.यह पूरी तरह स्वदेशी डिजाइन था लेकिन ताकतवर इंजन की कमी ने इसे कमजोर किया.1971 की जंग में अहम भूमिका निभाने के बावजूद यह विमान जल्द रिटायर कर दिया गया.

HF 24 Marut Fighter Jet Story: 24 जून 1961. बेंगलुरु के आसमान में एक गर्जना हुई. लोगों ने ऊपर देखा- एक चांदी जैसा चमकता फाइटर जेट हवा में उठा और पूरे आत्मविश्वास के साथ उड़ गया. उस दिन देश ने न सिर्फ एक विमान उड़ाया था, बल्कि भविष्य का एक सपना भी. ये था HF-24 मारुत. कॉकपिट में थे विंग कमांडर सुरंजन दास. और इस उड़ान ने भारत को दुनिया के उन गिने-चुने देशों की कतार में ला खड़ा किया, जो खुद का सुपरसोनिक फाइटर जेट बना सकते थे.

HF-24 कोई आम फाइटर जेट नहीं था. ये भारत की मिट्टी से उगा, भारतियों के दिमाग और हाथों से बना वो विमान था जो 1960 के दशक में दुनिया के बड़े रक्षा देशों को चुनौती दे रहा था. तब भारत की औद्योगिक नींव अभी पक्की नहीं हुई थी. देश आजादी के महज 14 साल बाद ऐसा कुछ कर रहा था, जिसकी कल्पना भी उस दौर में असंभव लगती.

HAL यानी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इसे तैयार किया. लेकिन अकेले नहीं. भारत ने इस मिशन के लिए बुलाया जर्मन इंजीनियर डॉ. कर्ट टैन्क को. वही टैन्क जिन्होंने वर्ल्ड वॉर-2 के दौरान जर्मनी के लिए Focke-Wulf Fw 190 जैसे घातक फाइटर जेट बनाए थे. युद्ध के बाद टैन्क पहले अर्जेंटीना में रहे फिर नेहरू के न्योते पर भारत आए.

सुरंजन दास: वो पायलट जिसने भारत के सपने को उड़ान दी
जिस दिन HF-24 ने पहली उड़ान भरी, एयरबेस के आसपास हजारों लोग जमा थे. PM नेहरू वहां नहीं थे लेकिन उनका संदेश पहुंचा- ‘ये भारत की एयरोनॉटिक्स की सबसे बड़ी उपलब्धि है’. रक्षा मंत्री कृष्णा मेनन की आंखों में गर्व झलक रहा था. प्लेन ने भले ही Mach 1 की स्पीड पार न की हो, लेकिन ये उड़ान थी आत्मनिर्भर भारत की पहली हुंकार.

लेकिन फिर क्या गड़बड़ हो गई?
HF-24 का शरीर तो सुपरसोनिक था लेकिन दिल यानी इंजन उतना ताकतवर नहीं. इसमें लगाए गए थे Orpheus 703 इंजन, जो सिर्फ सबसोनिक स्पीड तक ही ले जा सकते थे. असल में इसे डिजाइन किया गया था ज्यादा ताकतवर Orpheus 12 इंजन के लिए, लेकिन NATO ने उस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया. भारत के पास विकल्प खत्म हो गए.

HAL ने मिस्र का Brandner इंजन भी आजमाया, लेकिन वो फिट नहीं हुआ. बाद में 703 इंजन में आफ्टरबर्नर (reheat system) जोड़ा गया, लेकिन फिर भी मारुत Mach 1 को नहीं छू सका. और इस अपग्रेडेड वर्जन की टेस्ट फ्लाइट के दौरान खुद सुरंजन दास शहीद हो गए. एक सपना अपनी ही उड़ान में बुझ गया.

म्यूनिख के एक म्यूज़ियम में रखा हुआ मारूत का संरक्षित वर्जन. (फोटो विकिपीडिया)

लेकिन फिर भी… मारुत ने अपना लोहा मनवाया
1964 में मारुत आधिकारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ. इसे नाम मिला- ‘मारुत’, संस्कृत में जिसका अर्थ होता है ‘आंधी का देवता’. 1971 की जंग में इसने पाकिस्तान के खिलाफ 200 से ज्यादा ग्राउंड अटैक मिशन उड़ाए. राजस्थान में स्क्वाड्रन लीडर केके बक्शी ने एक पाकिस्तानी F-86 साब्रे को मार गिराया. तीन पायलटों को वीर चक्र मिला. ये मामूली बात नहीं थी.

लेकिन कहानी वहीं खत्म हो गई
1970 के दशक के अंत में मारुत को चुपचाप रिटायर कर दिया गया. सरकार ने रूस से MiG-21 और बाद में Mirage 2000 जैसे विदेशी फाइटर जेट मंगा लिए. मारुत के इंजन को बदलने या इसे दूसरे देशों को बेचने की कोशिशें नाकाम रहीं. और जो टेक्नोलॉजी और अनुभव मारुत ने दिया था, वो अगले प्रोजेक्ट्स में झोंकने की जगह बिखर गया.

जब 1980 के दशक में LCA (तेजस) का काम शुरू हुआ, तब HAL को साइडलाइन कर दिया गया. ADA (Aeronautical Development Agency) बना दी गई. यानी जो लोग मारुत बनाकर अनुभव ले चुके थे, उन्हें पीछे कर दिया गया. और फिर वही गलती दोहराई गई- इंजन अपने देश में नहीं बना सके.

HF-24 मारुत: एक भूत जो आज भी हमारे आसमान में मंडरा रहा है

आज जब हम राफेल, तेजस या सुखोई की बातें करते हैं, कहीं न कहीं HF-24 मारुत की परछाईं साथ चलती है. वो याद दिलाता है कि भारत ने एक बार नामुमकिन को मुमकिन किया था. और अगर उस सपने की बुनियाद को सहेज लेते, तो आज हम F-35 बनाने वालों की कतार में होते- शायद सबसे आगे.

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

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