Last Updated:June 30, 2025, 16:44 IST
Bihar Elections 2025: चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की सभाएं क्या एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर शक्ति प्रदर्शन हैं? दोनों नेता अपने वोटबैंक को मजबूत करने के लिए एक दिन रैली करते हैं या फिर बीजेपी-जेडीयू पर दब...और पढ़ें

उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान एक ही दिन रैली क्यों करते हैं?
हाइलाइट्स
चिराग और कुशवाहा की एक ही दिन रैली शक्ति प्रदर्शन तो नहीं?क्या दोनों नेता एनडीए में अधिक सीटें पाने की कोशिश में लगे हैं?क्या एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर तनाव बढ़ रहा है?पटना. क्या चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा का एक ही दिन बिहार में सभा करना सियासी शक्ति प्रदर्शन है या फिर एनडीए में सीट शेयरिंग में बेहतर हिस्सेदारी की रणनीति? दोनों कि बिहार में 8 जून और 29 जून को हुई सभाएं इस बात का सबूत हैं कि दोनों अपने वोटबैंक को मजबूत कर एनडीए में दबदबा बढ़ाना चाहते हैं. लेकिन क्या यह ‘सौतिया डाह’ तो नहीं है? या फिर दोनों नेताओं की सियासी चतुराई? बिहार चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर आने वाले दिनों में एनडीए की एकता और दोनों नेताओं की महत्वाकांक्षा का असली इम्तिहान होने जा रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या चिराग और कुशवाहा अपने दम पर बिहार की सियासत में ध्रुवतारा बनेंगे या नीतीश-बीजेपी के गठजोड़ में सहयोगी बनकर रह जाएंगे?
बिहार की सियासत में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए के भीतर शह-मात का खेल शुरू हो चुका है. इस खेल के दो प्रमुख खिलाड़ी हैं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के नेता उपेंद्र कुशवाहा. दोनों नेता एक ही दिन अलग-अलग जिलों में सभाएं कर रहे हैं, जिससे सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या यह शक्ति प्रदर्शन सीट शेयरिंग को लेकर सौतिया डाह का नतीजा है? पिछले दो महीनों में दोनों की एक ही दिन हुई सभाओं और इसके पीछे की रणनीति पर नजर डालते हैं.
शक्ति प्रदर्शन या रणनीति?
चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के महत्वपूर्ण सहयोगी हैं, लेकिन दोनों की नजर बिहार की 243 विधानसभा सीटों में अधिक हिस्सेदारी पर है. 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग की पार्टी ने 5 सीटों पर 100% स्ट्राइक रेट और 6.47% वोट शेयर हासिल किया, जिसने उनके कद को बढ़ाया. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा, जो कोइरी समुदाय (4.21% आबादी) का प्रतिनिधित्व करते हैं, अपनी पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं. दोनों की एक ही दिन सभाएं एनडीए में अपनी ताकत दिखाने और कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने की रणनीति का हिस्सा हैं. वहीं बीजेपी और जेडीयू पर दबाव बनाने का तरीका भी है, ताकि सीट बंटवारे में बेहतर सौदा हासिल हो.
पिछले दो महीनों में एक ही दिन सभाएं
8 जून 2025: चिराग पासवान ने आरा में ‘नव संकल्प सभा’ आयोजित की, जबकि उपेंद्र कुशवाहा ने मुजफ्फरपुर में रैली की. दोनों ने ‘बिहार फर्स्ट’ और सामाजिक समावेश के नारे बुलंद किए.
29 जून 2025: चिराग ने नीतीश कुमार के गढ़ राजगीर में सभा की, जहां उन्होंने दलित और युवा वोटरों को साधा. उसी दिन उपेंद्र कुशवाहा ने गया में शक्ति प्रदर्शन किया, जिसमें कोइरी और अति पिछड़ा वर्ग पर फोकस था.
क्या कहते हैं जानकार?
बिहार को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनीष कुमार कहते हैं, ‘इन सभाओं का समय संयोग नहीं, बल्कि सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है. दोनों नेता अपने-अपने वोटबैंक पर पकड़ बनाना चाह रहे हैं. चिराग जहां पासवान (5.33%) और दलित समुदाय, कुशवाहा का कोइरी और अति पिछड़ा वर्ग को मजबूत कर रहे हैं. एक ही दिन सभाएं कर वे बीजेपी और जेडीयू को यह संदेश दे रहे हैं कि उनकी पार्टियां बिहार में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं.’
सीट शेयरिंग और सौतिया डाह
बिहार में एनडीए के भीतर सीट शेयरिंग का मसला जटिल है. बीजेपी और जेडीयू 100-100 सीटों पर दावेदारी ठोक रहे हैं, जिससे चिराग, कुशवाहा, और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के लिए सिर्फ 43 सीटें बचती हैं. चिराग 40 से अधिक सीटें मांग रहे हैं, खासकर उन 9 सीटों पर जहां 2020 में उनकी पार्टी दूसरे स्थान पर थी (जैसे ब्रह्मपुर, दिनारा, रूपौली). वहीं, कुशवाहा की पार्टी 30-35 सीटों का दावा कर रही है, क्योंकि कोइरी समुदाय का प्रभाव 40 से अधिक सीटों पर है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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