PM मोदी बनेंगे देश के सबसे उम्रदराज प्रधानमंत्री? सामने आया BJP का 'महाप्लान'

1 week ago

BJP Membership Campaign: पूरे देश में बीजेपी की सदस्यता अभियान की चर्चा जोर-शोर से चल रही है. चर्चा इस बात की भी हो रही है कि 10 करोड़ से ज्यादा पुराने सदस्यों को फिर से पार्टी की सदस्यता क्यों दिलाई जा रही है? क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ और पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ-साथ मुरली मनोहर जोशी और एल के आडवाणी जैसे नेताओं ने दोबारा से पार्टी की सदस्यता ग्रहण की? चर्चा ये भी हो रही है कि क्या यह कवायद कहीं 2029 लोकसभा चुनाव को लेकर तो नहीं हो रही है? क्या बीजेपी पीएम मोदी को चौथी बार प्रधानमंत्री बनाने का प्रयास अभी से ही शुरू कर दी है? आइए जानते हैं बीजेपी नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों से.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता श्याम जाजू न्यूज 18 हिन्दी के साथ बातचीत में कहते हैं, ‘काल सापेक्ष परिणामों के बाद पार्टी जब चलती है तो दूरगामी काम करती है. जैसे-जैसे पार्टी बड़ी होती जाती है. इसमें ये परिवर्तन होते रहते हैं. इतने लोग पार्टी में आना चाहते हैं. उन सब लोगों को शामिल कर के पार्टी को आगे बढ़ाना है. खास बात यह है कि इस कवायद से पार्टी के कार्यकर्ता भी मैदान में उतर कर आक्रमक संपर्क करते हैं. नए-नए क्षेत्रों में कार्यकर्ता जाते हैं. इस प्रकार का एग्रेसिव कैंपेन पार्टी करती रहती है. इससे पार्टी में जीवंतता और जोश आता है. साथ ही नए-नए लोगों को भी पार्टी में आने का अवसर मिलता है.’

साल 2029 की तैयारी अभी से?

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‘यह सामान्य प्रक्रिया या मोरेल बुस्टअप नहीं है.’

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बीजेपी को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हर्षवर्धन त्रिपाठी कहते हैं, ‘यह सामान्य प्रक्रिया या मोरेल बुस्टअप नहीं है. यह एक गंभीर एक्सरसाइज है. आपको बता दें कि बीजेपी कैडर वाली पार्टी है. कैडर वाली जो भी पार्टी होती है वह सदस्यता करती है. भारतीय जनता पार्टी का पूरा कार्यक्रम और नीति उन्हीं सदस्यों के लिहाज है. कम्युनिस्ट पार्टी भी कैडर बेस पार्टी है. लेकिन, कांग्रेस को आप कभी भी कैडर बेस पार्टी नहीं कह सकते, क्योंकि कांग्रेस सदस्य के तौर पर उस तरह से लोगों को नहीं जोड़ती जैसे बीजेपी जोड़ती है. बीजेपी इसलिए टिकी रहती है और दूसरी पार्टियां साफ हो जाती हैं.’

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
त्रिपाठी आगे कहते हैं, ‘बीजेपी जब सदस्य बनाती है तो उन सदस्यों के साथ एक बड़ा कार्यक्रम भी तय करती है. अमित शाह जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो उन्होंने बकायदा एक रिकॉर्ड बनाया. बजीपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनी. पार्टी में सक्रिय सदस्य होते हैं वह मंडल, जिला, प्रदेश और फिर केंद्र में भूमिका निभाते हैं. भारतीय जनता पार्टी में आजतक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ. इसकी कभी जरूरत नहीं पड़ी. सर्वसम्मति से हो जाता है. इसमें लोग कह सकते हैं कि सर्वसम्मति से होता है तो लोकतंत्र नहीं है. लेकिन, इसमें बड़ा सीधा सा नियम है. किसी भी एक व्यक्ति के पक्ष में 50 प्रतिशत राज्यों से उसका प्रस्ताव नहीं आएगा तबतक वह नहीं बन सकता है.’

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अवधेश कुमार कहते हैं, ‘भारतीय जनता पार्टी के जो भी सक्रिय सदस्य हैं वे जीवन भर रिन्यू कराते ही रहते हैं. अगर कभी छूट जाता है तो लेट से भी जाकर करा लेते हैं. पार्टी में आजीवन सदस्यता का भी प्रोविजन है. लेकिन, मुख्यतौर पर सक्रिय सदस्यता अहम है. यह एक रिन्युल प्रक्रिया है, जिससे पता चलता है कि कार्यकर्ता जीवित हैं या मर गए हैं? या फिर दूसरी पार्टी में तो न चले गए हैं?’

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पार्टी को विगत लोकसभा चुनाव में अपेक्षा के अनुरुप सीटें नहीं मिली थी.

क्या लोकसभा चुनाव रही बड़ी वजह?
अवधेश कुमार आग कहते हैं, ‘पार्टी को विगत लोकसभा चुनाव में अपेक्षा के अनुरुप सीटें नहीं मिलीं. अगर आप सदस्यता अभियान के लिए जाते हैं तो आपको फीडबैक भी मिलता है. उस फिडबैक को आप ऊपर तक भेजते हैं. 1990 के दशक में तय हुआ था कि पार्टी सक्रिय सदस्यों के साथ-साथ आजीवन सदस्य भी बनाएंगे, जिससे बाहर से पैसा न लेना पड़े. मान लीजिए पार्टी ने 5000 रुपया तय कर दिया और 1 करोड़ लोगों ने 5-5 हजार रुपया दे दिया तो पार्टी को एक बड़ी रकम आ जाती है. बाहर से चंदा लेना नहीं पड़ता है. इसके पीछे की सोच यही थी. गोविंदाचार्य जैसे लोगों ने संघ से बात कर ये रास्ता निकाला था.’

आपको बता दें कि जहां देश की दूसरी पार्टियां आया राम गया राम सहित पार्टी के कई जंजालों में फंसी है. वहीं, बीजेपी ने सदस्यता अभियान की शुरुआत कर पीएम मोदी को साल 2029 में चौथी पार प्रधानमंत्री बनाने पर अभी से ही काम शुरू कर दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अभी की जो स्थिति है अगर अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और राहुल गांधी मिलकर भी चुनाव लड़ें तो साल 2029 में पीएम मोदी से पार पाना मुश्किल होगा.

मोदी बना सकते हैं महारिकॉर्ड
ऐसे में अगर साल 2029 में पीएम मोदी चौथी बार प्रधानमंत्री बनते हैं तो वह पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का भारत के सबसे उम्रदराज प्रधानमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी तोड़ देंगे. क्योंकि मोरारजी देसाई 81 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने थे.अभी पीएम मोदी की उम्र 73 साल है और वह अगर 2029 में प्रधानमंत्री बनते हैं तो तब तक उनकी उम्र 78 साल हो जाएगी. अगर मोदी चौथे टर्म में तीन साल तक प्रधानमंत्री रह जाते हैं तो मोरारजी देसाई का यह रिकॉर्ड तोड़ पीएम मोदी भारत के सबसे उम्रदराज प्रधानमंत्री बनने का रिकॉर्ड बना लेंगे.

Tags: Bhartiya Janta Party, BJP, BJP Membership Campaign

FIRST PUBLISHED :

September 8, 2024, 20:08 IST

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