S-400 का ऑपरेशन सिंदूर में हुआ धमाकेदार आगाज, अब मेंटेनेंस भी है जरूरी

12 hours ago

Last Updated:August 05, 2025, 23:39 IST

S-400 AIR DEFENCE SYSTEM: भारत ने लंबी दूरी तक मार करने वाला एयर डिफेंस सिस्टम S-400 की खरीद चीन और पाकिस्तान को ध्यान में रखकर ही किया था. और इसकी सही इस्तेमाल भी सटीक किया. पाकिस्तान के खिलाफ इसका पहली बार इस...और पढ़ें

S-400 का ऑपरेशन सिंदूर में हुआ धमाकेदार आगाज, अब मेंटेनेंस भी है जरूरीS-400 की मेंटेनेंस डील को मंजूरी

हाइलाइट्स

S-400 का ऑपरेशन सिंदूर में हुआ कॉम्बैट डेब्यू.DAC ने S-400 के एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट को मंजूरी दी.भारत ने 2018 में 39,000 करोड़ रुपये में S-400 की डील की थी.

S-400 AIR DEFENCE SYSTEM: भारत ने अपने पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान की चुनौती को ध्यान में रखते हुए साल 2018 में एक बड़ा फैसला लिया था. यह फैसला था लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस सिस्टम S-400 की खरीद का. ऑपरेशन सिंदूर में यह फैसला सही साबित हुआ, जब पाकिस्तान के अटैक को भारतीय S-400 की बैटरी ने आसमान में ही खत्म कर दिया. ऑपरेशन सिंदूर में S-400 का कॉम्बैट डेब्यू भी हो गया. अब रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई DAC की बैठक में सेना के लिए 67 हजार करोड़ रुपये की खरीद को मंजूरी दी गई है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है S-400 की बैटरी के लिए एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट को मंजूरी देना. किसी भी सैन्य उपकरण की जब खरीद की जाती है तो उस डील में मेंटेनेंस भी शामिल होता है. लेकिन उस कॉन्ट्रैक्ट को समय समय पर रिन्यू भी कराया जाता है. इसके अलावा कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सेना के लिए अतिरिक्त S-400 मिसाइल खरीद की भी चर्चा जारी है.

2027 तक पूरी हो जाएगी डिलीवरी
रूस से खरीदी गई 5 S-400 यूनिट की डिलीवरी अभी तक पूरी नहीं हो सकी है. पिछले साल दिसंबर में रक्षा मंत्री के रूस यात्रा के दौरान भी इसे लेकर बातचीत हुई थी. सूत्रों के अनुसार SCO के साइड लाइन में हुई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूसी रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव के बीच द्विपक्षीय वार्ता में भी इसका जिक्र हुआ. माना जा रहा है कि चौथी यूनिट अगले साल 2026 और पांचवीं यूनिट 2027 तक डिलीवर होगी.

S-400 है अचूक
भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम S-400 का डेब्यू पाकिस्तान के खिलाफ ही हुआ. इस सिस्टम की खासियत है कि इसके लॉन्ग रेंज रडार 600 किलोमीटर दूर से आने वाले किसी भी दुश्मन के हवाई हमले को डिटेक्ट कर सकते हैं. यह एक साथ 100 से ज्यादा फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को एक बार में डिटेक्ट कर सकता है. यह स्ट्रेटेजिक बॉम्बर, इलेक्ट्रिक वॉरफेयर प्लेन, टोही विमान, अर्ली वॉर्निंग रडार एयरक्राफ्ट, फाइटर एयरक्राफ्ट, आर्मड ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइल हमलों को 400 किलोमीटर की दूरी तक मार सकता है. जैसे ही दुश्मन रेंज में आता है, यह उसे तबाह कर देता है। एक सामान्य रेजिमेंट में 8 लॉन्च व्हीकल होते हैं और हर लॉन्चर में 4 मिसाइल ट्यूब होते हैं, यानी एक स्क्वाड्रन में 32 मिसाइलें होती हैं, साथ ही कमांड एंड कंट्रोल और लॉन्ग रेंज रडार भी होते हैं. S-400 से 400, 250, 120 और 40 किलोमीटर की 4 अलग-अलग रेंज की मिसाइल फायर की जा सकती हैं.

रूस ने हमेशा निभाई दोस्ती
भारत और रूस के सामरिक रिश्तों का इतिहास बहुत मजबूत और पुराना है. हर वक्त रूस भारत के साथ खड़ा रहता है. एक तरफ रूस लंबे समय से यूक्रेन के साथ लड़ रहा है, तो S-400 की डिलीवरी सही समय पर करने के वादे को निभा रहा है. हालांकि इसी वजह से डिलीवरी में थोड़ी देर जरूर हुई. युद्ध के दौरान ही S-400 की तीसरी स्क्वाड्रन भी भारतीय वायुसेना को दे दी गई थी।. S-400 की एक स्क्वाड्रन आदमपुर में स्थापित की गई है. दूसरा ईस्टर्न सेक्टर में तैनात किया गया है और तीसरा स्क्वाड्रन वेस्टर्न सेक्टर में तैनात किया जा रहा है. भारत ने रूस के साथ साल 2018 में 39,000 करोड़ रुपये में पाँच S-400 लेने की डील की थी. पहली स्क्वाड्रन भारत को दिसंबर 2021 में मिली थी. दूसरा स्क्वाड्रन अप्रैल 2022 और तीसरी स्क्वाड्रन फरवरी 2023 को मिली. बाकी बचे 2 स्क्वाड्रन 2024 में डिलीवर होने की बात थी लेकिन वह टाइमलाइन मिस हो गई थी. अब जो टाइमलाइन आई है उसके मुताबिक अगले साल एक यूनिट और 2027 में आखिरी पांचवीं यूनिट मिलने की संभावना है.

First Published :

August 05, 2025, 23:39 IST

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