Teacher's Day: शरीर आधा हुआ पर मन नहीं हारा,अब नई पीढ़ी में जगा रहे आशा की अलख

2 weeks ago

हिंदी समाचार

/

न्यूज

/

बिहार

/

Teacher's Day: शरीर आधा कट गया पर मन नहीं हारा, जिद बरकरार रखी और अब हर दिन नई पीढ़ी में जगा रहे आशा की अलख

हादसे में आधा शरीर गंवा चुके शिक्षक मुकुंद समाज के लिए आशा की मिसाल बने.हादसे में आधा शरीर गंवा चुके शिक्षक मुकुंद समाज के लिए आशा की मिसाल बने.

छपरा. बिहार में छपरा के दहियावां टोला के रहने वाले शिक्षक मुकुंद कुमार प्रतिदिन स्कूल जाते हैं. मुकुंद की हालत देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उनके सामने किस तरह की चुनौतियां हैं. एक हादसे में आधा शरीर गंवा चुके मुकुंद बीपीएससी के तहत चयनित शिक्षक बन कर अपनी सेवा दे रहे हैं. उत्क्रमित मध्य विद्यालय लोहड़ी में गणित के शिक्षक के रूप में मुकुंद कार्यरत हैं और रोज सुबह अपने स्कूटी से विद्यालय के लिए निकलते हैं. घर से लगभग 10 किलोमीटर दूर विद्यालय जाने के दौरान कई तरह की बढ़ाएं आती हैं, लेकिन अकेले ही मुकुंद तमाम बाधाओं को पूरा करके विद्यालय पहुंचते हैं और अपनी ड्यूटी में लग जाते हैं.

बात वर्ष 2012 की है जब मुकुंद नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे थे. परीक्षा देने के लिए पटना जाने के क्रम में एक रेल हादसे का शिकार हो गए और ट्रेन से उनका शरीर कट गया. डॉक्टर ने शरीर के निचले हिस्से को काटकर हटा दिया तब मुकुंद की जान बची. काफी दिनों तक डिप्रेशन में रहने के बाद मुकुंद ने फिर से जिंदगी शुरू की. मुकुंद ने इस हादसे के बाद हार नहीं मानी और बच्चों को पढाना शुरू किया. बीपीएससी ने जब शिक्षकों का चयन किया तो चयन परीक्षा में मुकुंद भी शामिल हुए और चयनित होकर उत्क्रमित मध्य विद्यालय लोहड़ी गांव में शिक्षक बन गए. आज मुकुंद अपने छात्र-छात्राओं के चहेते शिक्षक हैं.

मुकुंद एक शिक्षक ही नहीं बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं. बच्चों का कहना है कि मुकुंद से शिक्षा तो मिलती है, लेकिन इसके साथ-साथ एक ऐसी प्रेरणा मिलती है जो उनको जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता भी दिखाती है. वहीं, विद्यालय के अन्य शिक्षक भी मुकुंद के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हैं. उत्क्रमित मध्य विद्यालय लोहड़ी के प्राचार्य विनोद कुमार कहते हैं कि मुकुंद शारीरिक अक्षमता के बावजूद किसी से कम नहीं है और अपनी तमाम जिम्मेदारियां को बखूबी पूरा करते हैं.

बहरहाल, मुकुंद के हौसले की चर्चा चारों ओर है. मुकुंद का कहना है कि बच्चों को शिक्षा देकर वे अपने मकसद को पूरा कर रहे हैं. मुकुंद का कहना है कि तकदीर ने भले ही मुकुंद के साथ मजाक किया है, लेकिन मुकुंद को इससे कोई शिकायत नहीं है. आज वे अपनी जिंदगी को एक सामान्य व्यक्ति की तरह व्यतीत कर रहे हैं और सदेह प्रेरणा बनकर निराशा के अंधेरे से आशा की रोशनी की ओर बढ़ने के लिए प्रेरणा दे रहे हैं.

Tags: Bihar News, Chhapra News, Saran News, Teachers day

FIRST PUBLISHED :

September 4, 2024, 15:36 IST

Read Full Article at Source