Last Updated:April 29, 2025, 13:29 IST
Supreme Court on Pegasus: सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्पाइवेयर रखना गलत नहीं है, असली सवाल इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ हो रहा है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई 30 जुलाई को तय की.

पेगासस केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की. (Image:PTI)
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले में बड़ी टिप्पणी की.स्पाइवेयर रखना गलत नहीं, असली सवाल इसका उपयोग किसके खिलाफ हो रहा है.सुनवाई की अगली तारीख 30 जुलाई तय की गई.Supreme Court on Pegasus: पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ी टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सुरक्षा उद्देश्यों के लिए किसी भी देश का स्पाईवेयर रखना गलत नहीं है. अगर देश अपनी सिक्योरिटी के लिए स्पाइवेयर का यूज कर रहा तो इसमें क्या गलत है? चिंता की बात ये है कि इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ हो रहा है?
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूछा कि अगर पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल आतंकवादियों के खिलाफ किया जाता है तो इसमें क्या गलत है? सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि इसका इस्तेमाल गलत नहीं है और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की, जब वह उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें उन आरोपों की जांच की मांग की गई है कि सरकार कथित तौर पर जासूसी के लिए इजरायली सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सवाल यह तय करने का है कि स्पाइवेयर का इस्तेमाल किसके खिलाफ किया जा रहा है. कोर्ट ने इसके बाद मामले की सुनवाई 30 जुलाई को तय की. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, ‘अगर देश स्पाइवेयर का इस्तेमाल करता है तो क्या गलत है, अगर इसका इस्तेमाल आतंकवादियों के खिलाफ किया जाता है तो क्या गलत है? हम राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकते.’
‘स्पाइवेयर रखना गलत नहीं’
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘स्पाइवेयर रखना गलत नहीं है, असली सवाल यह है कि इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ किया गया है.’ वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा, ‘आतंकवादियों के खिलाफ इसका इस्तेमाल करने में क्या गलत है?’ उन्होंने कहा, ‘उन्हें निजता का अधिकार नहीं हो सकता है.’
SC ने रखी शर्त
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि वह ऐसी किसी भी रिपोर्ट का खुलासा नहीं करेगी जो देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी हो, लेकिन संकेत दिया कि वह निजता के उल्लंघन की व्यक्तिगत आशंकाओं को दूर कर सकती है. पीठ ने कहा कि तकनीकी समिति की रिपोर्ट को सड़कों पर चर्चा का दस्तावेज नहीं बनाया जाना चाहिए.
पीठ ने कहा, ‘कोई भी रिपोर्ट जो देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी है, उसे नहीं छुआ जाएगा. लेकिन जो व्यक्ति यह जानना चाहते हैं कि वे इसमें शामिल हैं या नहीं, उन्हें सूचित किया जा सकता है. हां, व्यक्तिगत आशंकाओं को दूर किया जाना चाहिए, लेकिन इसे सड़कों पर चर्चा का दस्तावेज नहीं बनाया जा सकता है.”
सिब्बल ने क्या दलील दी
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि उसे इस बात की जांच करनी होगी कि तकनीकी पैनल की रिपोर्ट को किस हद तक व्यक्तियों के साथ साझा किया जा सकता है. सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अमेरिका के एक जिला न्यायालय का फैसला है. उन्होंने कहा, ‘व्हाट्सएप ने खुद यहां खुलासा किया है. कोई तीसरा पक्ष नहीं. व्हाट्सएप ने हैकिंग के बारे में बताया है.’
क्या है पूरा विवाद
भारत में पेगासस स्पाइवेयर विवाद 2021 में तब शुरू हुआ, जब पेगासस प्रोजेक्ट ने खुलासा किया कि इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस सॉफ्टवेयर का दुरुपयोग हुआ. दावा है कि यह सॉफ्टवेयर फोन में चुपके से घुसकर कॉल, मैसेज, लोकेशन और कैमरा तक पहुंच सकता है. यह बात सामने आई कि भारत में 300 से ज्यादा लोगों, जिसमें पत्रकार, नेता, कार्यकर्ता और सरकारी अधिकारी शामिल थे, के फोन निशाने पर थे. विपक्ष ने सरकार पर जासूसी का आरोप लगाया, लेकिन सरकार ने इनकार किया. इस विवाद ने गोपनीयता, निगरानी और डिजिटल सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए. यही मामला सुप्रीम कोर्ट में है.
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Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
April 29, 2025, 13:11 IST