Last Updated:April 29, 2025, 17:27 IST
Mysore miracle bull: मैसूर के हिंकल गांव में डोड्डम्मा मंदिर का बसवन्ना नामक बैल चमत्कारी माना जाता है. यह बैल खेतों में पानी की जगह बता देता है, जिससे किसान सफलतापूर्वक बोरवेल खोदते हैं.

मैसूर का चमत्कारी बैल
कर्नाटक के मैसूर जिले के हिंकल गांव में डोड्डम्मा मंदिर में रहने वाला एक खास बैल – बसवन्ना – इन दिनों लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. दो साल की उम्र का यह बैल न सिर्फ मंदिर में रहने वाला एक पालतू जानवर है, बल्कि इसे लोग चमत्कारी मानते हैं. किसानों के मुताबिक, यह बसवन्ना खेतों में पानी की जगह बता देता है, जहां बोरवेल खोदने पर सही जगह पर पानी मिल जाता है.
छह महीने की उम्र में आया मंदिर, अब बना आस्था का केंद्र
यह बसवन्ना जब केवल छह महीने का था, तब उसे डोड्डम्मा मंदिर में लाया गया था. तब से लेकर आज तक यह यहीं पला-बढ़ा है और अब भक्तों के घरेलू कामों में हाथ बंटाने के साथ-साथ मंदिर की गतिविधियों में भी मदद करता है. नए मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति में इसका योगदान माना जाता है और श्रद्धालु इसे एक दिव्य शक्ति के रूप में देखने लगे हैं.
किसानों के लिए वरदान बना ‘बोरवेल बाबा’
जब भी किसी किसान को अपने खेत में पानी की जरूरत होती है, तो वे इस बसवन्ना को बुलाते हैं. किसान पहले इसे पूजा करते हैं और फिर जिस जगह पर यह बैल बैठता है या अंडे देता है, वहीं बोरवेल खोदते हैं. अब तक जिन-जिन जगहों पर इसने इशारा किया है, वहां से पानी जरूर निकला है. यही वजह है कि मैसूर, मांड्या और चामराजनगर जिलों के किसान अब वैज्ञानिकों की जगह इस बैल पर भरोसा करने लगे हैं.
भक्तों की नजर में बसवन्ना एक चमत्कारी शक्ति
स्थानीय लोग इस बसवन्ना को डोड्डम्मा माता का आशीर्वाद मानते हैं. उनका मानना है कि यह बैल केवल पानी की जगह नहीं बताता, बल्कि भक्तों के दुख-दर्द भी दूर करता है. मंदिर में रोजाना दर्जनों लोग सिर्फ इसे देखने और इसका आशीर्वाद लेने आते हैं. कुछ लोग इसे ‘धरती पर भगवान का रूप’ भी कहते हैं.
First Published :
April 29, 2025, 17:27 IST