क्या होते हैं काजी कोर्ट या शरिया अदालत, जिन्हें SC ने गैरकानूनी ठहराया

5 hours ago

Last Updated:April 29, 2025, 18:30 IST

Sharia Court: सुप्रीम कोर्ट ने काजी कोर्ट, काजियात कोर्ट या शरिया अदालतों के निर्णयों को भारतीय कानून के तहत गैरकानूनी ठहराया है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि इन अदालतों के फैसले किसी नागरिक पर बाध्यकारी नहीं हैं. ...और पढ़ें

क्या होते हैं काजी कोर्ट या शरिया अदालत, जिन्हें SC ने गैरकानूनी ठहराया

शीर्ष अदालत ने कहा कि शरिया अदालत के फैसलों को किसी भी नागरिक पर लागू नहीं किया जा सकता है.

हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट ने शरिया अदालतों को गैरकानूनी ठहरायाशरिया अदालतों के फैसले भारतीय कानून में मान्य नहींशरिया अदालतें केवल स्वैच्छिक मामलों की सुनवाई करती हैं

Sharia Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि काजी कोर्ट (दारुल कजा), काजियात कोर्ट या शरिया अदालत जैसी संस्थाओं द्वारा लिए गए निर्णय भारतीय कानून के तहत कोई कानूनी महत्व नहीं रखते हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि उसके फैसलों को किसी भी नागरिक पर लागू नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी एक मुस्लिम महिला शाहजहां द्वारा अपने पति से भरण-पोषण की मांग करने वाली अपील पर निर्णय लेते हुई की. उस महिला के पति ने पहले भोपाल में एक धार्मिक संस्था के माध्यम से तलाकनामा हासिल किया था. इसका इस्तेमाल उसने भरण-पोषण करने के अपने दायित्व के खिलाफ तर्क देने के लिए किया था. हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि ऐसे मंचों को भारतीय कानून में मान्यता नहीं दी गई है और उनकी घोषणाएं कानूनी रूप से लागू नहीं होती हैं. 

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न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने विश्व लोचन मदन बनाम भारत संघ मामले में 2014 के पहले के फैसले का हवाला देते हुए कहा, “‘काजी की अदालत’, ‘(दारुल कजा) काजियात की अदालत’, ‘शरिया अदालत’ इत्यादि, चाहे जिस नाम से पुकारे जाएं, कानून में उनकी कोई मान्यता नहीं है.” अदालत ने कहा, “ऐसी संस्थाओं द्वारा की गई कोई भी घोषणा/निर्णय, चाहे जिस नाम से पुकारा जाए, किसी पर भी बाध्यकारी नहीं है और किसी भी बलपूर्वक उपाय का सहारा लेकर उसे लागू नहीं किया जा सकता है.” पीठ ने यह फैसला 4 फरवरी को सुनाया था, जिसका पूरा विवरण अब सामने आया है.

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क्या है शरीयत या शरिया
शरीयत अरबी का शब्द है. इसका मतलब होता है शरिया कानून या इस्लामी कानून. शरिया कानून की परिभाषा दो स्रोतों से होती है. पहला इस्लाम का पवित्र ग्रंथ क़ुरान है और दूसरा इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद द्वारा दी गई मिसालें हैं, जिन्हें सुन्नाह कहा जाता है. इस तरह शरीयत कानून पवित्र कुरान, हदीस और पैगंबर की सुन्नत द्वारा निर्धारित किया गया है. इसमें इस्लामी कानून के अन्य स्रोत शामिल होते हैं. 

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कैसे काम करती है शरिया अदालत
भारत में शरिया कानून की शुरुआत आधिकारिक तौर पर 1937 में हुई. यानी कि आजादी से 10 साल पहले एक कानून था जिसका नाम ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लिकेशन एक्ट’ रखा गया. इसे आप शरीयत एक्ट 1937 भी कह सकते हैं. भारत के सभी मुसलमानों के लिए इस्लामिक कानून लागू हो, उसी उदेश्य के साथ ये लाया गया था. इसके तहत शादी, तलाक, विरासत और संपत्ति से संबंधित मामले शरिया अदालतों या दारुल कजा में सुलझाये जाते हैं. ये अदालतें इस्लामी कानून, शरिया के सिद्धांतों के अनुसार फैसले देती हैं. शरिया अदालतें अपनी मर्जी से आए दो पक्षों के बीच मध्यस्थता करती हैं. इसके किसी फैसले से भारतीय दंड संहिता या क्रिमिनल प्रोसीजर कोड जैसे कानूनों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए.

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कौन होते हैं इन अदालतों के काजी
शरिया अदालतों के न्यायाधीश काजी कहे जाते हैं. काजी शरिया कानून के विशेषज्ञ होते हैं और उन्हें मदरसों में प्रशिक्षित किया जाता है. काजी का काम आमतौर पर पारिवारिक और धार्मिक मामलों पर फैसला देना होता है. शरिया अदालतें मध्यस्थता और सुलह के तरीकों को भी प्रोत्साहित करती हैं, ताकि विवादों को अदालत के बाहर ही सुलझाया जा सके. शरिया अदालतें एक स्वैच्छिक प्रक्रिया के माध्यम से काम करती हैं. इसीलिए ये अदालतें केवल उन मामलों की सुनवाई करती हैं जिनमें दोनों पक्ष अदालत के फैसले को मानने के लिए सहमत होते हैं. इनके किसी भी फैसले को सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और जिला सत्र न्यायालयों में चुनौती दी जा सकती है.

क्यों होती है इनकी स्थापना?
दरअसल, यह एक तरह से विवाद के वैकल्पिक समाधान का रूप है. अदालतों में मुकदमों की भारी भीड़ और वकीलों की महंगी फीस से मुसलमानों को बचाने के नजरिए से पर्सनल लॉ बोर्ड इन्हें स्थापित करता है. ऐसा कोई भी मामला जो पहले से अदालत में विचाराधीन है, उसकी सुनवाई का अधिकार शरिया अदालत को नहीं है. ऐसे मामलों की सुनवाई वे उसी सूरत में शुरू करेंगी, जब अदालत से मुकदमा वापस ले लिया जाएगा.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

April 29, 2025, 18:28 IST

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