Last Updated:April 21, 2025, 08:53 IST
जम्मू-कश्मीर में भारत ने हाई-टेक सिस्टम लगाकर सीमा सुरक्षा को मजबूत किया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक निगरानी सिस्टम से घुसपैठ लगभग नामुमकिन हो जाएगी.

भारत एलएसी की सुरक्षा अचूक करने की योजना पर काम कर रहा है.
हाइलाइट्स
पाकिस्तान सीमा पर हाई-टेक निगरानी सिस्टम तैनात किया गया.घुसपैठ रोकने के लिए मानव-खोजी रडार और थर्मल इमेजिंग का उपयोग.सीमा पर बाड़ों को मजबूत किया गया और फ्लडलाइट्स लगाई गईं.जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा और लाइन ऑफ कंट्रोल पर भारत हजारों करोड़ रुपये खर्च कर हाई टेक सिस्टम लगा रहा है. इससे अब आतंकवादियों की घुसपैठ लगभग नामुमकिन हो जाएगी. इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि सरकार पाकिस्तान सीमा पर घुसपैठ रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक निगरानी सिस्टम तैनात कर रही है. इस सिस्टम में मानव-खोजी रडार, थर्मल इमेजिंग, हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे, बाड़ों पर फ्लडलाइट, नदी वाले इलाकों की तकनीकी निगरानी और सुरंगों का पता लगाने के लिए सिस्मिक सेंसर शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ इलाकों में यह सिस्टम पहले ही लगाया जा चुका है, जबकि कुछ नए हाई-टेक उपकरणों का परीक्षण चल रहा है. अधिकारियों का कहना है कि मानव-खोजी रडार, कैमरे और कमांड-कंट्रोल सिस्टम के साथ मिलकर बहुत प्रभावी साबित हो रहे हैं. खास तौर पर माइक्रो-डॉप्लर रडार का उपयोग किया जा रहा है, जो दीवार, धुआं, कोहरा या बारिश जैसे बाधित वातावरण में भी काम करता है. एक अधिकारी ने बताया कि रडार हर मौसम में काम करते हैं. कैमरे कोहरे या बारिश में फेल हो सकते हैं, लेकिन रडार सटीक संकेत देते हैं, जिन्हें कंट्रोल रूम में सॉफ्टवेयर के जरिए समझा जाता है. इससे घुसपैठियों की सही लोकेशन और गतिविधि का पता चलता है.
इसके अलावा सीमा पर बुनियादी सुरक्षा ढांचे को भी मजबूत किया जा रहा है. बाड़ों को और मजबूत किया गया है. हर 270 मीटर पर फ्लडलाइट और वॉच-टावर लगाए गए हैं. नदी वाले इलाकों में जहां संभव हो वहां बाड़ लगाई गई है और दोनों तरफ वॉच-टावर बनाए गए हैं. इन इलाकों में गश्त के लिए विशेष सिस्टम बनाया गया है. आतंकवादी अक्सर सुरंगों के जरिए भारत में घुसपैठ करते हैं, जिनका पता लगाने के लिए सिस्मिक सेंसर का परीक्षण हो रहा है. ये सेंसर जमीन के नीचे सिस्मिक तरंगें भेजकर सुरंगों या खोखले स्थानों का पता लगाते हैं. सॉफ्टवेयर इन संकेतों को समझता है और फिर सुरक्षा बल उस जगह की खुदाई कर सुरंग की जांच करते हैं.
सुरंगों की होगी खोज
अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि बताया कि हाल ही में पाई गई कुछ सुरंगें 20 फीट तक गहरी थीं, जो पुरानी सुरंग-खोज तकनीक से बचने के लिए बनाई गई थीं. इसलिए, अब सुरक्षा बल संवेदनशील इलाकों, खासकर सांबा और कठुआ में, 20 फीट गहरी खाइयां खोद रहे हैं. इन सबके साथ, सरकार ने कॉम्प्रिहेंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम (CIBMS) को तेजी से लागू किया है, जिसकी शुरुआत 2016 के पठानकोट हमले के बाद हुई थी. गृह मंत्रालय के अनुसार, भारत-पाकिस्तान सीमा पर 10 किमी और भारत-बांग्लादेश सीमा पर 61 किमी के दो पायलट प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं.
CIBMS में थर्मल इमेजर, इन्फ्रा-रेड और लेजर आधारित अलार्म, हवाई निगरानी के लिए एयरोस्टेट, बिना देखे जमीन पर सेंसर, रडार, नदी सीमाओं के लिए सोनार सिस्टम, फाइबर-ऑप्टिक सेंसर और रियल-टाइम डेटा प्राप्त करने वाला कमांड-कंट्रोल सिस्टम शामिल हैं. इसके अलावा, असम के धुब्री जिले में भारत-बांग्लादेश की नदी सीमा पर बॉर्डर इलेक्ट्रॉनिकली डोमिनेटेड क्यूआरटी इंटरसेप्शन टेक्नीक शुरू किया गया है. यह सिस्टम ब्रह्मपुत्र नदी के मुहाने पर 61 किमी के इलाके में काम कर रहा है, जहां बाड़ लगाना मुश्किल है. इस इलाके में नदी के कई चैनल और चार जमीनें हैं, जो बारिश के मौसम में निगरानी को और चुनौतीपूर्ण बनाते हैं. यह सिस्टम घुसपैठ रोकने में प्रभावी साबित हुआ है.
First Published :
April 21, 2025, 08:53 IST