भारत के इस काम ने झुकाया पृथ्वी को, धुरी पर खिसक रही लगातार, आना वाला है संकट

2 hours ago

मानें या मत मानें लेकिन भारत एक ऐसा काम लगातार कर रहा है कि जिससे पृथ्वी की हालत खराब हो रही है. उसके संतुलन पर बुरी तरह असर ही नहीं पड़ा है बल्कि वह अपनी धुरी से खिसक रही है. लेकिन भारत इससे बिल्कुल नहीं चेत रहा. अगर यही चलता रहा तो ना केवल रात- दिन पर असर पड़ेगा बल्कि पानी से लेकर हमारे खाने पीने पर भी बुरा असर पड़ेगा और इसके लाले पड़ जाएंगे.

दरअसल भारत में भूजल का जरूरत से ज्यादा दोहन हो रहा है. दुनिया में जमीन से जितना जल निकाला जा रहा है, उसका 25 फीसदी से ज्यादा तो केवल भारत में हो रहा है. और इसी वजह से पृथ्वी अपनी धुरी से ना केवल खिसक रही है बल्कि टेढी भी हो रही है. यानि वह असंतुलित हो रही है. अगर ये चलता रहा तो एक नहीं बल्कि कई तरह से संकट आएगा. वो संकट क्या होंगे और किस तरह से असर डालेंगे ये आगे बताएंगे. पहले इस भूजन दोहन के बारे में समझ लीजिए. ये भी जान लीजिए कि दुनिया में कौन सा देश जमीन के नीचे से सबसे ज्यादा पानी निकाल रहा है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि जरूरत से ज्यादा पानी भूजल दोहन के कारण पृथ्वी की धुरी में खिसकाव हो रहा है, यह बात एक नहीं बल्कि कई वैज्ञानिक अध्ययनों में सामने आई है.

समझें कि ऐसा कैसे होता है
जब जमीन के अंदर पानी निकाला जाता है तो जमीन के द्रव्यमान का संतुलन बिगड़ता है. इसकी वजह से इसे पुनर्वितरित करके संतुलित करने की कोशिश पृथ्वी करती रहती है. जब भूजल को जमीन से निकाला जाता है, तो यह पानी समुद्रों में तो पहुंच जाता है लेकिन पृथ्वी पर द्रव्यमान (मास) का वितरण बदल जाता है.

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दुनिया में सबसे ज्यादा भूजल दोहन भारत कर रहा है. उसके बाद चीन, अमेरिका और दूसरे देशों का नंबर है. इससे ये संकट लगातार बढ़ रहा है. (News18AI)

पृथ्वी एक घूमती हुई गेंद की तरह है. अगर इसके द्रव्यमान का वितरण बदलता है, तो इसके घूमने का अक्ष भी बदलता या खिसकता है. इसे “पोलर मोशन” कहते हैं.

17 सालों में बहुत कुछ बिगड़ा
दुनिया में सबसे ज्यादा भूजल दोहन भारत कर रहा है. उसके बाद चीन, अमेरिका और दूसरे देशों का नंबर है. इससे ये संकट लगातार बढ़ रहा है. पृथ्वी का संतुलन लगातार बिगड़ रहा है. NASA और अन्य संस्थानों के शोध के अनुसार, 1993 से 2010 के बीच भूजल निकालने के कारण पृथ्वी के ध्रुव (North Pole) की दिशा में बदलाव हुआ है.

केवल इन 17 सालों में ही भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन में भूजल दोहन से लगभग 54 ट्रिलियन लीटर पानी निकाला गया, जिससे पृथ्वी की धुरी लगभग 78 सेमी (पूर्व की ओर) खिसक गई.

क्या भारत जमीन से सबसे ज्यादा पानी निकालता है
हां, भारत दुनिया में सबसे अधिक भूजल यानि ग्राउंड वाटर निकालता है. दुनियाभर में जमीन के नीचे से जितना पानी निकाला जाता है, उसका 25फीसदी अकेले भारत में होता है, जो किसी भी अन्य देश से कहीं अधिक है.

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जमीन से जरूरत से ज्यादा पानी निकलने के कारण पृथ्वी अपनी धुरी पर झुक और खिसक गई (News18 AI)

भारत हर साल 250–260 क्यूबिक किलोमीटर भूजल निकालता है, जो अमेरिका और चीन के संयुक्त उपयोग से भी अधिक है. दुनिया के 10 टॉप ग्राउंडवाटर यूजर्स में भारत पहले स्थान पर है, उसके बाद चीन (112 Km³) और अमेरिका (111 Km³) आते हैं.

भारत इतना पानी क्यों निकालता है
– हमारा देश जमीन से जो पानी निकालता है, उसमें 90फीसदी का इस्तेमाल खेती में सिंचाई के लिए काम में लाया जाता है. धान, गन्ना और गेहूं जैसी फसलें अधिक पानी खींचती हैं. पानी को सही तरीके से पहुंचाने के लिए अब भी नहरों की संरचना का अभाव है. किसानों को मुफ्त/सस्ती बिजली मिलती है, जिससे वे अधिक देर तक ट्यूबवेल चलाते हैं. फिर 1.4 लोगों की पानी की मांग के चलते भी जरूरत से ज्यादा दोहन हो रहा है.

सबसे ज्यादा ग्राउंड वाटर किन राज्यों में निकालते हैं
– पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु सबसे अधिक भूजल दोहन वाले राज्य हैं. दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे शहरों में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है. पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में भूजल स्तर प्रतिवर्ष 0.5–1 मीटर गिर रहा है. 21 भारतीय शहरों (जैसे बेंगलुरु, चेन्नई) में 2025 तक ‘डे जीरो’ (पानी खत्म होने) की आशंका है.

हमारे यहां जल की कमी क्यों होती है
– इसका सबसे बड़ा कारण जल प्रबंधन की कमी है. वर्षा के पानी को इकट्ठा करने और इसके सही उपयोग के उपाय अपर्याप्त हैं.

सबसे बड़ा खतरा फिलहाल क्या
सबसे बड़ा खतरा भूमि के धंसने का है. दिल्ली, कोलकाता और मुंबई जैसे शहरों में जमीन धंस रही है क्योंकि भूजल खत्म होने से जमीन सिकुड़ती है. भूजल के अत्यधिक दोहन से नदियों का प्रवाह कम हो रहा है (जैसे यमुना, गोदावरी).

क्या भारत से ज्यादा भूजल कोई और देश निकालता है?
नहीं, भारत भूजल दोहन में दुनिया में नंबर 1 है. चीन और अमेरिका भी बड़े उपयोगकर्ता हैं, लेकिन उनकी जनसंख्या और कृषि क्षेत्रफल के हिसाब से उनका दोहन भारत से कम है. सऊदी अरब और ईरान जैसे देश भी तेजी से भूजल निकाल रहे हैं, लेकिन भारत जितना नहीं.

अगर भूजल निकलता रहा और पृथ्वी खिसकती रही तो क्या होगा
अगर पृथ्वी की धुरी लगातार खिसकती रही, तो इतना समझ लीजिए कि ये देर सबेर बड़ी तबाही लेकर आएगा. इसका असर पूरी मानव सभ्यता पर पडे़गा. इसका असर बड़ा और भयंकर होगा.

मौसम के चक्र बदल जाएंगे
पृथ्वी की धुरी का झुकाव (वर्तमान में ~23.5°) मौसमों को कंट्रोल करता है. अगर यह झुकाव बदलता है, तो गर्मी-सर्दी की अवधि और तेजी से बदलेगी. ध्रुवों पर अधिक सूर्य की रोशनी पड़ने से बर्फ तेजी से पिघलेगी. भारत जैसे देशों में मानसून पैटर्न गड़बड़ा सकता है, जिससे सूखा या अत्यधिक बारिश हो सकती है.

समुद्र स्तर और तटीय क्षेत्रों पर असर होगा
धुरी खिसकने से ध्रुवों का तापमान बढ़ सकता है, जिससे ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ तेजी से पिघलेगी. समुद्र स्तर में वृद्धि से मुंबई, कोलकाता, बांग्लादेश जैसे तटीय शहर डूब सकते हैं. अटलांटिक की गल्फ स्ट्रीम जैसी धाराएँ प्रभावित होंगी, जिससे यूरोप का तापमान अचानक गिर सकता है.

दिन-रात की अवधि में बदलाव
धुरी का खिसकाव पृथ्वी के घूर्णन को प्रभावित कर सकता है, जिससे दिन और रात की लंबाई में मामूली अंतर आ सकता है. अगर धुरी और अधिक झुक जाए, तो उत्तरी ध्रुव पर 6 महीने की रात लंबी हो सकती है. मौसम बदलने से फसल चक्र प्रभावित होगा. गेहूं, चावल जैसी फसलों का उत्पादन कम हो सकता है.

भूकंप और ज्वालामुखी ज्यादा होंगे
धुरी में बदलाव से पृथ्वी के भीतर दबाव बदल सकता है, जिससे टेक्टोनिक प्लेट्स सक्रिय हो सकती हैं. रिंग ऑफ फायर (प्रशांत क्षेत्र) में अधिक भूकंप आ सकते हैं. समुद्र के तापमान में बदलाव से अधिक शक्तिशाली तूफान (जैसे हरिकेन, साइक्लोन) बन सकते हैं.

क्या यह खिसकाव अभी चिंता का विषय है?
नहीं, अभी तत्काल खतरा नहीं. वर्तमान में धुरी का खिसकाव बहुत धीमा (-10 सेमी प्रति वर्ष) है और इसके गंभीर प्रभावों में सैकड़ों वर्ष लगेंगे. लेकिन भूजल दोहन, ग्लोबल वार्मिंग और बर्फ पिघलना इसे तो तेज कर ही रहा है.

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