Pope Francis Death: जवानी में ही निकाल दिया गया था एक फेफड़ा, पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन

2 hours ago

Pope Francis died on aged 88: पोप फ्रांसिस का सोमवार को सुबह निधन हो गया, वेटिकन के कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फेरेल ने घोषणा की है. एपी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, फैरेल ने अपने बयान में कहा "आज सुबह 7:35 बजे, रोम के बिशप फ्रांसिस पिता के घर वापस लौट गए. उनका पूरा जीवन प्रभु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित था,"

At 9:45 AM on Easter Monday, Cardinal Kevin Farrell, Camerlengo of the Apostolic Chamber, spoke these words at the Casa Santa Marta:

"Dearest brothers and sisters, with deep sorrow I must announce the death of our Holy Father Francis. At 7:35 this morning, the Bishop of Rome,…

— Vatican News (@VaticanNews) April 21, 2025

"उन्होंने हमें सुसमाचार के मूल्यों को निष्ठा, साहस और सार्वभौमिक प्रेम के साथ जीना सिखाया, खासकर सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के लिए. "प्रभु यीशु के सच्चे शिष्य के रूप में उनके उदाहरण के लिए अपार कृतज्ञता के साथ, हम पोप फ्रांसिस की आत्मा को ईश्वर, वन और ट्रिब्यून के असीम, दयालु प्रेम को सौंपते हैं."

Este es el momento en el que el Vaticano anuncia oficialmente la muerte del Papa Francisco.

El encargado fue el cardenal Kevin Farrell.pic.twitter.com/kQ3CgDg9cj

— Agustín Antonetti (@agusantonetti) April 21, 2025

पोप फ्रांसिस को फेफड़ों की पुरानी बीमारी थी
पोप फ्रांसिस को फेफड़ों की पुरानी बीमारी थी. जवानी में उनका एक फेफड़ा का हिस्सा हटा दिया गया था. 14 फरवरी 2025 को सांस की गंभीर समस्या के कारण उन्हें रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती किया गया था. वहांउनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें डबल निमोनिया हो गया. वे 38 दिन अस्पताल में रहे, जो उनके 12 साल के पोप कार्यकाल में सबसे लंबा समय बीमारी का था.

Pope Francis died on Easter Monday, April 21, 2025, at the age of 88 at his residence in the Vatican's Casa Santa Marta. pic.twitter.com/jUIkbplVi2

— Vatican News (@VaticanNews) April 21, 2025

और पोप से अलग थे फ्रांसिस, जानें कैसे?
13 मार्च 2013 को जब फ्रांसिस पोप बने, तो उन्होंने सेंट पीटर बेसिलिका की बालकनी से लोगों को सिर्फ "गुड इवनिंग" (बुओनासेरा) कहकर अभिवादन किया. यह उनकी सादगी का पहला संदेश था. अर्जेंटीना के जॉर्ज मारियो बेर्गोलियो के नाम से जन्मे फ्रांसिस ने कैथोलिक चर्च को नई दिशा दी. उन्होंने गरीबों, शरणार्थियों और हाशिए पर जीने वालों के लिए काम किया.

चर्च में सुधार के लिए किया खूब काम
पोप फ्रांसिस ने वेटिकन की कार्यप्रणाली को सुधारने का जिम्मा लिया. उन्होंने चर्च को और खुला बनाने की कोशिश की, बिना इसके मूल सिद्धांतों को बदले. उन्होंने कहा, "मैं कौन होता हूँ जज करने वाला?" जब उनसे एक समलैंगिक पादरी के बारे में पूछा गया. यह बात एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लिए स्वागत का संदेश थी. उन्होंने समलैंगिकता को अपराध मानने वाले कानूनों का विरोध किया और कहा, "यह अपराध नहीं है."

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