आरके की हिट लिस्ट में राजपूत क्यों नहीं, क्या भूमिहार, कुशवाहा, यादव ही दागी?

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Last Updated:October 21, 2025, 12:50 IST

Bihar Chunav 2025: आरके सिंह ने बिहार चुनाव में दागी नेताओं पर एक वीडियो जारी किया, लेकिन इस वीडियो में राजपूत जाति के उम्मीदवारों का नाम नहीं था. क्या सिंह का यह वीडियो दागी और भ्रष्टाचारी नेताओं पर उनका डबल स्टैंडर्ड नहीं है?

आरके की हिट लिस्ट में राजपूत क्यों नहीं, क्या भूमिहार, कुशवाहा, यादव ही दागी?क्या बिहार चुनाव में सिर्फ भूमिहार, कुशवाहा, मुस्लिम ही दागी उम्मीदवार?

पटना. बिहार चुनाव में बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह चर्चा में है. दिवाली के दिन सिंह ने एक वीडियो जारी कर दागी और भ्रष्ट उम्मीदवारों को वोट नहीं देने की अपील की थी. खास बात यह है कि इस वीडियो में आरके सिंह ने बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी का भी नाम लिया था. आरके सिंह ने अनंत सिंह, सूरजभान सिंह, शाहबुद्दीन के बेटे ओसामा, नवादा के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव सहित कई नाम लिए थे. लेकिन उन्होंने अपने वीडियो में एक भी राजपूत जाति के दागी उम्मीदवार का नाम नहीं लिया. सिंह का यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर धमाल मचा रहा है. सोशल मीडिया पर आरके सिंह से लोग पूछ रहे हैं कि ‘क्या राजपूत जाति का एक भी दागी उम्मीदवार आपको नजर नहीं आया?’ क्या सिंह राजपूत जाति का पक्ष इसलिए ले रहे हैं क्योंकि वह खुद राजपूत जाति से आते हैं? अगर सूरजभान सिंह की पत्नी और शाहबुद्दीन का बेटा ओसामा दागी है तो फिर आनंद मोहन का बेटा चेतन आनंद पर उन्होंने एक शब्द क्यों नहीं बोला?

बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति में नैतिकता और शुचिता का मुद्दा उठाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता आरके सिंह अब अपने वीडियो पर खुद घिर गए हैं. सिंह पर अब खुद जातिवाद के कटघरे में खड़े होने का आरोप लगा रहा है. सिंह ने एक वीडियो जारी कर जिस तरह से अगड़ी के साथ-साथ कुछ प्रमुख पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों से आने वाले नेताओं को निशाना बनाया है, उससे राजनीति गर्म हो गई है. सिंह ने राजपूत जाति से जुड़े किसी दागी या बाहुबली परिवार के उम्मीदवार का जिक्र नहीं किया, उसने राजनीतिक हलकों में ‘डबल स्टैंडर्ड’ की चर्चा को तेज कर दिया है.

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आरके सिंह का डबल स्टैंडर्ड या चूक?

आरके सिंह का यह वीडियो ऐसे समय आया है, जब वह पहले से ही पार्टी के भीतर राजपूत समुदाय की अनदेखी का आरोप लगाकर बागी तेवर दिखा चुके हैं. उनके वीडियो ने यह सवाल पैदा कर दिया है कि क्या बिहार की सियासत में ‘दागी’ होने की परिभाषा भी जाति के आधार पर तय होती है? आरके सिंह ने अपने वीडियो में भ्रष्टाचार और अनैतिकता के आधार पर वोट न देने की अपील की है. हालांकि, उन्होंने जिस तरह से सम्राट चौधरी (कुशवाहा) और अन्य गैरराजपूत नेताओं पर ध्यान केंद्रित किया, वह राजनीतिक अखाड़े में एक सोची-समझी रणनीति तो नहीं?

राजपूत जाति के कितने दागी उम्मीदवार?

बिहार की राजनीति को नजदीक से जानने वाले बताते हैं कि राजपूत समाज से जुड़े कई बाहुबली या उनके परिवार के सदस्य भी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन सिंह ने उनका नाम लेने से पूरी तरह परहेज किया. यह चुप्पी स्पष्ट तौर पर जातीय गोलबंदी की ओर इशारा करती है, जहां खुद की जाति के नेताओं के विरोध को टालने के लिए नैतिकता के मापदंड बदल जाते हैं. सवाल उठता है कि जब आरजेडी ने बाहुबली शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब और भूमिहार जाति के बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी को टिकट दिया है, तो फिर पूर्व सांसद और राजपूत जाति से आने वाले आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को इस दागी श्रेणी से बाहर क्यों रखा गया?

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भूमिहार, कुशवाहा और मुस्लिम क्यों निशाने पर?

ओसामा शहाब रघुनाथपुर से आऱजेडी के टिकट पर मैदान में हैं. पिता शहाबुद्दीन पर गंभीर अपराधिक मामले थे. इसी तरह सूरजभान भी बाहुबली की छवि रखते हैं और उनकी पत्नी को आरजेडी ने मोकामा से उम्मीदवार बनाया है. इसी तरह बाहुबली आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद 2020 में आरजेडी से विधायक बने थे और अब वे जेडीयू से चुनाव लड़ रहे हैं. आनंद मोहन भी हत्या के मामले में सजायाफ्ता रहे हैं. हालांकि कई बाहुबलियों जैसे हुलास पांडे लोजपा आर से ब्रह्मपुर से उम्मीदवार और बाहुबली सुनील पांडे के भाई हैं पर भी उनकी चुप्पी कई सवाल खड़े करती है.

बिहार चुनाव में राजपूत जाति के दागी उम्मीदवारों की संख्या पर कोई आधिकारिक जातिगत आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार इस बार भी कम से कम एक दर्जन राजपूत उम्मीदवारों पर गंभीर आरोप हैं. बिहार के लगभग एक-तिहाई मौजूदा विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. राजपूत, भूमिहार, यादव और मुस्लिम सहित लगभग हर जाति से जुड़े ऐसे कुछ उम्मीदवार भी मैदान में हैं, जिनका आपराधिक रिकॉर्ड रहा है या जिनके परिवार की छवि बाहुबली की रही है. ऐसे में आरके सिंह का यह वीडियो चर्चा में है. यह घटना बिहार की उस कड़वी सच्चाई को सामने लाती है, जहां दागी उम्मीदवारों की बात भी जातिगत चश्मे से होती है.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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First Published :

October 21, 2025, 12:50 IST

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