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Ground Report: एक घूंट गले के नीचे...और अंधेरे में डूब गया जीवन, खजूरबानी कांड की दर्दनाक कहानी

गोपालगंज. वर्ष 2016 में बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के तीन महीने बाद ही गोपालगंज में खजूरबानी जहरीली शराब कांड सामने आया. इस घटना में एक साथ 19 लोगों की मौत हो गई थी. यह बिहार का पहला जहरीली शराब कांड था, जिसमें बंधु राम नामक व्यक्ति एकमात्र चश्मदीद था, जो शराब पीने से दोनों आंखों की रोशनी खो बैठा. शराब की एक घूंट ने बंधु राम की दोनों आंखें छीन लीं और उनका जीवन अंधेरे में डाल दिया. अब बंधु राम को चलने-फिरने के लिए सहारा लेना पड़ता है.
गोपालगंज के नगर थाना क्षेत्र के श्याम सिनेमा मोहल्ले के रहनेवाले बंधु राम ने अपने दामाद अनिल कुमार के साथ खजूरबानी में शराब पी थी, जिसमें अनिल कुमार समेत 19 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, बंधु राम की दोनों आंखों की रोशनी चली गई. जहरीली शराब से दोनों आंखों की रोशनी गंवाने वाले पीड़ित और खजुरबानी कांड के इकलौते चश्मदीद हैं. बंधु राम और उनके परिजन बताते हैं कि सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली.
बिना सहारा के बंधु राम को अब जीवन जीना मुश्किल है.
बंधु राम की पुत्री गूंजा कुमारी बताती हैं कि आज उनकी मां दूसरों के घर में झाड़ू-पोछा लगाकर परिवार का पेट पालती हैं. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए भी परिवार के पास पैसे नहीं हैं. बंधु राम की बेटी बताती हैं कि कभी-कभी आसपास के लोग खाने-पीने के लिए सामान भेज देते हैं, जिससे परिवार का गुजारा चलता है. आज भी पूरा परिवार दूसरों की मदद पर आश्रित है.
ऐसी हालत सिर्फ बंधु राम के परिवार की नहीं है, बल्कि शराब पीकर मरने वाले उन सभी परिवारों की है, जो ठेला-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे. जहां एक ओर शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद सरकार इसे एक बड़ी सफलता मान रही है, वहीं दूसरी ओर जहरीली शराब की घटनाएं सरकार की नाकामी को भी उजागर करती है. सवाल उठता है कि आखिर कब तक ऐसे परिवारों को सरकार की मदद का इंतजार करना पड़ेगा?
Tags: Gopalganj news, Liquor Ban, Poisonous liquor case
FIRST PUBLISHED :
December 28, 2024, 07:16 IST