Last Updated:August 17, 2025, 17:15 IST
वोट चोरी, डबल वोटिंग, दो इपिक कार्ड, बिहार एसआईआर को लेकर राहुल गांधी, तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से सवाल पूछे थे. आज चुनाव आयोग ने इन सभी सवालों के एक-एक कर जवाब दिए हैं.

राहुल गांधी-तेजस्वी यादव ने बिहार एसआईआर पर कई सवाल पूछे थे. सबसे पहला, कई मतदाताओं के एड्रेस यानी पते में 0 नंबर क्यों है? एक ही आदमी का दो वोटर कार्ड क्यों है? क्या डबल वोटिंग हो रही है? एक ही शख्स की दो इपिक आईडी कैसे हो गई? चुनाव आयोग ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में हर सवाल का जवाब दिया.
SIR में इतनी जल्दबाजी क्यों?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कुछ लोग यह भ्रामक प्रचार कर रहे हैं कि आखिर एसआईआर (SIR) अभ्यास इतनी जल्दबाजी में क्यों किया जा रहा है? मतदाता सूची का सुधार चुनाव से पहले होना चाहिए या बाद में? यह चुनाव आयोग नहीं कह रहा है, बल्कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act) कहता है कि हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का सुधार करना अनिवार्य है. यह चुनाव आयोग की कानूनी जिम्मेदारी है. फिर सवाल उठाया गया कि क्या चुनाव आयोग बिहार के सात करोड़ से ज्यादा मतदाताओं तक पहुंच पाएगा? सच्चाई यह है कि यह काम 24 जून से शुरू हुआ था और पूरी प्रक्रिया लगभग 20 जुलाई तक पूरी कर ली गई…
एसआईआर पहली बार क्यों हो रहा?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, पिछले 20 सालों में एसआईआर (SIR) नहीं हुआ है… देश में अब तक 10 से ज्यादा बार एसआईआर कराया जा चुका है. एसआईआर का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना है… यह अभ्यास राजनीतिक दलों से बड़ी संख्या में शिकायतें मिलने के बाद किया जा रहा है…
कई वोटर का एड्रेस 0 क्यों?
मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि घर न होने या घर का नंबर न मिलने के बावजूद हर पात्र व्यक्ति को मतदाता बनाया जाता है. इनका एड्रेस 0 दिया जाता है. देशभर में करोड़ों लोगों के घरों के सामने जीरो नंबर दर्ज है. इसका कारण यह है कि पंचायत क्षेत्रों, नई बसी कॉलोनियों और अवैध कॉलोनियों में अब तक घरों को आधिकारिक नंबर नहीं मिले हैं. ऐसी स्थिति में तकनीकी रूप से उनका पता जीरो नंबर दिखाया जाता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वे मतदाता नकली हैं. अगर ऐसे लोगों को फर्जी मतदाता कहा जाए तो यह लोकतंत्र के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ होगा. सीईसी ने दोहराया कि पता या घर का नंबर न होना मतदाता की वैधता पर सवाल नहीं उठाता.
एक आदमी की 2 EPIC आईडी कैसे?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने डुप्लीकेट ईपीआईसी (EPIC) पर सफाई देते हुए कहा कि इसकी दो स्थितियां होती हैं. पहली, जब अलग-अलग राज्यों के दो व्यक्तियों का ईपीआईसी नंबर एक जैसा निकल आता है. मार्च 2025 में ऐसे करीब तीन लाख मामले पाए गए थे, जिनके नंबर बदलकर दुरुस्त कर दिए गए. दूसरी स्थिति तब होती है जब एक ही व्यक्ति का नाम कई जगह मतदाता सूची में दर्ज होता है और हर जगह उसका अलग ईपीआईसी नंबर बन जाता है. उन्होंने बताया कि 2003 से पहले तकनीकी सुविधाएं न होने के कारण ऐसा हुआ, क्योंकि तब चुनाव आयोग के पास एकीकृत वेबसाइट नहीं थी. लोग जब एक जगह से दूसरी जगह जाते थे, तो उनके नाम पुराने स्थान से हटाए बिना नए स्थान पर जुड़ जाते थे. अब जबकि तकनीकी सुविधा मौजूद है, आयोग सावधानी बरत रहा है ताकि जल्दबाजी में किसी का नाम गलत तरीके से न हटे.
ऑनलाइन वोटर लिस्ट क्यों नहीं दे सकते?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि मशीन-रीडेबल मतदाता सूची पर रोक है और यह फैसला 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया था. उन्होंने समझाया कि मशीन-रीडेबल और सर्चेबल वोटर लिस्ट में फर्क है. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध मतदाता सूची को ईपीआईसी नंबर डालकर खोजा जा सकता है और डाउनलोड भी किया जा सकता है, लेकिन इसे मशीन-रीडेबल नहीं कहा जाता. उन्होंने बताया कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय का गहन अध्ययन किया और पाया कि मशीन-रीडेबल इलेक्टोरल रोल उपलब्ध कराने से मतदाताओं की गोपनीयता का उल्लंघन हो सकता है. इसी आधार पर आयोग ने निर्णय लिया कि ऐसी सूची जारी नहीं की जाएगी. उन्होंने दोहराया कि मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट प्रतिबंधित है और यह प्रतिबंध सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से लागू है.
महाराष्ट्र में अचानक वोट कैसे बढ़ गए?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, आरोप लगाए गए कि महाराष्ट्र में मतदाता सूची बढ़ गई थी. जब ड्राफ्ट सूची मौजूद थी, तो समय पर दावे और आपत्तियां क्यों दर्ज नहीं की गईं? जब नतीजे आ गए, तब कहा जाने लगा कि यह गलत है. आज तक महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास सबूत के साथ एक भी मतदाता का नाम नहीं भेजा गया है. चुनाव हुए आठ महीने हो चुके हैं… यह भी सवाल पूछा गया कि आखिर आखिरी एक घंटे में इतनी ज्यादा वोटिंग कैसे हुई? चुनाव आयोग ने तब भी स्पष्ट कहा था कि अगर 10 घंटे मतदान चलता है, तो औसतन हर घंटे 10% मतदान होना चाहिए… अगर आप किसी बात को 10 बार, 20 बार कहें, तो वह सच नहीं हो जाती. सूरज हमेशा पूरब से ही उगता है, पश्चिम से इसलिए नहीं उग जाएगा क्योंकि कोई बार-बार ऐसा कह दे.
डबल वोटिंग हो रही?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने डबल वोटिंग (double voting) पर भी जवाब दिया. उन्होंने साफ कहा कि विपक्ष द्वारा लगाए गए डबल वोटिंग के आरोप निराधार हैं और जब साक्ष्य मांगे गए, तो कोई जवाब नहीं मिला. आयोग और मतदाता ऐसे आरोपों से भयभीत नहीं हैं जो भी आरोप हैं, उनका सामना वे दृढ़ता से कर रहे हैं, बिना किसी भेदभाव के सबके साथ चट्टान की तरह खड़े हैं. बेबुनियाद वोट चोरी की बात करना संविधान का अपमान है, और आयोग इसे गंभीरता से ले रहा है.
चुनाव आयोग भेदभाव कर रहा?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “कानून के अनुसार, हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण से होता है, तो चुनाव आयोग उन राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है. चुनाव आयोग के लिए, कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी समकक्ष हैं… पिछले दो दशकों से, लगभग सभी राजनीतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने की मांग कर रहे हैं, इसके लिए चुनाव आयोग ने बिहार से एक विशेष गहन पुनरीक्षण की शुरुआत की है. SIR की प्रक्रिया में, सभी मतदाताओं, बूथ स्तर के अधिकारियों और सभी राजनीतिक दलों द्वारा नामित 1.6 लाख BLA ने मिलकर एक मसौदा सूची तैयार की है…
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
August 17, 2025, 17:15 IST