क‍िसका पैसा... जस्‍ट‍िस वर्मा केस में बीजेपी-कांग्रेस आए साथ, दोनों के एक सवाल

14 hours ago

Last Updated:March 25, 2025, 19:11 IST

Justice Yashwant Varma Cash Row :दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से कैश मिलने और आग लगने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमेटी बनाई है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों सवाल उठा रहे हैं कि पैसा किसका है और ए...और पढ़ें

क‍िसका पैसा... जस्‍ट‍िस वर्मा केस में बीजेपी-कांग्रेस आए साथ, दोनों के एक सवाल

जस्‍ट‍िस वर्मा के घर नकदी मिलने का दावा. (Photo_PTI)

हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा केस की जांच के लिए कमेटी बनाई.बीजेपी और कांग्रेस ने एफआईआर न होने पर सवाल उठाए.जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से हटाकर इलाहाबाद भेजा गया.

मधुपर्णा दास
द‍िल्‍ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से कथ‍ित तौर पर कैश मिलने और आग लगने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमेटी बैठाई है, जो जांच कर रही है. लेकिन इस मामले ने कट्टर विरोधी बीजेपी और कांग्रेस को एक मंच पर लाकर खड़ा कर द‍िया है दोनों एक ही भाषा में बात कर रहे हैं. सोशल मीडिया में दोनों के एक ही सवाल हैं. पूछ रहे हैं क‍ि आख‍िर पैसा क‍िसका है? अब तक एफआईआर दर्ज क्‍यों नहीं हुई? दोनों सुप्रीम कोर्ट की कोलेज‍ियम सिस्‍टम पर सवाल उठा रहे हैं.

बीजेपी और कांग्रेस दोनों पूछ रहे हैं क‍ि अगर आम लोगों के घर में इतनी बेह‍िसाब नगदी मिली होती तो क्‍या एफआईआर नहीं होती? क्‍या इनकम टैक्‍स का छापा नहीं पड़ता? क्या कानून – IPC और भारतीय न्‍याय संह‍िता (Bharatiya Nyaya Sanhita) जजों को यह छूट देता है क‍ि उनके ख‍िलाफ कोई कार्रवाई न हो? क्या अचानक लगी आग महज संयोग थी या सबूत नष्ट करने के लिए लगाई गई थी? इसने न्यायिक पारदर्शिता के सवाल को और भी सामने लाकर खड़ा कर द‍िया है. पूछा जा रहा है क‍ि क्या सत्ता के किसी भी पद को कानून और उचित प्रक्रिया के सिद्धांतों से ऊपर होना चाहिए.

पुलिस जांच पर सीमित या शून्य जानकारी
फोरेंसिक रिपोर्ट, नकदी के अवशेष, कथित रूप से जलाई गई और बरामद की गई अनुमानित राशि के बारे में हम वास्तव में क्या जानते हैं? जवाब है? बहुत कुछ नहीं. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस बात की पुष्टि करने के लिए कोई एफआईआर या सामान्य पुलिस डायरी भी नहीं थी कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी, या लगाई गई थी. भले ही जस्टिस वर्मा ने अपने बचाव में नकदी के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया हो, लेकिन अभी तक यह पता लगाने के लिए कोई पुलिस जांच नहीं हुई है कि यह नकदी किसकी थी? इस बीच, सोशल मीडिया पर ढेर सारी अपुष्ट जानकारी, तस्वीरें और क्लिप्स की बाढ़ आ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है. रिपोर्ट आने तक न्यायाधीश को दिल्ली हाईकोर्ट के दायित्वों से मुक्त कर दिया गया है. उन्हें वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया गया है. वहां बार एसोसिएशन विरोध कर रहा है.

तुरंत इस्‍तीफा दे देना चाहिए
न्यूज़18 ने रिटायर्ड जजों, सीनियर इनकम टैक्‍स अफसरों, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों और इलाहाबाद हाईकोर्ट के कुछ साथियों से बात की. वे सर्वसम्मति से इस बात पर सहमत थे कि कानून समान होना चाह‍िए. खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें इसकी व्याख्या करने का काम सौंपा गया है. सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील विकास भट्टाचार्य ने कहा, एक न्यायाधीश जिम्मेदारी से बच नहीं सकता. उसके परिसर में नकदी कैसे पहुंची, इसका जवाब चाहिए. कोई भी औचित्य नैतिक जवाबदेही को खत्म नहीं कर सकता. उन्हें न्यायपालिका की पवित्रता के लिए इस्तीफा दे देना चाहिए था. किसी भी आम नागरिक के लिए, इस तरह के मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, पीएमएलए और आईटी अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए, और तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए.

Location :

New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

March 25, 2025, 19:11 IST

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