कन्हैया कुमार क्यों कर रहे हैं बिहार में नई सड़कों और औद्योगीकरण का विरोध?

3 days ago

Last Updated:March 26, 2025, 11:46 IST

Kanhaiya Kumar News: कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने बिहार में नई सड़कों और औद्योगीकरण को साजिश बता दिया है. उन्होंने कहा कि उद्योगपति बिहार के जल संसाधनों पर नजर गड़ाए हैं और बिहार को लूटने की योजना बना रहे हैं...और पढ़ें

कन्हैया कुमार क्यों कर रहे हैं बिहार में नई सड़कों और औद्योगीकरण का विरोध?

कन्हैया कुमार ने बिहार में औद्योगिकरण और सड़कों के निर्माण को साजिश बताया.

हाइलाइट्स

कन्हैया कुमार ने बिहार में नई सड़कों के निर्माण को साजिश बताया.कन्हैया का दावा: उद्योगपति बिहार के जल संसाधनों पर नजर गड़ाए हैं.बिहार में कांग्रेस की 'नौकरी दो, पलायन रोको' यात्रा के दौरान बयान.

हँसि हँसि पनवा खियवले बेइमनवकि अपना बसे रे परदेस…कोरी रे चुनरिया में दगिया लगाइ गइले मारी रे करेजवा में तीर…वर्ष 1963 में फिल्म निर्देशक एसएन त्रिपाठी ने भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के लिखे इस गीत को ‘ विदेशिया’ फिल्म में फिल्माया था. आज भी एक बिहार इस गीत को जितनी बार सुनता वह बिहारी मानस का भाव से भर जाता है और पलायन के दर्द को दिल से अनुभव करने लगता है. हालांकि, बदले दौर में बिहार प्रदेश और बिहार के लोग पलायन की पीड़ा और दंश को झेलते हुए आगे बढ़े और देश-विदेश में फैल गए. अपने लिए कई जगहों पर मुकाम हासिल किया और बिहारियों का मान बढ़ाया. लेकिन परदेश जाकर कमाने का दर्द आज भी एक बिहारी मानस को सालता है. यही कारण है कि दशकों से बिहार के औद्योगीकरण की मांग करते रहे. बीते दौर में बिहार के पिछड़ेपन और पलायन को सड़कों की दु:स्थिति और यहां की राजनीति की मानसिकता से भी से जोड़ा जाता रहा. अब एक बार फिर यह मुद्दा चर्चा के केंद्र में आ गया है क्योंकि बिहार में कांग्रेस पार्टी ‘नौकरी दो, पलायन रोको’ यात्रा कर रही है और पार्टी के नेताकन्हैया कुमार बिहार में नई सड़कों के निर्माण और औद्योगीकरण को बड़ी साजिश बता दिया है.

कन्हैया कुमार ने सोमवार को दरभंगा में मीडिया से बात करते हुए कहा कि दुनिया में जिस तरह पानी कम हो रहा है दुनिया भर के पूंजी पतियों और कारोबारी की नजर बिहार के पानी पर है. कन्हैया कुमार ने सवाल उठाया है कि बिहार में बड़ी सड़क क्यों बनाई जा रही हैं? उन्होंने इसको केंद्र सरकार इनका एक साजिश के तहत जोड़ा है और कहा है कि ऐसा इसलिए हो रहा है कि बिहार में जल संसाधन है और भविष्य में पानी पेट्रोल से भी महंगा होने वाला है. सभी उद्योगपतियों की नजर बिहार के जल संसाधन पर है और इन्हीं सड़कों से बिहार के जल संसाधन पर औद्योगिक जगत कब्जा कर लेगा और बिहार के संसाधनों को लूट लेगा. सोमवार को बिहार के दरभंगा में उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा जिस तरह पानी कम हो रहा है और दुनिया भर के पूंजीपतियों और कारोबारी की नजर बिहार के पानी पर है.

कन्हैया कुमार ने कहा कि जब औद्योगिक प्रांगण का विकास होना था तब औद्योगीकरण नहीं हुआ. जब इंडस्ट्रियल ऑटोमेटिक हो गया लोकल लोगों को रोजगार नहीं मिलेगा तब यह लोग छोटी-छोटी यूनिट लेकर आ रहे हैं, ताकि यहां के पानी का दोहन कर सके. यहां जो बड़ी-बड़ी सड़कें बन रहीं हैं, हमारे पास तो इनकम नहीं है तो यह लोग सड़क बना रहे हैं, आखिर किसके लिए सड़क बना रहे हैं ? यहां के संसाधन को लूट कर ले जाने के लिए. कन्हैया कुमार ने बिहार में बनने वाले मखाना खेती के विकास और मखाना बोर्ड पर कहा, आपको क्या लगता है मखाना पर प्रधानमंत्री जी ने भाषण देकर मस्का मार के गए हैं. यहां के संसाधनों पर उद्योगपतियों की नजर है. मैं चुनाव की बात नहीं कर रहा हूं. जब चुनाव होगा इस मुद्दे पर धमक के साथ बोलेंगे. भाजपा बिहार में किसी प्रकार चाहती है कि उनका मुख्यमंत्री बने। भाजपा का मुख्यमंत्री बनने का मतलब है कि बिहार का संसाधन अडानी के हाथ में होगी. कन्हैया कुमार के इस बयान को लेकर बिहार में राजनीति गर्मा गई है. कन्हैया कुमार की सोच पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. सवाल पूछा जा रहा है कि- आखिर कन्हैया कुमार बिहार में नई सड़कों और औद्योगीकरण का विरोध क्यों कर रहे हैं?

दरभंगा में मीडिया से बात करते हुए कन्हैया कुमार.

बता दें कि लगातार बिहार की सड़कों का मजाक भी उड़ाया जाता रहा है अब दौर बदला है तो बिहार में भी विकास की रफ्तार पकड़ी है. बिहार में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है. चार एक्सप्रेस वे समेत कई सिक्स लेन और फोर लेन सड़कों का निर्माण हो रहा है. लालू यादव के कार्यकाल में लगाए गए  मढौरा और मधेपुरा जैसे रेल कारखानों को भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दौर में बिहार को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है. इसके साथ आगे बढ़ता बिहार अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में औद्योगीकरण की राह पर भी आगे बढ़ चला है. बिहार में 17 इथेनॉल की फैक्ट्रियां कुछ सॉफ्टवेयर कंपनियों के साथ ही बिहार में औद्योगिक प्रोत्साहन नीति ने पूंजी निवेश की फिजा बदली है. बिहार का औद्योगिकरण हो रहा है लेकिन कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार को शायद कांग्रेस को यह इसमें साजिश नजर आ रही है.

विशेषज्ञों की दृष्टि में कन्हैया कुमार की वामपंथी विचारधारा की पृष्ठभूमि रही है और अपने राजनीतिक कद को इसी सोच के तहत संवारते हुए आगे बढ़े हैं. कन्हैया कुमार यह भूल गए हैं कि वह अब कांग्रेस पार्टी में हैं, जो लगातार औद्योगिकीकरण पर बल देती रही है. बिहार में उद्योग की खस्ताहाल को लेकर सवाल उठाती रही है. अब जब वह कांग्रेस में हैं तब भी उनकी सोच कैसे हो सकती है. ऐसा माना जा रहा है कि कन्हैया कुमार वामपंथी विचारधारा से अपने आप को अलग नहीं कर पा रहे हैं, जो औद्योगिकरण और पूंजी निवेश के विरोधी कहे जाते हैं. उनकी इस नई फिलॉसफी से क्या बिहार का फायदा होने वाला है? या फिर उनके सवालों से बिहार में निवेश उद्योग और यहां के विकास में बाधा आने वाली है?

राजनीति के जानकार यह सवाल उठाते हैं कि एक दौर ऐसा भी था जब अटल बिहारी वाजपेई ने बिहार की सड़कों का जिक्र करते हुए एक किस्सा सुनाया था. दौर लालू-राबड़ी शासन काल का था. उन्होंने कहा, एक स्कूटर पर सवार पति पत्नी जा रहे थे. पति स्कूटर चलाते हुए पीछे पत्नी को टोहता रहता था कि वह बैठी है या नहीं. किसी ने शख्स से पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं तो उन्होंने कहा किउनकी मंशा यह थी कि वह अपनी पत्नी की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे क्योंकि सड़कें इतनी उबड़ खाबड़ थीं कि उनको हमेशा डर लगता था कि पत्नी कहीं गिर न गई हों. अटल बिहारी वाजपेई ने यह किस्सा सुनाते हुए तंज कसा था कि- बिहार में सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क…पता ही नहीं लगता.

दरअसल, बिहार की तुलना लालू-राबड़ी शासन काल में उस दौर से भी की जाती है जब बिहार में सड़की की हालत खस्ता थी. न बिजली रहती थी और न ही कोई उद्योग था. जो उद्योग थे वह भी कानून-व्यवस्था के खराब होने के कारण खत्म हो गए और पूंजी निवेश की बात तो दूर की कौड़ी हो गई थी. बाद में दौर बदला और वर्ष 2005 में जब नीतीश कुमार सत्ता में आए तो इसके बाद के दौर में औद्योगिक प्रोत्साहन नीति बनाई और इसका असर भी दिखा. बिहार में उद्योग की स्थिति में सुधार हो रहा है, खासकर रेशम उद्योग, मखाना की एग्रो बेस्ड उद्योग बिहार में उद्योगों को सब्सिडी दी जा रही है. बिजली और पानी की आपूर्ति सहित अन्य सुविधाएं सरकारी स्तर पर प्रदान किया जा रहा है.

हालांकि, बिहार में उद्योगों की वृद्धि में कई चुनौतियां अभी भी हैं. इनमें बुनियादी ढांचे की कमी, कुशल श्रमिकों की कमी और वित्तीय संसाधनों की कमी शामिल हैं. जिस जल संसाधन को लेकर कन्हैया कुमार ने सवाल उठाए हैं तो इसकी हकीकत यह है कि बिहार में अब तक 44% भूजल का यहां दोहन हो चुका है.बिहार की नदियों में हर वर्ष बाढ़ आती है और यह बिहार को दर्द दे जाता है. यानी जिस मुद्दे को कन्हैया को उठाना चाहिये वह नहीं उठा रहे हैं. बता दें कि बीते दिसंबर में बिहार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट हजारों करोड़ के निवेश के लिए एमओयू (MOU) साइन किया गया है. बिहार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में बिहार एक तरह से मालामाल होता नजर आया. बिहार बिजनेस कनेक्ट के दौरान 1 लाख 80 हजार करोड़ का MOU साइन किया गया था.

बिहार बिजनेस कनेक्ट के दौरान 2900 करोड़ का टूरिज्म में प्रपोजल आया है. वहीं टाटा की तरफ स्किलिंग के लिए बड़ा प्रस्ताव आया है. वहीं टेक्सटाइल्स में 24 यूनिट आए जिसमें करीब 1300 करोड़ का इन्वेस्टमेंट है. प्लास्टिक रबर का 5 यूनिट 665 करोड़ का इंवेस्टमेंट आया है. इसके अलावा हेल्थ में 35 प्रस्ताव आए हैं जिसमें 3360 करोड़ का इन्वेस्टमेंट आया है. वहीं अडानी ग्रुप ने 20000 करोड़ के नए निवेश का ऐलान किया है. हालांकि अडानी के साथ अभी MOU साइन नहीं हुआ है. लेकिन, अडानी ग्रुप के नए निवेश से बिहार में 60000 से अधिक नौकरियों के अवसर पर पैदा होंगे. अब जब कन्हैया कुमार जैसे नेताओं के सवालों के आधार पर बिहार की सड़कों का निर्माण, इन्फ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिकरण ही राजनीति के निशाने पर आ जाएगा तो निवेशकर्ताओं में कहीं भ्रम और संशय की स्थिति न फैल जाए और बिहार का विकास की रफ्तार कहीं फिर पटरी से उतर ना जाए.

First Published :

March 26, 2025, 11:46 IST

homebihar

कन्हैया कुमार क्यों कर रहे हैं बिहार में नई सड़कों और औद्योगीकरण का विरोध?

Read Full Article at Source