Last Updated:June 29, 2025, 16:52 IST
PM Modi Mann Ki Baat & George Fernandes Story: आपातकाल की 50वीं बरसी पर पीएम मोदी ने 'मन की बात' में जॉर्ज फर्नांडिस की कहानी सुनाई. जानें जॉर्ज ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए कैसे संघर्ष किया और उन्हें क्यों जंजी...और पढ़ें

आपातकाल के दौरान जार्ज को जंजीरों में जकड़कर क्यों लाया गया?
हाइलाइट्स
जॉर्ज फर्नांडिस कोलकाता के गिरजाघर से गिरफ्तार हुए.पीएम मोदी ने 'मन की बात' में जॉर्ज की कहानी सुनाई.जॉर्ज फर्नांडिस को जंजीरों में बांधकर पेश किया गया.नई दिल्ली. आपातकाल की 50वीं बरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 123वें एपिसोड में जॉर्ज फर्नांडिस की अनकही कहानी को फिर से जिंदा कर दिया. पीएम ने कहा, ‘जॉर्ज फर्नांडिस साहब को जंजीरों में बांधा गया था. मीसा जैसे कठोर कानून के तहत लोगों को बिना वजह जेल में डालागया.’ पीएम मोदी का मन की बात कार्यक्र में एक घटना का जिक्र नहीं था, बल्कि उस दौर की क्रूरता और उस इंसान की कहानी थी, जिसने लोकतंत्र को बचाने के लिए जान की बाजी लगा दी. 25 जून 1975 की आधी रात जब भारत सो रहा था, तब लोकतंत्र पर एक काला साया मंडराने लगा. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी, और देश की आजादी की सांसें जंजीरों में जकड़ दी गईं. इस दौर में एक नाम गूंजा जॉर्ज फर्नांडिस का, वह समाजवादी योद्धा, जिसने तानाशाही के खिलाफ डटकर मुकाबला किया.
जॉर्ज फर्नांडिस एक तेज-तर्रार समाजवादी नेता और श्रमिक आंदोलन के अगुआ नेता थे. 1970 के दशक में जार्ज इंदिरा सरकार के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द थे. 1974 में उनकी अगुवाई में हुई रेल हड़ताल ने सरकार की नींव हिला दी थी. लाखों रेल कर्मचारियों ने उनके एक आह्वान पर काम ठप कर दिया, जिसने इंदिरा गांधी को बेचैन कर दिया. जब आपातकाल लागू हुआ तो जॉर्ज अपनी पत्नी लैला के साथ ओडिशा के गोपालपुर में छुट्टियां मना रहे थे. जैसे ही आपातकाल की खबर मिली, वह समझ गए कि अब समय छिपने और लड़ने का है. जॉर्ज भूमिगत हो गए. भेष बदलकर कभी साधु, कभी मजदूर तो कभी आम आदमी के वेश में वह देशभर में घूमने लगे, ताकि आपातकाल के खिलाफ प्रतिरोध को जिंदा रख सकें.
मन की बात में पीएम मोदी ने आपातकाल का जिक्र किया.
गिरिजा घर से कैसे हुई थी जार्ज की गिरफ्तरी?
कोलकाता उनकी गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र था. वहां वह गुप्त रूप से सहयोगियों से मिलते, योजनाएं बनाते और सरकार के खिलाफ आंदोलन को हवा दे रहे थे. लेकिन 10 जून 1976 को उनकी किस्मत ने पलटा खाया. कोलकाता के एक गिरजाघर में, जहां वह भेष बदलकर छिपे थे वहां सीबीआई की एक टीम ने उन्हें दबोच लिया. उन पर ‘बड़ौदा डायनामाइट केस’ का आरोप था. सरकार का दावा था कि जॉर्ज ने विस्फोटकों के जरिए सशस्त्र विद्रोह की साजिश रची थी. यह आरोप कितना सच था यह बाद में सामने आया, लेकिन उस समय सरकार को एक बहाना चाहिए था ताकि जॉर्ज जैसे खतरनाक विरोधी को जेल की सलाखों के पीछे डाला जा सके.
जंजीरों में बंधा शेर को पिंजरे में कैद किया
गिरफ्तारी के बाद जॉर्ज को कोलकाता से दिल्ली लाया गया. जब उन्हें दिल्ली की अदालत में पेश किया गया तो वह दृश्य हर किसी के रोंगटे खड़े कर देने वाला था. जॉर्ज फर्नांडिस, जो कभी लाखों मजदूरों की आवाज थे, जंजीरों में जकड़े हुए थे. उनके हाथ-पैर भारी लोहे की जंजीरों से बंधे थे, जैसे वह कोई खूंखार अपराधी हों. पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में इस दृश्य का जिक्र करते हुए कहा, ‘जंजीरों में बंधा जॉर्ज फर्नांडिस लोकतंत्र के गले की घंटी है.’ यह दृश्य उस तानाशाही का प्रतीक था, जो न केवल विरोधियों को कुचलना चाहती थी, बल्कि उन्हें अपमानित कर जनता में डर पैदा करना चाहती थी.
25 जून 1975 को लागू की गई इमरजेंसी को आज 50 साल हो गए.
पीएम मोदी का संदेश और सियासी मायने
जॉर्ज की जंजीरों ने न केवल उनके शरीर को बांधा, बल्कि यह उस दौर के लोकतंत्र पर पड़ी जंजीरों का भी प्रतीक था. मीसा जैसे कठोर कानून के तहत हजारों लोग बिना किसी ठोस सबूत के जेल में डाले गए. जॉर्ज को जंजीरों में देखकर देशभर में आक्रोश की लहर दौड़ गई. यह घटना आपातकाल के खिलाफ जनता के गुस्से को और भड़काने का कारण बनी.
बिहार और जॉर्ज का नाता
जॉर्ज फर्नांडिस का बिहार से गहरा नाता था. जेपी आंदोलन, जिसने आपातकाल के खिलाफ देशव्यापी प्रतिरोध को जन्म दिया, बिहार की धरती से शुरू हुआ था. जॉर्ज इस आंदोलन के प्रमुख स्तंभ थे. 1977 में जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल हटाकर चुनाव की घोषणा की तो जॉर्ज ने मुजफ्फरपुर से जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा. जंजीरों में जकड़ा वह शेर जनता के दिलों में बस गया था. उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की और यह जीत आपातकाल की तानाशाही पर जनता की जीत थी.
पीएम मोदी का जॉर्ज फर्नांडिस का जिक्र सिर्फ इतिहास की याद नहीं, बल्कि एक सियासी संदेश भी है. बिहार, जहां 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं, जेपी आंदोलन की कर्मभूमि रहा है. बीजेपी इस मुद्दे को कांग्रेस की तानाशाही के प्रतीक के रूप में उछाल रही है. जॉर्ज फर्नांडिस की जंजीरों में बंधी वह तस्वीर आज भी लोकतंत्र के लिए उनके बलिदान की गवाही देती है. कोलकाता के गिरजाघर से उनकी गिरफ्तारी और जंजीरों में पेशी ने आपातकाल की क्रूरता को उजागर किया. पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में इस घटना को याद कर न केवल जॉर्ज के साहस को सलाम किया, बल्कि यह भी दिखाया कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए कितने बड़े बलिदान दिए गए.
Location :
New Delhi,Delhi