कारगिल में C-17 की लैंडिंग क्यों है गेमचेंजर? चीन-पाक के लिए खतरे की घंटी

1 month ago

Last Updated:March 06, 2025, 11:00 IST

C-17 GLOBEMASTER: भारत ने इस विशालकाय मालवाहक विमान को अमेरिका से खरीदा है.यह दुनिया के सबसे बड़े मालवाहक जहाजों में से एक है.भारत ने अब तक जितने भी विदेशों या देश में रेस्क्यू ऑपरेशन किए है उनमें ज्यादातर इन्ह...और पढ़ें

कारगिल में C-17 की लैंडिंग क्यों है गेमचेंजर? चीन-पाक के लिए खतरे की घंटी

टू फ्रंट वॉर में होगा गेम चेंजर भारतीय वायुसेना का C-17 ग्लोबमास्टर

हाइलाइट्स

C-17 ग्लोबमास्टर ने कारगिल में पहली ट्रायल लैंडिंग की.C-17 से सेना का मूवमेंट और लॉजिस्टिक सपोर्ट 4 गुना बढ़ेगा.सर्दियों में 30-35 टन और गर्मियों में 20-25 टन लोड ले जा सकेगा.

C-17 GLOBEMASTER: जम्मू कश्मीर और लद्दाख पर चीन पाकिस्तान की नजरें शुरू से ही गलत रहीं है. पाकिस्तान ने 1999 में कारगिल में घुसबैठ कर के अपनी मंशा दिखा दी थी. चीन ने 2020 में पूर्वी लद्दाख में उसी तरह की हरकत को दोहराने की कोशिश की थी. चूंकी यह दोनों देश आपस में ऑल वेदर फ्रेंड है तो खतरा भारत के लिए और बढ़ जाता है. भारत टू फ्रंट वार की संभावनों के तहत अपनी तैयारियों को तेज कर चुका है. श्रीनगर से लद्दाख को जोड़ने वाली सड़क को ऑलवेदर किया जा रहा है. जोजिला पर टनल भी जल्दी शुरू होगी. बर्फबारी के दौरान श्रीनगर से कारगिल को जोड़ने वाली नेश्नल हाइवे नंबर 1 बंद हो जाता है. ऐसे समय में सेना की जरूरतों को ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के जरिए पूरा किया जाता है. भारतीय वायुसेना के एयरक्राफ्ट के जरिए कारगिल एयर स्ट्रिप पर सामान पहुंचाया जाता रहा है. एयर कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए श्रीनगर और लेह के बीच इकलौते कारगिल एयर फील्ड को अब एक्टिव किया जा रहा है. इसी के मद्देनजर बुधवार को वायुसेना ने C-17 ग्लोब मास्टर ट्रांसपेर्ट एयरक्राफ्ट की पहली ट्रायल लैंडिंग कराई गई.

C-17 कारगिल लैंडिग के मायने
C-17 का कारगिल पहुंचना अपने आप में ही बेहद खास है. इससे सेना की मूवमेंट और लॉजेस्टिक सपोर्ट ऑपरेशन की क्षमता पहले से 4 गुना बढ़ जाएगी. भारी भरकम हथियार उपकरणों को अब सड़क मार्ग के बजाए सीधा कारगिल तक C-17 के जरिए पहुंचाया जा सकेगा. इससे समय की बचत होगी. अभी तक इस एयर फील्ड से An-32 और C-130J को ऑपरेट किया जाता रहा है. An-32 की लोड कैपेसिटी 3 से 4 टन के करीब है. C-130 J सुपर हर्क्यूलिस की क्षमता 6 से 7 टन की है. C-17 ग्लोबमास्टर अकेले ही इन दोनों से 3-4 गुणा ज्यादा लोड उठा सकता है. सर्दियों में इससे 30 से 35 टन लोड और गर्मियों में 20 से 25 टन लोड आसानी से कारगिल में उतारा जा सकेगा. एक बार में 180 से ज्यादा सैनिकों को उनके साजो-सामान के साथ आसानी से वॉर फ्रंट में तैनात किया जा सकेगा. इस एयरक्राफ्ट से एयरलिफ्ट और एयरड्राप मिशन को भी अंजाम दिया जा सकेगा. अगर कभी चीन के साथ जंग हुई तो उसकी नजर लद्दाख के सभी एयर फील्ड को नुकसान पहुंचाने की जरूर होगी. ऐसे में कारगिल के इस एयरफील्ड तक उसका पहुंच पाना संभव नहीं होगा. लेहाजा सेना का ऑपरेशन C-17 के जरिेए कारगिल एयर फील्ड से जारी रखा जा सकेगा. हांलाकि पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध के दौरान कारगिल एयर फील्ड को निशाना बनाया था क्योंकि यह LOC के बेहद करीब स्थित है.

चीन के साथ तनाव में खूब इस्तामल हुआ C-17
2020 में चीन को सबक सिखाने के लिए भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट विमानों का सबसे बड़ा हाथ था. उस वक्त चीन की सेना और सैन्य साजोसामान की मौजूदगी भारतीय सेना से कहीं ज्यादा थी. चीन के बराबर यानी की मिरर डेपलायमेंट करने के लिए भारतीय वायुसेना ने अपने ऑपरेशन को शुरू किया था. इतना बड़ा एयर ऑपरेशन बीस साल बाद यानी की कारगिल युद्ध के बाद हुआ. ऑपरेशन मूवमेंट के तहत भारतीय वायुसेना ने अपने हैवी ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के जरिये 330 BMP यानी की ऑर्मर्ड पर्सनल कैरियर वेहिकल, 90 टैंक और आर्टेलरी गन और 68 हजार से ज़्यादा सैनिकों को कम समय में पूर्वी लद्दाख तक पहुंचाया गया था. इसमें C-17 ग्लोबमास्टर, IL -76 , C-130 J सुपर हर्कूयलिस , AN-32 फिक्सड विंग के साथ साथ हैलिकॉप्टर ने भी मोर्चा संभाल लिया था. हाई ऑलटेट्यूड में ट्रांसपोर्ट ऑप्रेशन के जरिए 9000 टन से ज्यादा लोड का मूवमेंट किया गया था. इसमें बड़े भारी भरकम हथियारों और सैनिकों के अलावा राशन, एम्यूनेशन, हाई ऑलटेट्यूड टैंट, स्पेशल क्लोथिंग, फ्यूल जैसे जरूरी सामानों को लगातार लेह और फॉरवर्ड एरिया में पहुंचाया जा रहा था. अब जरूरत पड़ने पर इसी तरह के ऑपरेशन पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल के इलाके से भी चलाए जा सकेंगे.

First Published :

March 06, 2025, 10:31 IST

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