कैंसर पेशेंट की 1 महीने में होगी 40 हजार रुपये की सेव‍िंग, बजट में ऐलान...

1 month ago

Cancer Drugs in Budget 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट में इस बार हेल्‍थ सेक्‍टर के लिए वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैंसर मरीजों के लिए अपना पिटारा खोल दिया है. बजट 2024 में वित्‍त मंत्री ने कैंसर की इंपोर्टेड दवाओं से कस्‍टम ड्यूटी को हटा दिया है. अभी तक कैंसर की इन तीनों दवाओं पर 10 फीसदी कस्‍टम ड्यूटी लगती थी, जिसे हटाकर जीरो कर दिया गया है. इससे कैंसर मरीजों की हर महीने करीब 40 हजार रुपय की बचत हो सकेगी.

कैंसर की ये तीनों दवाएं लाइफ सेविंग इंपोर्टेड ड्रग्‍स हैं. आइए ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, आईआरसीएच में डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल ऑकोलॉजी में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. अजय गोगिया से जानते हैं, कैंसर की कौन-कौन सी दवाएं, कितनी सस्‍ती हुई हैं, इनसे मरीजों को कितनी राहत मिलने वाली है?

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कैंसर की ये तीन दवाएं हुई हैं सस्‍ती

1. ट्रास्‍टुजुमैब डेरेक्‍सटेकन (trastuzumab deruxtecan)
2. ओसिमेर्टिनिव (Osimertinib)
3. डुर्बालुमैव (Durvalumab )

किस कैंसर में आती हैं काम, क्‍या हैं कीमतें?

. ट्रास्‍टुजुमैब डेरेक्‍सटेकन- यह दवा सभी प्रकार के पॉजिटिव ब्रेस्‍ट कैंसर के इलाज में काम आती है. जब कैंसर शरीर के अन्‍य हिस्‍सों में भी फैल चुका होता है तो इसे एक एंटीबॉडी ड्रग के रूप में इस्‍तेमाल किया जाता है. इसे हरसेप्टिन नाम से भी जाना जाता है. इसे गैस्ट्रिक कैंसर में इस्‍तेमाल के लिए भी अध्‍ययन किया जा रहा है.

यह दवा आमतौर पर कैंसर के मरीज को 3 हफ्ते में एक बार लेनी होती है. इसकी एक डोज में 3 वायल लगते हैं, लिहाजा इसकी कीमत अनुमानित 4 लाख रुपये तक आती है.

. ओसिमेर्टिनिव- यह दवा नॉन स्‍मॉल सेल लंग कैंसर में टार्गेटेड थेरेपी के रूप में इस्‍तेमाल होती है. यह दवा खासतौर पर ईजीएफआर इनहेबिटर्स पीढ़‍ियों के प्रति रेजिस्‍टेंट हो चुके कैंसर के खिलाफ बेहतरीन काम करती है. यह ड्रग मरीज को रोजाना लेनी होती है. इसकी एक महीने की खुराकों की कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपये तक आती है.

. डुर्बालुमैव- यह एक इम्‍यूनोथेरेपी ड्रग है जो पीडी-एल1 प्रोटीन को ब्‍लॉक करके इम्‍यून सिस्‍टम को एक्टिव करने में मदद करती है. इसे नॉन स्‍मॉल सेल लंग कैंसर और ब्‍लैडर कैंसर के इलाज के लिए खासतौर पर तब इस्‍तेमाल किया जाता है जब शुरुआती इलाज असफल हो चुका होता है.

यह दवा भी मरीज को 3 हफ्ते यानि करीब 21 दिन में एक बार लेनी होती है. इसकी एक खुराक की बाजार में कीमत अनुमानित ढ़ाई लाख रुपये के आसपास है.

बजट की राहत से कितनी सस्‍ती होंगी दवाएं

डॉ. अजय गोगिया कहते हैं कि कैंसर की इंपोर्टेड दवाएं पहले से ही काफी महंगी हैं. हालांकि आजकल ये भारत में भी मौजूद हैं. फिर भी इन लाइफ सेविंग ड्रग्‍स की कीमत इतनी ज्‍यादा है कि इन्‍हें रूटीन में ले पाना मरीजों के लिए काफी महंगा पड़ता है. एक अनुमान के अनुसार करीब 5 फीसदी मरीज ही इन दवाओं को खरीद पाने में सक्षम हैं. बाकी सभी लोग इन दवाओं के विकल्‍प से इलाज लेते हैं.

बजट में इन दवाओं से 10 फीसदी कस्‍टम ड्यूटी को हटाने के बाद इनकी कीमतों में लगभग 10 फीसदी का अंतर आएगा. ऐसे में एक महीने में 4 लाख की दवा बजट में मिली इस राहत के बाद करीब साढ़े 3 लाख की पड़ेगी. ऐसे में मरीज हर महीने करीब 40-50 हजार रुपये की बचत कर पाएंगे हालांकि ये मरीजों के लिए अभी भी महंगी होंगी.

सस्‍ते विकल्‍प भी हैं मौजूद 

डॉ. गोगिया कहते हैं कि कैंसर की ये तीनों दवाएं महंगी हैं लेकिन भारत में इन दवाओं के सस्‍ते विकल्‍प भी मौजूद हैं. ऐसे में जो मरीज इन्‍हें नहीं खरीद पाते, उनके लिए सस्‍ती दवाएं उपलब्‍ध हैं हालांकि ये जरूर है कि वे इन दवाओं के बराबर असरदार न हों लेकिन मरीजों की जेब की पहुंच में होने के चलते दी जाती हैं.

Tags: Budget session, Finance minister Nirmala Sitharaman, Health News, Trending news

FIRST PUBLISHED :

July 23, 2024, 14:54 IST

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