नई दिल्ली. पिछले करीब 200 से ज्यादा दिनों से प्रदर्शनकारी किसान पंजाब-हरियाणा के बीच के शंभू बॉर्डर पर डटे हैं. उन्होंने इस सीमा को पूरी तरह ब्लॉक कर रखा है, जो सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने इस विरोध-प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए रिटायर्ड जस्टिस नवाब सिंह को जिम्मा सौंपा है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने किसानों की शिकायतें दूर करने और वहां से धरना हटवाने के लिए इस समिति को एक हफ्ते के अंदर बैठक बुलाने का निर्देश दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि नवाब सिंह कौन हैं और सुप्रीम कोर्ट ने क्यों उन्हें शंभूं बॉर्डर से बोल्डर हटवाने का टास्क सौंपा है.
इस साल फरवरी में ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ (गैर-राजनीतिक) और ‘किसान मजदूर मोर्चा’ ने उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर दिल्ली कूच का ऐलान किया था. ऐसे में किसानों के पिछले विरोध प्रदर्शन को देखते हुए हरियाणा सरकार पहले ही अलर्ट हो गई और उसने पंजाब से सटे शंभू बॉर्डर पर बोल्डर लगाकर उसे बंद कर दिया था. तब से लेकर आज तक किसान वहां अंबाला-नई दिल्ली नेशनल हाईवे पर डटे हैं और वह सड़क बंद है, जिससे आम लोगों को आवाजाही में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
कौन हैं नवाब सिंह?
ऐसे में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया, जिसने रिटायर्ड जस्टिस नवाब सिंह की अध्यक्षा वाली समिति को निर्देश कि वह आम जनता की सुविधा के लिए नेशनल हाईवे से ट्रैक्टर, ट्रॉलियां आदि हटाने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत करें. रिटायर्ड जस्टिस नवाब सिंह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज हैं. 1984 में हरियाणा सुपीरियर न्यायिक सेवा में चयन से पहले उन्होंने अंबाला जिले में वकील के रूप में काम किया था. फिलहाल वह हरियाणा राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष हैं और उनके पास ऐसे मसलों को खासा अनुभव माना जाता है.
ऐसे में देखना होगा कि क्या अब प्रदर्शनकारी किसानों को मना पाएंगे और शंभू बॉर्डर को खुलवा पाएंगे. वैसे इस पैनल में जस्टिस नवाब सिंह के अलावा, हरियाणा के पूर्व डीजीपी बीएस संधू, कृषि विश्लेषक देवेंद्र शर्मा, प्रोफेसर रणजीत सिंह घुमन, कृषि अर्थशास्त्री डॉ. सुखपाल सिंह और प्रोफेसर बलदेव राज कंबोज भी शामिल हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने इस समिति को एक हफ्ते के अंदर अपनी पहली बैठक बुलाने को कहा है.
हरियाणा और पंजाब सरकार को भी निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई में हरियाणा और पंजाब से उन शर्तों के बारे में सुझाव देने को कहा था, जिन पर इस एक्सपर्ट पैनल को विचार करना चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों से किसानों तक पहुंचने के लिए कुछ कदम उठाने को कहा था और एक तटस्थ प्रतिनिधि भेजने का सुझाव दिया था.
बता दें कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 10 जुलाई को एक हफ्ते के भीतर पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू सीमा को खोलने का निर्देश दिया था. जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस विकास बहल की बेंच ने अपने आदेश में पंजाब और हरियाणा सरकारों से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि हाईवे को उसके मूल स्वरूप के अनुसार बहाल किया जाए और जनता की सुविधा के लिए इसे पूरी तरह से खोल दिया जाए.
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FIRST PUBLISHED :
September 4, 2024, 14:28 IST