हम सभी के घरों में छिपकली अक्सर घूमती हुई नजर आ जाती है. सभी की कोशिश होती है कि छिपकली को घर से बाहर ही रखें. हमारे देश में माना जाता है कि छिपकली अगर खाने के किसी सामान में चली जाए तो वो जहरीला हो जाता है. दूध के लिए तो ये बात खासतौर पर कही जाती रही है. कई बार तो ऐसी खबरें अखबारों में छपी मिली हैं.
तो क्या छिपकली जहरीली होती है. अगर ये दूध में गिर जाए और गलती से वो दूध पी लिया जाए तो क्या होगा. वैसे साइंस कहती है कि ना तो छिपकली जहरीली होती है और ना ही इसके गिरने से दूध जहरीला हो जाएगा. जानते हैं इस बारे में साइंस क्या कहती है. आगे ये भी बताएंगे कि दुनिया में कौन से लोग छिपकली भी खा जाते हैं.
वैसे छिपकली कई जगहों पर घूमती है. उसके शरीर पर गंदगी हो सकती है, जिस वजह से दूध दूषित हो जाता है. उसे पीने से पेट दर्द, उल्टी या दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इससे किसी की मृत्यु नहीं होती है.
कुछ मामलों में लोगों को बीमार पड़ने की खबरें आती हैं, लेकिन यह दूध में गंदगी या बैक्टीरिया के कारण होता है, न कि जहर के कारण. साइंस भी यही कहती है. साइंस के अनुसार सामान्य तौर पर छिपकलियां विषैली नहीं होतीं. हालांकि बैक्टीरियल संदूषण या सड़न के कारण दूध असुरक्षित हो सकता है, इसलिए इसे फेंक देना सबसे अच्छा है.
छिपकली को दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में भोजन के रूप में खाया जाता है लेकिन भारत में यह प्रथा सामान्य नहीं है. छिपकली का काटना भारत में गंभीर नहीं होता, लेकिन स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है. यह धारणा कि दूध में छिपकली गिरने से वह जहरीला हो जाता है, मुख्य रूप से एक मिथक है, जिसे वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर खारिज किया जा सकता है.
छिपकली में कोई विष ग्रंथी नहीं होती
दुनियाभर में छिपकलियों की लगभग 6,000 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से अधिकांश गैर-विषैली होती हैं. भारत में आमतौर पर पाई जाने वाली छिपकलियां या घरेलू छिपकलियां (हेमिडैक्टाइलस फ्रेनाटस), पूरी तरह से गैर-विषैली होती हैं. इनके शरीर में कोई विष ग्रंथि नहीं होती, जो दूध को जहरीला बना सके. हां, मेक्सिको में पाई जाने वाली गिला मॉन्स्टर (Heloderma suspectum) या बीडेड लिज़र्ड (Heloderma horridum) विषैली होती हैं लेकिन ये भारत में नहीं पाई जातीं.
छिपकली के शरीर पर लगे बैक्टीरिया खतरा बन सकते हैं
जब एक छिपकली दूध में गिरती है, तो यह दूध को स्वचालित रूप से जहरीला नहीं बनाती. हालांकि कुछ परिस्थितियों में दूध दूषित हो सकता है. इसकी वजह छिपकली की त्वचा पर बैक्टीरिया जैसे साल्मोनेला की मौजूदगी हो सकती है. यदि छिपकली दूध में लंबे समय तक रहती है, तो ये बैक्टीरिया दूध में फैल सकते हैं, जिससे दूध असुरक्षित हो सकता है. साल्मोनेला बैक्टीरिया पाचन तंत्र में संक्रमण का कारण बन सकता है.
मृत छिपकली का असर
यदि छिपकली मर जाती है. दूध में सड़ने लगती है, तो यह दूध के स्वाद, गंध और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है. सड़ने की प्रक्रिया के दौरान बैक्टीरिया और एंजाइम दूध को खराब कर सकते हैं, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. यदि छिपकली ने हाल ही में कोई कीटनाशक या रसायन खाया है, तो यह संभव है कि ये रसायन दूध में घुल जाएं. हालांकि, यह एक दुर्लभ स्थिति है.
दूध को उबालने का प्रभाव
भारत में दूध को आमतौर पर उबाला जाता है उबालने की प्रक्रिया आमतौर पर बैक्टीरिया और रोगजनकों को नष्ट कर देती है. यदि दूध में छिपकली गिरने के बाद उसे अच्छी तरह उबाला जाता है (कम से कम 70 डिग्री सेल्सियस पर), तो बैक्टीरियल संदूषण का जोखिम काफी हद तक कम हो जाता है. हालांकि, मृत छिपकली के अवशेष दूध में रह सकते हैं, जो स्वच्छता और स्वाद के लिहाज से खराब ही कहे जाएंगे.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, दूध में छिपकली गिरने से यह “जहरीला” नहीं हो जाता, क्योंकि सामान्य छिपकलियां विषैली नहीं होतीं. हालांकि, दूध बैक्टीरियल संदूषण या सड़न के कारण असुरक्षित हो सकता है. लिहाजा यदि दूध में छिपकली गिर जाए, तो उसे फेंक देना और नया दूध उपयोग करना सबसे सुरक्षित उपाय है.
छिपकली को कहां खाया जाता है?
छिपकली को कई संस्कृतियों में भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है. हालांकि भारत में छिपकली खाना सामान्य नहीं है. भारत में कुछ आदिवासी समुदायों में विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत में मॉनिटर लिज़र्ड को कभी-कभी खाया जाता है, लेकिन यह व्यापक प्रथा नहीं है.
वियतनाम – वियतनाम के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेष रूप से छिपकली की प्रजाति जैसे मॉनिटर लिज़र्ड (Varanus species) को खाया जाता है. इन्हें तलकर, ग्रिल करके या सूप में पकाया जाता है. स्थानीय लोग इसे प्रोटीन का एक स्रोत मानते हैं.
थाईलैंड – थाईलैंड के कुछ हिस्सों में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, मॉनिटर लिज़र्ड को एक व्यंजन के रूप में तैयार किया जाता है. इन्हें मसालेदार करी या तले हुए रूप में खाया जाता है.
फिलीपींस – यहां छिपकली को “बायवाक” के नाम से जाना जाता है. इसे ग्रिल करके या तलकर खाया जाता है.
नाइजीरिया और घाना- कुछ अफ्रीकी देशों में, मॉनिटर लिज़र्ड और अन्य बड़ी छिपकलियों को भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है. इन्हें सूप या स्टू में पकाया जाता है.
दक्षिण अफ्रीका – कुछ जनजातियां छिपकलियों को पारंपरिक व्यंजनों में शामिल करती हैं, विशेष रूप से प्रोटीन की कमी वाले क्षेत्रों में.
मेक्सिको – मेक्सिको के कुछ हिस्सों में, इगुआना (जो छिपकली की एक प्रजाति है) को खाया जाता है. इसे टैको या स्टू में पकाया जाता है. इगुआना को “चिकन ऑफ द ट्री” भी कहा जाता है, क्योंकि इसका स्वाद चिकन जैसा होता है.
ऑस्ट्रेलिया – ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी समुदायों में गोआना को पारंपरिक भोजन के रूप में खाया जाता है. इसे आग पर भूनकर या उबालकर खाया जाता है.
छिपकली काट ले तो क्या होगा
भारत में पाई जाने वाली सामान्य घरेलू छिपकलियां गैर-विषैली होती हैं. इनके काटने से कोई गंभीर खतरा नहीं होता.
– छिपकली का काटना हल्का दर्द या सूजन पैदा कर सकता है, लेकिन यह आमतौर पर गंभीर नहीं होता
– छिपकली के मुंह में बैक्टीरिया, जैसे कि साल्मोनेला, हो सकते हैं. यदि काटने की जगह को साफ नहीं किया जाता, तो संक्रमण का खतरा हो सकता है.
– कुछ लोगों को छिपकली के काटने से एलर्जी हो सकती है, लेकिन यह दुर्लभ है.
अगर ये काट ले तो काटने की जगह को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं. एंटीसेप्टिक क्रीम या घोल लगाएं. यदि सूजन, लालिमा, या दर्द बढ़ता है, तो डॉक्टर से परामर्श लें.