क्यों कर्ण को ताजिंदगी आते रहे बेचैन करने वाले सपने,ऐसा ही हुआ कुंती के साथ भी

2 days ago

हाइलाइट्स

कौन सा रहस्यमयी सपना ताजिदंगी कर्ण को आता रहा और उसे परेशान करता रहाजब कुंती पहली बार कर्ण से मिली तो कर्ण ने उन्हें इसके बारे में बतायाकर्ण ने अपना दिल पहली और आखरी बार जब कुंती के सामने खोला तो क्या बोला

महाभारत के पराक्रमी योद्धा कर्ण को अक्सर एक सपना आता था कि एक राजसी महिला घूंघट में उनके पास आती है. उसकी आंखों से आंसू निकलते हैं…और ये सपना उन्हें बेचैन कर देता था. महाभारत और अन्य ग्रंथों के अनुसार केवल कर्ण ही नहीं बल्कि कुंती को एक सपना आता था, जो उन्हें बेचैन करता था. ये सपना आखिर दोनों को क्यों आता था. इसका मतलब क्या था. जब पहली बार कुंती सूर्य की आराधना करते हुए कर्ण से मिलीं तब पता चला कि ये सपना क्यों आता है.

महाभारत में जितने कैरेक्टर हैं, उतनी ही उनकी कहानियां. कर्ण पांडवों की मां कुंती के ही बेटे थे. कुंती ने कुंवारे रहते हुए सूर्य की मदद से कर्ण को जन्म दिया था लिहाजा लोकलाज के डर से जन्म देने के बाद नवजात कर्ण को एक टोकरी में रखकर नदी में बहा दिया.

कर्ण को सूत अधिरथ और उसकी पत्नी ने पाला-पोसा. ये बात कर्ण को अक्सर विचलित करती थी कि आखिर वो किसके बेटे हैं. हालांकि वह पराक्रमी थे. हालात ने उन्हें दुर्योधन का मित्र बना दिया.

कर्ण जीवनभर अपने असली मां-बाप की तलाश में लगे रहे. जब एक दिन इसका पता लगा तो वह स्तब्ध रह गए. तब फिर हैरान रह गए जब एक दिन उनकी असल मां कुंती अचानक सामने आकर खड़ी हो गईं. वह उन्हें पहचानते नहीं थे लेकिन वह उस सपने में आने वाली महिला जैसी थीं, जो उनके सपने में आया करती थीं.  इसी मिलन में कर्ण ने पहली बार अपना दिल खोला.

दरअसल जब पांडवों का वनवास खत्म हुआ तो कृष्ण हस्तिनापुर महाराजा धृतराष्ट्र से मिलने गए. कोशिश की गई कि पांडवों को उनका हक दिलाया जाए.  ऐसा नहीं हुआ. राजसभा में दुर्योधन के अडियलपन के बाद तय हो गया कि युद्ध तो अब होकर रह रहेगा.

तब कृष्ण अकेले में कर्ण से मिले
इसके बाद कृष्ण दो लोगों से मिले. एक कुंती थीं और दूसरे कर्ण. जब वह कर्ण से मिले तो पहली बार इस राज से पर्दा उठाया कि वह असल में कौन हैं और उनकी मां कौन हैं.  तब उन्हें पता लगा कि असल में वह पांडवों के भाई हैं.

कर्ण को जीवनभर एक खास सपना आता था. इसमें एक राजसी महिला उसके पास आती थी. उसके जलते हुए आंसू उस पर गिरते थे. (image generated by Leonardo AI)

सच जान कर्ण रोने लगे
कर्ण की सांसें मानो अटक गईं. उनकी आंखें आंसुओं से भर गईं. चेहरे का रंग उड़ गया. रुंधे हुए गले से उन्होंने कृष्ण से कहा, ‘तो क्या आप कह रहे हैं कि पांडव मेरे भाई हैं और कुंती मेरी मां. कृष्ण ने हां में सिर हिलाया. कर्ण की रुलाई फूट पड़ी. हालांकि ये जानने के बाद भी उन्होंने कहा, मैं दुर्योधन के साथ ही लडूंगा, भले बर्बाद हो जाएं.’

फिर कुंती कर्ण से मिलने गईं
जब महाभारत का युद्ध होना तय हो गया. तब चिंतित कुंती एक दिन कर्ण से मिलने गईं. जब वह गईं तो कर्ण दोपहर के समय गंगा किनारे उस समय सूर्य की आराधना कर रहे थे. इतने बरसों में वह हस्तिनापुर में कभी कुंती से नहीं मिले थे. तो कैसे पहचान पाते. हां, कुंती को देखकर उसे ये तो लगा कि ये महिला निश्चित तौर पर राजवंश की हैं.  लेकिन कुंती को देखकर उन्हें ये भी लग रहा था कि शायद वह उनसे मिल चुके हैं.

जब कुंती और कर्ण का मिलन हुआ तो पहले तो कर्ण अपनी मां को पहचान नहीं पाया. फिर उसे महसूस हुआ वो तो हमेशा उसके सपनों में आती रही हैं. (image generated by Leonardo AI)

तब कर्ण ने मां से क्या कहा
तब कर्ण ने कहा, ‘मुझे लगता है जैसे मैं आपको हमेशा से जानता हूं. मैंने आपकी उदास आंखें, कोमल आवाज और चेहरा सपनों में लगातार देखा है. ये सपने मुझे हर बार बेचैन कर देते हैं.

सपने में क्या होता था जो बेचैन हो जाते थे कर्ण 
कर्ण ने आगे कहा, ‘वर्षों से हर रात मुझे एक ही सपना आता है, मैं ऐसी महिला को देखता हूं, जो राजकुमारी की तरह है, उसका चेहरा हमेशा घूंघट से ढका रहता है. वह मेरे ऊपर झुकती है. उसकी आंखों से गर्म आंसू मेरे चेहरे पर गिरकर मुझे जला देते हैं. वह कहती है, “मैंने तुम्हारे साथ जो अन्याय किया है, मैं उसके लिए रो रही हूं. मैं तुमसे केवल तुम्हारे सपनों में ही बात कर सकती हूं. मैं जब पूछता हूं कि “तुम कौन हो?” तो जवाब नहीं मिलता, वह तब सपने से गायब हो जाती हैं.’

कर्ण मां से लिपटकर रोने लगा
तब शर्मसार कुंती ने बताया, ‘मैं तुम्हारी मां हूं, तुम मेरे सबसे बड़े बेटे हो. पांडव तुम्हारे भाई हैं. ये सुनकर कर्ण सकते में आ गए. किस्मत के खेल ने उन्हें भावुक कर दिया, ये वो क्षण था, जिसका उन्होंने जीवनभर इंतजार किया था. अब वो क्षण सामने तो था लेकिन अजीब तरह से हैरान कर देने वाला. वह रोते हुए मां से लिपट गए. हालांकि कर्ण ने कुंती से साफ कर दिया कि वह युद्ध में दुर्योधन का ही साथ देंगे. उन्होंने कहा,  पांडवों के खिलाफ लड़ना उनकी मजबूरी है. हां, आपके पांच पुत्र जरूर जीवित रहेंगे, ये मेरा वचन है.

कुंती को कौन सा सपना आता था
अब आइए हम आपको बताते हैं कि कुंती को कौन सा सपना आता था, जिसमें वह कर्ण से मिलती थीं, उसे अपने पास बुलाती थीं. उसे बताती थीं कि वह उनकी मां हैं. सपने में वह अपने बेटे को अपनाने की इच्छा जरूर जाहिर करती थीं. कुंती के सपनों में कर्ण का रूप एक वीर योद्धा का होता था, जो अपनी पहचान की खोज में बेचैन है.

सपनों में कुंती और कर्ण के बीच गहरे संवाद होते थे, जहां कुंती अपने बेटे से अपनी भावनाओं को साझा करती थीं. ये भी बताती थीं कि कैसे उन्होंने उसे जन्म दिया लेकिन सामाजिक दबाव के कारण छोड़ना पड़ा.

कुंती ने  ये असलियत पांडवों को कब बताई
ये सपने कुंती को बेचैन कर देते थे, क्योंकि तब वह कर्ण के लिए तड़प उठती थीं. उससे मिलना चाहती थीं. बताना चाहती थीं कि वह उनके ही बेटे हैं, पांडवों के भाई हैं लेकिन सामाजिक डर से ऐसा नहीं कर पाती थीं. हालांकि बाद में ये काम उनको करना पड़ा. तब तक बहुत देर हो चुकी थी. ये बात उन्होंने पांडवों को तब बताई जब महाभारत के युद्ध के बाद तर्पण हो रहा था. तब कुंती ने युधिष्ठिर को पहली बार बताया कि कर्ण उनका बड़ा भाई था, उसका तर्पण पांडवों को करना चाहिए.

युधिष्ठिर ये जानकर बहुत नाराज हुए कि कुंती ने ये बात पहले क्यों नहीं बताई. अगर बताई होती तो कभी युद्ध की नौबत ही नहीं आती. तब नाराज युधिष्ठिर ने अपनी मां को पहली बार श्राप भी दिया.

Tags: Mahabharat

FIRST PUBLISHED :

November 19, 2024, 13:08 IST

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