खबरदार! इन गांवों में शराब और पैकेज्‍ड स्‍नैक्‍स लाना बैन, नियम तोड़ा तो...

4 days ago

Last Updated:August 23, 2025, 12:19 IST

Gujarat News: अपने देश में ढेर सारे कानूनी प्रावधान हैं. देश से लेकर प्रदेश स्‍तर तक विभिन्‍न तरह के कानून हैं. इन सबसे परे जाकर गुजरात के दो गांवों ने ऐसा कदम उठाया है, जो सभी देशवासियों के लिए नजीर है.

खबरदार! इन गांवों में शराब और पैकेज्‍ड स्‍नैक्‍स लाना बैन, नियम तोड़ा तो...गुजरात के दो गांवों ने शराब, तंबाकू और पैकेज्‍ड स्‍नैक्‍स पर कड़ा प्रतिबंध लगा रखा है. (सांकेतिक तस्‍वीर)

अहमदाबाद. भारत में सामाजिक संस्‍थाओं की जड़ें आज भी बहुत गहरी हैं. सामाजिक दबाव वो सबकुछ करने के लिए मजबूर करता है, जो कानून नहीं करवा पाता है. गुजरात के दो गांवों ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है. गुजरात में जहां राज्यव्यापी शराबबंदी कानून दशकों से लागू है, वहीं दो गांवों ने इसे और आगे बढ़ाते हुए सामाजिक अनुबंध (Social Contract) का रूप दे दिया है. बनासकांठा के शेरगढ और मेहसाणा जिले के खांबेला गांव ने मिलकर यह साबित किया है कि सामुदायिक इच्छाशक्ति कानून से कहीं अधिक कारगर हो सकती है.

शेरगढ: महिलाओं ने शुरू की पहल

करीब 1,700 की आबादी वाले शेरगढ गांव में यह परंपरा 26 साल पहले शुरू हुई. गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी के दौरान हुई बैठक में गांव की महिलाओं ने सवाल उठाया कि पुरुष शराब और तंबाकू पर पैसा क्यों बरबाद करते हैं और क्यों बच्चों को अनहेल्‍दी पैकेट वाले स्नैक्स की लत लग रही है. इसी बहस ने गांव की तकदीर बदल दी. गांव ने सर्वसम्मति से एक नियम लागू किया. ‘टाइम्‍स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, न सिर्फ शराब और तंबाकू पर रोक, बल्कि पैकेट वाले खाद्य पदार्थ और बाद में पतंगबाजी तक पर भी पाबंदी.

नियम तोड़ने पर अनोखा जुर्माना

नियम तोड़ने पर जुर्माना तय किया गया, जिसके अनुसार 500 रुपये नकद और एक क्विंटल अनाज पंचायत को देना अनिवार्य है. पंचायत यह अनाज गरीब परिवारों और बेसहारा पशुओं को बांट देती है. गांव के सरपंच सतीश पुरोहित कहते हैं, ‘करीब तीन दशक में महज चार-पांच ही उल्लंघन हुए. राजस्थान सीमा से शराब की तस्करी आसान थी, लेकिन सामूहिक कार्रवाई से हमने इसे पूरी तरह खत्म किया. साथ ही मावा जैसे खतरनाक नशे को भी गांव से बाहर किया.’ उपसरपंच अजा चौधरी बताते हैं कि बच्चों को पैकेट वाले स्नैक्स से रोकना भी उतना ही जरूरी था. उन्‍होंने इसे विस्‍तार से बताते हुए कहा, ‘बच्चे घर से झूठ बोलकर पैसे मांगते थे कि टीचर ने मांगे हैं, जबकि असल में वे वेफर्स खरीदते थे. हमने इसे खतरनाक रुझान माना और पैकेट बैन कर दिए.’

खांबेला: मौतों के बाद कड़ा कदम

शेरगढ से करीब 80 किलोमीटर दूर मेहसाणा जिले का खांबेला गांव (जनसंख्या 3,500) हाल तक शराब की चपेट में था. पिछले साल तीन युवकों की मौत ने गांव को झकझोर दिया. गांव के सरपंच वनराज देसाई कहते हैं, ‘महिलाएं चुनाव के दौरान मेरे पास आईं और बोलीं कि हर साल तीन-चार बेटे इस तरह मर जाते हैं. अब और अनदेखी नहीं हो सकती थी.’ इसके बाद गांव ने कठोर दंड तय किए. शराब पीते पकड़े जाने पर 21,000 रुपये जुर्माना और बेचते हुए मिलने पर 25,000 रुपये का दंड.

तस्‍करों को चेतावनी

इतना ही नहीं, गांव ने बाहरी तस्करों को भी चेतावनी दी है. कई बार परिवार अपने शराबी रिश्तेदारों को घर में घुसने तक से मना कर देते हैं, जब तक वे माफी मांगकर सही तरीके से रहने (sobriety) की कसम न खा लें. गुजरात में आधिकारिक शराबबंदी के बावजूद अवैध शराबखोरी और तस्करी की खबरें आम हैं. लेकिन शेरगढ और खांबेला ने यह दिखा दिया कि सामुदायिक अनुशासन और सामाजिक दबाव कानून को भी मात दे सकते हैं. ये गांव सिर्फ शराब और नशे से लड़ाई नहीं लड़ रहे, बल्कि बच्चों और समाज की अगली पीढ़ी को स्वस्थ दिशा देने की सामूहिक जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...

और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

Location :

Ahmedabad,Ahmedabad,Gujarat

First Published :

August 23, 2025, 12:19 IST

homenation

खबरदार! इन गांवों में शराब और पैकेज्‍ड स्‍नैक्‍स लाना बैन, नियम तोड़ा तो...

Read Full Article at Source