खेमका मर्डर केस सुलझा या अनसुलझा? क्या पुलिस की थ्योरी अदालत में टिक पाएगी?

4 hours ago

Last Updated:July 09, 2025, 09:54 IST

Gopal Khemka Murder Case: बिहार पुलिस ने गोपाल खेमका मर्डर केस सुलझाने का दावा किया है. डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि हत्या जमीन विवाद के कारण हुई. मुख्य आरोपी अशोक साव ने सुपारी दी थी. पुलिस ने कई सबूत जुटाए ह...और पढ़ें

खेमका मर्डर केस सुलझा या अनसुलझा? क्या पुलिस की थ्योरी अदालत में टिक पाएगी?

गोपाल खेमका के हत्यारे क्या अदालत से बच जाएंगे?

हाइलाइट्स

बिहार पुलिस ने गोपाल खेमका मर्डर केस सुलझाने का दावा किया.मुख्य आरोपी अशोक साव ने सुपारी दी थी.पुलिस ने कई सबूत जुटाए हैं, जैसे सीसीटीवी फुटेज और कॉल रिकॉर्डिंग.

पटना. बिहार पुलिस ने पटना के चर्चित गोपाल खेमका मर्डर केस को सुलझाने का दावा किया है. बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने मंगलवार को इस हत्याकांड पर खुद ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुलझाने का दावा किया है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या बिहार पुलिस की थ्योरी अदालत में टिक पाएगी? बिहार के डीजीपी ने गोपाल खेमका की हत्या मामले में गिरफ्तार अशोक साव को लेकर जो बड़े-बड़े दावे किए हैं, उस दावे में कितना दम है? बिहार के डीजीपी द्वारा पेश की गई क्राइम-थ्रिलर रिपोर्ट मुख्य आरोपियों और जांच की दिशा में कितना असरदार साबित होगा? बता दें कि डीजीपी विनय कुमार ने स्पष्ट किया कि यह ठोस साज़िश थी, जो लगभग डेढ़ महीने से चल रही थी. इसकी तैयारी में शामिल लाइनर, शूटर और मास्टरमाइंड तीनों गतिविधियों में जुड़े थे. डीजीपी ने कहा कि इस हत्या के पीछे जमीन विवाद ही कारण थे.

बिहार पुलिस के अनुसार, गोपाल खेमका की हत्या एक सुनियोजित सुपारी किलिंग थी, जिसके पीछे हाजीपुर में 14 बीघा जमीन का विवाद और बांकीपुर क्लब से जुड़ी रंजिश थी. मुख्य साजिशकर्ता अशोक साव ने कथित तौर पर बेऊर जेल में बंद गैंगस्टर अजय वर्मा को 10 लाख रुपये की सुपारी दी, जिसमें से 3.5 लाख रुपये मुख्य शूटर उमेश यादव को मिले. उमेश ने खेमका की दिनचर्या की रेकी कर 4 जुलाई की रात 11:38 बजे उनके अपार्टमेंट के गेट पर गोली मारी. हथियार सप्लायर विकास उर्फ राजा ने हत्या में इस्तेमाल पिस्तौल मुहैया कराई. विकास को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया. पुलिस ने दावा किया कि साजिश डेढ़ महीने पहले रची गई थी और इसमें 3-4 अपराधी शामिल थे.

 गोपाल खेमका मर्डर केस में बेऊर जेल में बंद कुख्यात अजय वर्मा गैंग को मिली थी सुपारी.

पुलिस की थ्योरी और सबूत

1- सीसीटीवी फुटेज: हत्या की 6 सेकंड की घटना सीसीटीवी में कैद हुई, जिसमें शूटर की गतिविधियां और बाइक से भागने का दृश्य दर्ज है.
2- हथियार और गोला-बारूद: उमेश यादव के घर से हत्या में इस्तेमाल हुई बाइक, कपड़े, और 59 गोलियां बरामद हुईं. अशोक साव के घर से 70 राउंड गोलियां और जमीन के कागजात मिले. गंगा किनारे से हथियार भी बरामद हुआ.
3- मोबाइल और कॉल रिकॉर्डिंग: अशोक साव और खेमका के बीच एक ऑडियो क्लिप में गाली-गलौज और तीखी बहस दर्ज है, जो रंजिश को दर्शाती है.
4-उमेश यादव का इकबालिया बयान: उमेश ने पूछताछ में हत्या में अपनी संलिप्तता और 3.5 लाख रुपये की सुपारी की बात कबूल की.
5-बेऊर जेल से बरामदगी: जेल में छापेमारी में तीन मोबाइल, सिम कार्ड, और संदिग्ध नंबरों की पर्ची मिली.
तकनीकी साक्ष्य: सीसीटीवी, जीपीएस, और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) के विश्लेषण से शूटर का लोकेशन हाजीपुर तक ट्रेस किया गया.

गोपाल खेमका हत्याकांड में पुलिस को सबसे बड़ी कामयाबी हाथ लगी है.

अदालत में टिकने की संभावनाएं

1- सीसीटीवी फुटेज: यह हत्या का प्रत्यक्ष सबूत है. यदि फुटेज में उमेश यादव की पहचान पुख्ता होती है, तो यह पुलिस के केस को मजबूत करेगा.

2- हथियार और गोला-बारूद: यदि बरामद हथियार और गोलियां फॉरेंसिक जांच में हत्या से जुड़ती हैं, तो यह थ्योरी को ठोस बनाएगा.

3-उमेश का बयान: यदि उमेश का इकबालिया बयान मजिस्ट्रेट के सामने (सीआरपीसी धारा 164) दर्ज है और वह अदालत में इसे दोहराता है, तो यह सुपारी किलिंग के दावे को बल देगा.

4-कॉल रिकॉर्डिंग: अशोक साव और खेमका के बीच रंजिश को साबित करने में ऑडियो क्लिप महत्वपूर्ण हो सकती है, बशर्ते इसकी प्रामाणिकता सिद्ध हो.

केस की कमजोरियां

1- इकबालिया बयान की वैधता: भारत में पुलिस के सामने दिया गया बयान (सीआरपीसी धारा 25) अदालत में स्वीकार्य नहीं है. यदि उमेश का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज नहीं हुआ, तो यह कमजोर हो सकता है.
ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता: ऑडियो में रंजिश तो दिखती है, लेकिन हत्या की साजिश का स्पष्ट उल्लेख न होने से बचाव पक्ष इसे कमजोर कर सकता है.

2- फॉरेंसिक सबूतों की कमी: यदि बरामद हथियार और गोलियां फॉरेंसिक रूप से हत्या से नहीं जुड़तीं, तो थ्योरी कमजोर पड़ सकती है.
3- जमीन विवाद के दस्तावेज: अशोक साव के घर से मिले कागजात तब तक मजबूत सबूत नहीं होंगे, जब तक वे खेमका से विवाद को स्पष्ट न करें.

गोपाल खेमका मर्डर केस में बेउर जेल में बंद कुख्यात अजय वर्मा से पूछताछ हुई.

एनकाउंटर और बेऊर जेल कनेक्शन

विकास की मुठभेड़ में मौत विवादास्पद है. बचाव पक्ष इसे गैर-कानूनी बताकर पुलिस की मंशा पर सवाल उठा सकता है, दावा करते हुए कि असली साजिशकर्ताओं को बचाने के लिए विकास को बलि का बकरा बनाया गया. यह थ्योरी की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकता है. पुलिस का दावा है कि साजिश बेऊर जेल में रची गई, जहां अजय वर्मा से पूछताछ हुई. लेकिन जेल से बरामद मोबाइल और सिम कार्ड का हत्या से सीधा संबंध साबित नहीं हुआ. यह थ्योरी का कमजोर हिस्सा है, और बचाव पक्ष इसे अटकल बता सकता है.

कुलमिलाकर ऑडियो क्लिप और जमीन के कागजात में हत्या की साजिश का स्पष्ट उल्लेख न होने से इन्हें कमजोर किया जा सकता है. इसी तरह एनकाउंटर की वैधता पर भी सवाल उठाए जा सकते हैं. जेल से बरामद सामग्री का हत्या से सीधा संबंध न होने पर इसे खारिज किया जा सकता है. साथ ही बचाव पक्ष दावा कर सकता है कि पुलिस ने जल्दबाजी में केस बंद किया या असली मास्टरमाइंड को छोड़ दिया. यह भी तर्क दिया जा सकता है कि अशोक साव को फंसाया गया, असली साजिशकर्ता कोई और है.

Location :

Patna,Patna,Bihar

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