Last Updated:July 09, 2025, 12:29 IST
Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एसआईआर पर बवाल जारी है. तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्ष ने बिहार बंद का आह्वान किया है. चुनाव आयोग ने आर्टिकल 326 का हवाला दिया है.

चुनाव आयोग ने एसआईआर पर तेजस्वी के सवालों का करारा जवाब दिया.(Image:PTI)
हाइलाइट्स
तेजस्वी यादव ने बिहार बंद का आह्वान किया.चुनाव आयोग ने आर्टिकल 326 का हवाला दिया.विपक्ष का आरोप, SIR से गरीबों को मताधिकार से वंचित किया जा रहा.Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर बवाल है. बिहार में तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्ष और चुनाव आयोग आमने-सामने है. एसआईआर पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसे लेकर ही आज बिहार बंद भी है. बिहार में आज यानी 9 जुलाई 2025 को महागठबंधन ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ बिहार बंद का आह्वान किया है. विपक्ष का आरोप है कि SIR के तहत मतदाता सूची में संशोधन गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश है. जबकि चुनाव आयोग का दावा इसके उलट है. इस बीच चुनाव आयोग ने आर्टिकल 326 का जिक्र किया है. तो चलिए जानते हैं, उसमें क्या है.
एसआईआर को लेकर विपक्ष के आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 326 का हवाला देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. चुनाव आयोग ने एक्स पर पोस्ट कर अनुच्छेद 326 का मतलब बताया, जिसमें वयस्क मताधिकार के आधार पर मतदाता पंजीकरण का प्रावधान है. चुनाव आयोग ने हिंदी और अंग्रेजी में आर्टिकल 326 को के मतलब को समझाया है.
चुनाव आयोग ने क्या समझाया
आर्टिकल 326 के अनुसार, लोक सभा और राज्यों की विधानसभाओं के लिए निर्वाचनों का वयस्क मताधिकार के आधार पर होना- लोक सभा और प्रत्येक राज्य की विधानसभा के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति, जो भारत का नागरिक है और ऐसी तारीख को, जो समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त नियत की जाए, कम से कम अठारह वर्ष की आयु का है और इस संविधान या समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन अनिवास, मानसिक विकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा निरर्हित नहीं कर दिया जाता है, ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकृत होने का हकदार होगा.
आसान भाषा में समझें
आर्टिकल 326 भारत के संविधान का हिस्सा है. यह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को वयस्क मताधिकार के आधार पर सुनिश्चित करता है. इसका मतलब है कि हर भारतीय नागरिक, जो 18 साल या उससे अधिक उम्र का हो, मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने का हकदार है. हालांकि, अगर कोई व्यक्ति गैर-निवासी है, मानसिक रूप से अस्थिर है, या अपराध, भ्रष्टाचार, या अवैध कार्यों के कारण अयोग्य ठहराया गया है, तो वह मतदान नहीं कर सकता. यह अनुच्छेद सभी पात्र नागरिकों को निष्पक्ष और समान मतदान का अधिकार देता है.
क्यों है विरोध
दरअसल, चुनाव आयोग का कहना है कि एसआईआर (SIR) का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची में केवल पात्र भारतीय नागरिक ही शामिल हों. चुनाव आयोग ने इसे संवैधानिक कर्तव्य बताते हुए कहा कि बिहार में 2003 के बाद पहली बार SIR किया जा रहा है, क्योंकि शहरीकरण, प्रवास, मृत्यु की गैर-रिपोर्टिंग और अवैध प्रवासियों के नाम शामिल होने की आशंका के कारण मतदाता सूची में दोहराव या अशुद्धियां हो सकती हैं. हालांकि, चुनाव आयोग के इस फैसले पर राजद, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं. उनका असल विरोध एसआईआर की समयसीमा और प्रक्रिया पर है.
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें
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Location :
Patna,Patna,Bihar