Last Updated:January 22, 2025, 10:49 IST
Goa BJP state president: भाजपा ने गोवा में दामोदर 'दामू' नाईक को प्रदेशाध्यक्ष बनाया है. नाईक ने बचपन में अखबार बांटने का काम किया था. उनके पिता भी लॉटरी टिकट बेचते थे. उन्होंने सबसे निचले पायदान से राजनीति शुर...और पढ़ें
भाजपा ने एक आम पार्टी कार्यकर्ता को प्रदेशाध्यक्ष बनाया है.
राजनीति की बात आते ही आम युवाओं के दिमाग में एक ही सवाल आता है कि उनके लिए तो किसी भी पार्टी में कोई जगह नहीं है. आम युवा की नियती हर एक पार्टी में कार्यकर्ता बनने से ऊपर की नहीं होती. लेकिन, आपको यह धारणा बदल लेनी चाहिए, क्योंकि देश की सबसे बड़ी पार्टी ने कुछ ऐसा किया है जिससे कि देश के युवाओं को एक उम्मीद दिख सकती है. दरअसल, बात हो रही है भाजपा की. आपको ऐसा लग रहा है कि हम यहां भाजपा की तारीफ में ये खबर लिख रहे हैं लेकिन, ऐसा नहीं है. भाजपा ने अपने एक प्रदेश में एक युवा नेता को प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है. यह युवा प्रदेशाध्यक्ष चंद साल पहले तक घर-घर जाकर अखबार डालते थे.
बात गोवा राज्य की हो रही है. यहां भाजपा ने दामोदर ‘दामू’ नाईक को प्रदेशाध्यक्ष बनाया है. नाईक कुछ साल पहले तक अपने गृह क्षेत्र फातोर्डा में लगातार चुनावी हार झेल रहे थे. बावजूद इसके पार्टी ने उनको अहम जिम्मेदारी दी है. वह दक्षिणी गोवा से आते हैं. माना जा रहा है कि भाजपा दक्षिणी गोवा में अपनी स्थ्ति मजबूत करने के लिए नाईक के कंधों पर जिम्मेदारी डाली है.
नाईक की राजनीति में सफलता की शुरुआत उनके पिता गजानन से जुड़ी है. गजानन मडगांव से कंसौलीम तक ट्रेन में लॉटरी टिकट बेचते थे. जो लोग नाईक के शुरुआती दिनों को याद करते हैं वे बताते हैं कि उनके पिता बेहद ईमानदारी थे. नाईक ने शुरुआती दिनों में अखबार वितरण का काम किया. इसके बाद राजनीति में कदम रखा. टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस बारे में एक रिपोर्ट छापी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक यह शुरुआती नाईक ने धीरे-धीरे अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की. फिर वह राज्य की राजनीति में एक मजबूत आवाज बनकर उभरे.
भंडारी समुदाय पर नजर
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह नियुक्ति सिर्फ बीजेपी का भंडारी समुदाय तक पहुंच बनाने की कोशिश नहीं है, बल्कि विपक्ष में रहते हुए नाईक ने शानदार काम किया था. उनके पास गोवा की राजनीति की गहरी समझ है. रिपोर्ट के मुताबिक 2007-2012 तक भाजपा गोवा में विपक्ष में थी. उस वक्त नाईक कांग्रेस सरकार के सबसे मुखर आलोचकों में से एक थे. उन्होंने उस समय विपक्षी नेता मनोहर पर्रिकर के साथ मिलकर खनन विभाग में अनियमितताओं को उजागर किया और विशेष आर्थिक क्षेत्र पर सवाल उठाए. इससे उन्होंने राज्य की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई.
नाईक की राजनीतिक यात्रा में 2012 में बड़ा मोड़ आया. उस समय बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की. भाजपा सत्ता में आई, लेकिन नाईक खुद को फातोर्डा सीट पर विजय सरदेसाई से हार गए. यह हार उनके लिए बड़ा झटका था. क्योंकि उस वक्त राज्य में कांग्रेस विरोधी लहर था. फिर नाईक का राजनीति सफर थोड़ा थम गया. इन सब परेशानियों के बावजूद नाईक ने भाजपा के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखा. वह पार्टी के महासचिव और प्रवक्ता के रूप में कार्य करते रहे. उनका संगठनात्मक कौशल और धैर्य अब बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित रहा है.
First Published :
January 22, 2025, 10:49 IST