Last Updated:May 20, 2025, 15:02 IST
Bihar Chunav: बिहार चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी नया विकल्प बन रही है. पीके ने 5,000 गांवों की यात्रा से समीकरण समझा और 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई है. जानें पीके के 10 महारथी...और पढ़ें

बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के 10 महारथी.
हाइलाइट्स
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी 2025 चुनाव में नया विकल्प बन रही है.पीके ने 5,000 गांवों की यात्रा से समीकरण समझा.जन सुराज ने उपचुनावों में 10% वोट शेयर हासिल किया.पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, और इस बार प्रशांत किशोर (पीके) की जन सुराज पार्टी एक नए सियासी विकल्प के रूप में उभर रही है. पीके, जो पहले एक मशहूर चुनावी रणनीतिकार थे, अब जन सुराज के सूत्रधार के रूप में बिहार की जटिल जातिगत और क्षेत्रीय सियासत को साधने की कोशिश में हैं. उनकी रणनीति क्षेत्रीय समीकरणों, सामाजिक विविधता, और स्थानीय मुद्दों पर आधारित है. जन सुराज ने हाल के उपचुनावों में 10% वोट शेयर हासिल कर अपनी मौजूदगी दर्ज की, और अब पीके 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बना रहे हैं.
क्षेत्र-आधारित रणनीति: प्रशांत किशोर ने अपनी 5,000 गांवों की पदयात्रा (2022 से शुरू) के दौरान बिहार के क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों को गहराई से समझा है. उनकी रणनीति बिहार के चार प्रमुख क्षेत्रों- मिथिलांचल, सीमांचल, मगध, और भोजपुर के स्थानीय मुद्दों और जातिगत गणित पर केंद्रित है.
मिथिलांचल (उत्तर बिहार):
यह क्षेत्र ब्राह्मण, राजपूत, और वैश्य समुदायों का गढ़ है. पीके ने यहाँ शिक्षा और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाकर युवाओं को लुभाने की कोशिश की है. उनकी पदयात्रा चंपारण से शुरू होकर कोसी तक पहुँची, जिसने इस क्षेत्र में उनकी जमीनी उपस्थिति को मजबूत किया.
सीमांचल:
मुस्लिम और ईबीसी समुदायों का प्रभाव वाला यह क्षेत्र राजद का गढ़ रहा है. जन सुराज ने यहाँ मुस्लिम उम्मीदवारों (जैसे बेलागंज में मोहम्मद अमजद) को उतारकर और सामाजिक न्याय के मुद्दों को उठाकर राजद के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की.
मगध:
दलित और कुर्मी मतदाताओं का प्रभाव वाला यह क्षेत्र जदयू और राजद का गढ़ है. इमामगंज में दलित उम्मीदवार जितेंद्र पासवान को उतारकर पीके ने इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाई.
भोजपुर:
राजपूत और ईबीसी समुदायों का प्रभाव वाला यह क्षेत्र भाजपा और जदयू का मजबूत आधार है. तरारी में किरण सिंह जैसे सामाजिक कार्यकर्ता को उतारकर पीके ने स्थानीय मुद्दों को उठाया.
पीके की रणनीति में ‘राइट टू रिकॉल’ और शिक्षा-रोजगार जैसे मुद्दों पर जोर देकर जातिगत राजनीति से परे एक वैकल्पिक नैरेटिव बनाने की कोशिश है. उनकी पार्टी ने शराबबंदी हटाने और शिक्षा में 5 लाख करोड़ रुपये निवेश का वादा किया है, जो ग्रामीण और युवा मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है.
प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के 10 प्रमुख चेहरे जन सुराज ने उपचुनावों में अपनी रणनीति को परखा और कुछ चेहरों को सामने लाकर अपनी ताकत दिखाई.
1- उदय सिंह: राष्ट्रीय अध्यक्ष, राजपूत नेता, पूर्णिया से पूर्व सांसद.
2- मनोज भारती: कार्यकारी अध्यक्ष, दलित, पूर्व राजनयिक.
3- जितेंद्र पासवान: इमामगंज में 37,103 वोट, दलित चेहरा.
4- किरण सिंह: तरारी में सामाजिक कार्यकर्ता, राजपूत.
5- मोहम्मद अमजद: बेलागंज में मुस्लिम उम्मीदवार.
6- देवेंद्र प्रसाद यादव: पूर्व केंद्रीय मंत्री, स्टार प्रचारक.
7- सीताराम यादव: सीतामढ़ी के पूर्व सांसद, स्टार प्रचारक.
8- सुशील सिंह कुशवाहा: तरारी में कुर्मी उम्मीदवार.
9- अनीता देवी: संभावित महिला उम्मीदवार, ग्रामीण महिलाओं को लुभाने की कोशिश.
10- आरसीपी सिंह: दो दिन पहले ही पार्टी में शामिल हुए हैं, नालंदा के आसपास जिलों में पार्टी के संभावित चेहरा.