जनसुराज को जो कम समझ रहे वो भारी भूल तो नहीं कर रहे!'ग्राउंड गेम' चौंकाने वाला

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Last Updated:November 17, 2025, 07:52 IST

Bihar Chunav Result Jansuraj Performance : बिहार की राजनीति में 2025 का विधानससभा चुनाव एक ऐसा मोड़ साबित हुआ जहां नतीजों से ज्यादा चर्चाओं में वह ताकत रही जो सत्ता की दौड़ में नहीं थी, लेकिन मैदान के हर खिलाड़ी की चाल बिगाड़ने की क्षमता रखती थी. जनसुराज-एक ऐसी पार्टी... जिसने एक भी सीट न जीतकर भी साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति अब दो ध्रुवों तक सीमित नहीं रही. वोटों का ऐसा प्रभाव दिखाया कि पुराने समीकरण हिल गए और नई संभावनाएं उभर आईं. बिहार चुनाव परिणाम से यह संदेश साफ हो गया कि ‘तीसरा विकल्प’ अब कल्पना नहीं, बल्कि जमीन पर खड़ा एक वास्तविक राजनीतिक तथ्य है, केवल अब जरूरत इसे संजोने और आगे बढ़ाने की है.

जनसुराज को जो कम समझ रहे वो भारी भूल तो नहीं कर रहे!'ग्राउंड गेम' चौंकाने वालाबिहार चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी तीसरे विकल्प के रूप में उभरी.

पटना. बिहार की राजनीति में 2025 का चुनाव एक दिलचस्प मोड़ लेकर आया है. एक ओर जहां बड़ी पार्टियां सत्ता और समीकरणों में उलझी रहीं, वहीं मैदान के एक कोने में खड़ी जनसुराज पार्टी ने चुपचाप इतनी बड़ी मौजूदगी दर्ज कर दी कि हर राजनीतिक दल को दोबारा हिसाब लगाना पड़ा. सीट एक भी नहीं मिली, मगर जनसुराज ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है. खास बात यह है वोटों की संख्या ने यह तो साबित कर ही दिया है कि बिहार में तीसरे विकल्प की जमीन अब केवल कल्पना नहीं, बल्कि वास्तविकता है. संभव है कि आप भी पहले जनसुराज को खारिज करते रहे हों, लेकिन आंकड़ों से साफ है कि पार्टी ने करीब एक दर्जन सीटों पर सीधा असर डाला है. कई जगहों पर नतीजे जनसुराज के वोट शेयर की वजह से ही उलटे पड़ गए जो जमी-जमाई पार्टियों के लिए चुनौती बन गई. यहां ध्यान देने की बात यह है कि यह उस पार्टी की ताकत है जिसने खुद को पारंपरिक राजनीति से अलग बताते हुए पहली बार मुकाबले में उतरी.

जनसुराज की जीत नहीं, पर मौजूदगी बड़ी

जनसुराज पार्टी ने भले ही राज्य में एक भी सीट न जीत पाई हो, लेकिन जिस तरह से मीडिया रिपोर्ट्स में जन सुराज को खारिज किया जा रहा है, वह एक पहलू है. लेकिन, दूसरा पहलू यह है कि जन सुराज ने अपना दम दिखाया है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जनसुराज की मौजूदगी बेहद प्रभावशाली रही है और पहली बार में ही पूरे बिहार में लगभग 15 लाख वोट लेकर अपना दम दिखा दिया है. इतना ही नहीं प्रशांत किशोर की अगुवाई वाली पार्टी ने कई विधानसभा क्षेत्रों में वोट शेयर, उपस्थिति और जनसंपर्क के स्तर पर तीसरी सबसे मजबूत राजनीतिक ताकत के रूप में अपनी पहचान स्थापित की. पार्टी ने 238 सीटों पर चुनाव लड़ा और उनमें से लगभग 75 प्रतिशत सीटों पर उसकी मौजूदगी प्रभाव छोड़ने वाली रही है जिसे लोगों ने तीसरे विकल्प के रूप में देखा है.

जनसुराज के लिए बिहार में संभावनाओं का उभार

यहां एक आंकड़ा ध्यान देने योग्य है. बिहार में जन सुराज पार्टी ने 238 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. ज्यादातर सीटों पर उनके प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. लेकिन, इनमें से 35 ऐसी सीटें हैं जिनपर उन्हें हार-जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिले. साफ है कि जन सुराज ने उस फैक्टर का काम किया जहां या तो एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में गया या फिर महागठबंधन कैंडिडेट के फेवर में. चुनाव आयोग के आंकड़ों से साफ है कि जन सुराज ने कई जगहों पर वोट काटे और कुल 238 सीटों में से 35 पर उनका असर निर्णायक रहा. इनमें 19 सीटें एनडीए के खाते में गईं, जबकि महागठबंधन को 14 मिलीं. एक सीट एआईएमआईएम (AIMIM) के पास गई और एक बहुजन समाज पार्टी (BSP) को. एनडीए के सहयोगी दलों को भी फायदा हुआ जिनमें चिराग पासवान की पार्टी को एक और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को एक सीट.

जनसुराज पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 15 लाख वोट और 238 सीटों पर दमदार उपस्थिति दर्ज कर नई राजनीतिक ताकत का संकेत दिया है.

15 लाख वोट और दर्जनों सीटों पर प्रभाव

जनसुराज ने कम-से-कम एक दर्जन सीटों पर जीत और हार को सीधे तौर पर प्रभावित किया. लगभग 15 लाख मत पार्टी को मिले जो उसकी बढ़ती सियासी जमीन का संकेत है. इसके अतिरिक्त गौर करने वाला तथ्य यह भी है कि 115 सीटों पर जन सुराज तीसरे नंबर पर रही और एक सीट पर दूसरे स्थान पर रही. जनसुराज का प्रदर्शन बताता है कि उसकी जड़ें तात्कालिक नहीं, बल्कि तैयार की हुई जमीन पर खड़ी हैं. यह सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि संकेत है कि पार्टी की सबसे बड़ी ताकत उसका फैलाव है न कि किसी एक क्षेत्र में सीमित पकड़. राजनीति के जानकारों को भी अब जाकर समझ आने लगा है कि जनसुराज का वोट, उस सोच का परिणाम है जिसकी नींव पिछले दो वर्षों में गांव-गांव जाकर रखी गई.

238 सीटों पर दावेदारी, 115 पर तीसरा स्थान

1 सीट पर दूसरा स्थान 115 सीटों पर तीसरा स्थान 63 सीटों पर चौथा स्थान 34 सीटों पर पांचवां स्थान

युवाओं का झुकाव, कई इलाकों में ‘तीसरे कोने’ का उदय

एक विशेष तथ्य यह भी है कि राजनीतिक माहौल में जब युवा अक्सर या तो किनारे हो जाते हैं या निराशा में वोट डालते हैं, जनसुराज ने उन्हें संवाद, पैदल चलने वाले अभियान और स्थानीय मुद्दों की भाषा से जोड़ा. 32 से अधिक सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों को 10 हजार से ज्यादा वोट मिले. यह स्पष्ट संदेश है कि भरोसा धीरे-धीरे आकार ले रहा है. एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि सीमांचल, कोसी और तिरहुत जैसे इलाकों में जनसुराज तीसरी ताकत बन चुकी है. जोकीहाट, चनपटिया, मनिहारी, फुलपरास और चकाई जैसी सीटों पर पार्टी ने ऐसा वोट हासिल किया जो किसी नई पार्टी से शायद ही उम्मीद की जाती है.

रणनीति की सफलता और भविष्य के लिए ‘शुभ संकेत’!

जन सुराज के कैंडिडेट को चनपटिया में 37172, जोकीहाट में 35,534 वोट और अन्य कई सीटों पर 15–25 हजार के बीच जनता का समर्थन मिला. जाहिर है यह प्रदर्शन बताता है कि पार्टी ‘वोट-कटवा’ नहीं, बल्कि एक वास्तविक विकल्प के रूप में देखी जाने लगी है. पार्टी को सीटें नहीं मिलीं, लेकिन प्रभाव की राजनीति अक्सर सीटों से बड़ी होती है. बिहार के राजनीतिक नक्शे पर एक नया रंग भर चुका है. अगले चुनाव में यह रंग और गहरा होगा या फीका-यह इस बात पर निर्भर करेगा कि जनसुराज अपने 15 लाख वोटरों को कैसे संभालता है और उन्हें किस दिशा में ले जाता है.

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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First Published :

November 17, 2025, 07:52 IST

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