Last Updated:January 13, 2025, 10:30 IST
Mohammad Wania Success Story: सूरत के 18 साल के मोहम्मद वानिया ने जन्म से दिव्यांग होते हुए भी राइफल शूटिंग में 27 मेडल जीते हैं, तो चलिए उनकी ये सफलता की कहानी जानते हैं...
सूरत: गुजरात के सूरत के 18 वर्षीय मोहम्मद वानिया ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति (strong will power) से न केवल अपनी दिव्यांगता को हराया, बल्कि राइफल शूटिंग में भी अनगिनत मेडल जीते हैं. जन्म से श्रवणशक्ति से दिव्यांग मोहम्मद ने अब तक 11 गोल्ड, 8 सिल्वर और 8 ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है. बता दें कि मोहम्मद वानिया ने हाल ही में जर्मनी के हनोवर में आयोजित वर्ल्ड डेफ शूटिंग चैंपियनशिप में भाग लिया, जहां उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीते. व्यक्तिगत श्रेणी (Individual Category) में उन्हें ब्रॉन्ज और मिक्स्ड टीम इवेंट में सिल्वर मेडल मिला . यह उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली प्रतियोगिता ( competition at international level) थी, और उन्होंने अपने देश का नाम गर्व से ऊंचा किया.
दिव्यांगता से नहीं हुआ कोई फर्क
मोहम्मद वानिया के माता-पिता ने कभी भी उन्हें उनकी दिव्यांगता का एहसास नहीं होने दिया. उन्होंने उन्हें सामान्य बच्चों की तरह पाला और अपनी कठिनाइयों को कभी भी उनके सपनों के बीच नहीं आने दिया. मोहम्मद ने 12वीं कक्षा तक कॉमर्स की पढ़ाई की और इसके साथ-साथ राइफल शूटिंग और अन्य खेलों में भी भाग लेते रहे.
राइफल शूटिंग में रुचि और कड़ी मेहनत
बता दें कि मोहम्मद ने राइफल शूटिंग में अपनी रुचि को उस समय और अधिक बढ़ाया जब उन्होंने अपने परिवार की प्रेरणा से इस खेल को अपनाया. ताप्ती जिले में प्रैक्टिस शुरू करने के बाद, उन्होंने पिछले चार सालों में राइफल शूटिंग पर अपना ध्यान केंद्रित किया. वह बताते हैं कि दिव्यांगता के कारण कई खेल उनके लिए सीमित थे, लेकिन राइफल शूटिंग ने उन्हें एक सही दिशा दी.
गोल्ड मेडल से हुआ आत्मविश्वास का इजाफा
मोहम्मद के माता-पिता हमेशा उनके लिए एक ऐसे खेल की तलाश में थे, जो उनकी दिव्यांगता के अनुकूल हो और जिसमें वे आसानी से सफलता प्राप्त कर सकें. राइफल शूटिंग में पहली बार भाग लेने पर उन्होंने गोल्ड मेडल जीता, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा. उनके इस सफलता ने उन्हें और उनके परिवार को यह विश्वास दिलाया कि वह किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं.
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लोकल 18 से बात करते हुए मोहम्मद के पिता, मुर्तुजा वानिया ने बताया कि शुरू से ही उन्होंने मोहम्मद के लिए ऐसे खेल की खोज की थी, जो उनकी दिव्यांगता के बावजूद उन्हें सफलता दिला सके. मोहम्मद की सफलता उनके और उनके परिवार के लिए गर्व का विषय है और उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की है.