Last Updated:January 13, 2025, 13:08 IST
एप्पल की सह मालकिन और इसके सह संस्थापक स्टीव जॉब्स की विधवा प्रयागराज में कल्पवास कर रही हैं. उन्हें उनके गुरु कैलाशानंद गिरी ने हिंदू नाम कमला दिया है और गोत्र भी तय कर दिया. उसके बाद सवाल उठने लगा है कि क्या वह हिंदू...और पढ़ें
एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की विधवा लॉरेन पॉवेल जॉब्स भारत में कल्पवास कर रही हैं. महाकुंभ के पहले दिन वह पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाएंगी. वह 13 जनवरी को भारत आईं. अगले 17 दिन वह संन्यासी की तरह गेरुए वस्त्र पहनकर प्रयागराज कुंभ स्थल में कल्पवास करेंगी. उनके निरंजनी अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने उनका हिंदू नाम रखा है. गोत्र भी तय कर दिया. इससे ये सवाल उठता है कि पति स्टीव जॉब्स के निधन के 13 साल बाद जिस तरह लॉरेन की दिलचस्पी हिंदू धर्म में जगी है और वह प्रयागराज कुंभ में आ पहुंची हैं, क्या उससे लगता है कि वह हिंदू धर्म स्वीकार करने जा रही हैं.
हालांकि आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने जिस तरह लॉरेन पॉवेल को हिंदू नाम कमला देकर उनका गोत्र तय किया, उससे कई लोगों को यही लगा कि उन्होंने कहीं हिंदू धर्म स्वीकार तो नहीं कर लिया. प्रयागराज के रहने वाले और हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र के विद्वान प्रमोद शुक्ला कहते हैं, “उन्होंने हिंदू धर्म स्वीकार नहीं किया है लेकिन ये बात सही कि उनकी दिलचस्पी खासतौर पर इस धर्म में जगी है.”
हिंदू नाम दिए जाने और गोत्र तय करने का मतलब ये नहीं कि उन्होंने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया. (Photo – ANI)
अभी वह कैलाशानंद की शिष्या बनी हैं
उन्होंने ये बताया कि हिंदू नाम दिए जाने और गोत्र तय करने का मतलब ये नहीं कि उन्होंने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया. बल्कि अभी वह निरंजनी अखाड़े में कैलाशानंद की शिष्या बनी हैं. इस परंपरा में गुरु अपनी दूसरे धर्म के शिष्यों को हिंदू नाम देते हैं. कल्पवास में अब लॉरेन उनकी देखरेख में एक शिष्या की तरह नियमों का पालन करते हुए कल्पवास करेंगी.
कठिन होता है कल्पवास
कल्पवास कठिन होता है. सुबह तड़के उठना है. रोजाना नदी में डुबकी लगाते हुए स्नान करना होता है. तामसिक भोजन और मांसाहार से दूर रहना होता है. कठिन और सादगीपूर्ण जीवन जीना होता है. हालांकि ये कयास लगने लगे हैं कि अगर उनकी ऋद्धा हिंदू धर्म में जगने लगी है. अगर उनका रुझान हिंदू आध्यात्मिकता और परंपराओं की ओर बढ़ रहा है तो वह अगर हिंदू धर्म स्वीकार कर लें तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.
अगर उनका रुझान हिंदू आध्यात्मिकता और परंपराओं की ओर बढ़ रहा है तो वह अगर हिंदू धर्म स्वीकार कर लें तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.
लॉरेन कल्पवास करने जा रही हैं, जो तपस्या और ध्यान की एक महीने की अवधि है जो हिंदू परंपरा में गहराई से निहित है. इस अभ्यास में आधुनिक सुख-सुविधाओं का त्याग करना और पवित्र नदियों में दैनिक डुबकी लगाने और आध्यात्मिक प्रवचनों में भाग लेने जैसे अनुष्ठानों के माध्यम से आध्यात्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है.
स्टीव जॉब्स बौद्ध धर्म मानने लगे थे
लॉरेन पॉवेल के पति स्टीव जॉब्स का निधन जब 2011 में हुआ तो उनका अंतिम संस्कार बौद्ध तौर-तरीकों से हुआ. स्टीव जॉब्स बौद्ध धर्म के अनुयायी थे. उनका अंतिम संस्कार उनके परिवार ने उनके धार्मिक विश्वासों के अनुसार ही बौद्ध तरीकों से अंतिम संस्कार किया. जिसमें शवदाह करते हैं. लॉरेन और स्टीव की शादी भी बौद्ध तौरतरीकों से हुई थी.
लॉरेन जॉब्स का रुझान पति के निधन के बाद बौद्ध और हिंदू धर्म की ओर होने लगा है. (फोटोः ANI)
झुकाव हिंदू धर्म की ओर
हालांकि फिलहाल लॉरेन किस धर्म को मानती हैं ये कहना कठिन है. लेकिन ये तय है कि स्टीव जॉब्स के साथ शादी के बाद से उनका झुकाव बौद्ध और हिंदू धर्म की ओर हो गया था.
जन्म ईसाई परिवार में
उनका जन्म और पालन-पोषण एक ईसाई परिवार में हुआ. उनके पिता एक पायलट थे. जब वह तीन साल की थीं, तब उनके पिता का निधन हो गया. फिर मां ने दूसरी शादी कर ली. 1991 में शादी के बाद वह कमोवेश आध्यात्मिकता की ओर झुकीं.
दुनिया की सबसे धनी महिलाओं में
हालांकि वह व्यस्त महिला हैं. कई कंपनियां चलाती हैं. एप्पल में सह मालिक हैं. अमेरिका के कई स्कूल, कॉलेज और संस्थानों के बोर्ड में हैं. राजनीतिक तौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ रहती हैं, उसे मोटा चंदा देती हैं. बहुत से कल्याण के काम करती हैं. वह दुनिया की सबसे धनी महिलाओं में हैं.
उनका भारत आना क्या कहता है
स्टीव जॉब्स के निधन के बाद वह धार्मिक तौर पर लोप्रोफाइल में रहीं. हालांकि कहा जाता है कि वह लंबे समय से निरंजनी अखाड़े के संपर्क में थीं. महाकुंभ के विशेष अवसर पर उन्होंने अपने धार्मिक रुझानों के कारण ही भारत आने का कार्यक्रम बनाया. उनका यहां आना उनकी व्यक्तिगत आध्यात्मिक यात्रा को जाहिर करता है.
क्या उनकी दिलचस्पी हिंदू धर्म में बढ़ रही
ये भी बताता कि हिंदू धर्म में उनकी दिलचस्पी खासतौर पर बहुत बढ़ चुकी है. हालांकि स्टीव जॉब्स भारतीय दर्शन से बहुत प्रभावित थे. यहां वह कैंचीधाम में बाबा नीमकरौली से मिलने आए.1970 के दशक की शुरुआत में शुरुआत में उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में भारत की यात्रा की. वे ज़ेन बौद्ध धर्म से प्रभावित थे.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
January 13, 2025, 13:08 IST