Last Updated:January 13, 2025, 15:28 IST
Jallikattu: पुदुकोट्टई जिले के एक प्रसिद्ध कमेंटेटर सेनगुट्टुवन ने जल्लीकट्टू की कमेंट्री से जुड़ी अपनी यात्रा साझा की. उन्होंने अपनी सफलता, भावनात्मक क्षण और इस खेल को लेकर अपनी राय दी, साथ ही खिलाड़ियों के लिए टिप्स भी दिए.
पुदुकोट्टई जिला, जल्लीकट्टू के लिए प्रसिद्ध जिलों में से एक है. यह जिला न केवल जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां बैलों की बहुतायत भी है. इस जिले को खासतौर पर वाडिवासल (बैलों के प्रवेश द्वार) के लिए भी पहचाना जाता है. यहां के लोग बैलों को अपने परिवार के सदस्य की तरह स्नेह और देखभाल से पालते हैं, और जल्लीकट्टू के दौरान इन बैलों को खेलते हुए देखना उन्हें अत्यधिक खुशी देता है.
जल्लीकट्टू और कमेंट्री का महत्व
जल्लीकट्टू एक साहसिक खेल है, जिसमें एक सांड को वश में करने का प्रयास किया जाता है. इस खेल में कमेंट्री का भी महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि सही टिप्पणी और प्रोत्साहन प्रतियोगिता को और रोमांचक बना देती है. पुदुकोट्टई जिले के सेनगुट्टुवन नामक एक प्रसिद्ध कमेंटेटर ने जल्लीकट्टू की कमेंट्री से जुड़ी अपनी यात्रा और अनुभवों को हमारे साथ साझा किया.
सेनगुट्टुवन ने क्या कहा?
“मैं पुदुकोट्टई जिले के रापूसल गांव का रहने वाला हूं. मैं एक किसान परिवार से हूं और जब मैं छोटा था, मेरे पिता का निधन हो गया था. मेरी मां ने हमें अकेले ही पाला. बचपन से ही मुझे जल्लीकट्टू के खेल में रुचि थी और मैं हमेशा माइक के साथ इस खेल को देखने और इसमें कमेंट्री करने का सपना देखा करता था,” सेनगुट्टुवन ने अपनी यात्रा की शुरुआत के बारे में बताया.
उन्होंने आगे कहा, “1999-2000 में, मैंने अपने गांव में जल्लीकट्टू के एक खेल पर कमेंट्री की, जिसे लोगों ने बहुत सराहा. इसके बाद, मैं अपने गांव और आसपास के क्षेत्रों में लगातार कमेंट्री करता रहा. धीरे-धीरे मेरी पहचान बढ़ी और मुझे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जल्लीकट्टू की कमेंट्री के लिए सराहा गया.”
एक भावनात्मक क्षण
सेनगुट्टुवन ने 2021 में अवनियापुरम जल्लीकट्टू प्रतियोगिता के दौरान एक खास घटना को याद किया. “जब मैंने वहां कमेंट्री की, तो कोई भी VIP मौजूद नहीं था, लेकिन अचानक राहुल गांधी वहां पहुंचे. मुझे हिंदी नहीं आती थी, तो मैंने जल्दी-जल्दी अंग्रेजी में उनका स्वागत किया. उसी दौरान एक बैल अच्छा खेल रहा था, और मैंने कमेंट्री की, ‘अगर उन्हें पता होता कि तुम इतना अच्छा खेल रहे हो, तो वे तुम पर प्रतिबंध नहीं लगाते.’ इसके बाद पत्रकारों ने मुझसे सवाल पूछा, ‘आपके शासनकाल में इस पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया था?’ मैंने जवाब दिया कि अगर हमें पहले पता होता तो हम इसका समर्थन करते. राहुल गांधी ने मेरी इस बात की सराहना की, और यह मेरे लिए एक भावनात्मक क्षण था.”
First Published :
January 13, 2025, 15:28 IST