रूसी सेना में ड्रोन हमले से भारतीय की मौत, खटखटाते रहा दूतावास का दरवाजा, नहीं ली किसी ने सुध

7 hours ago

Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन जंग में रूस की तरफ से लड़ रहे एक भारतीय सैनिक की मौत हो गई है. वहीं उसका एक रिश्तेदार गंभीर रूप से घायल है. मृतक सैनिक की पहचान केरल के त्रिस्सूर जिले के वडक्कानचेरी नगर का रहने वाला 32 वर्षीय बिनिल टी बी के रूप में हुई है. वहीं उसके घायल रिश्तेदार की पहचान 27 वर्षीय जैन टी के के रूप में हुई है. दोनों एक ही जगह के रहने वाले हैं. 

ड्रोन हमले से हुई मौत 
बिनिल के परिजनों को कुछ दिन पहले एक मैसेज आया था कि ड्रोन के हमले से 2 लोग घायल हुए हैं, लेकिन वे उनके साथ संपर्क स्थापित नहीं कर पा रहे हैं. सनीश नाम के दोनों सैनिकों के एक परिजन ने बताया कि बिनिल की पत्नी ज्वॉइसी जानकारी के लिए लगातार मॉस्को स्थित इंडियन एंबेसी के संपर्क में है. जब उन्होंने अधिकारियों को कॉल किया तो उन्होंने बताया कि बिनिल की मृत्यु हो चुकी है. अधिकारियों का कहना था कि उन्हें ये जानकारी रूसी सेना की ओर से मिली है.     

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रूसी सेना में फंसे केरल के लोग 
नॉन रेसिडेंट केरलवासियों के मामलों के लिए NORKA ROOTS नाम की राज्य सरकार की एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजित कोलास्सेरी ने मामले को लेकर कहा,' हमने घटना के बारे में सुना. हम विदेश मंत्रालय की ओर से इसकी अंतिम पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं. पिछले कुछ महीनों से हम उन्हें वापस लाने की कोशिश कर रहे थे. हम ठीक से नहीं जानते कि केरल के कितने लोग अभी भी रूसी सेना में फंसे हुए हैं. हमें घटना के बारे में तभी पता चलता है जब ऐसे लोग संकट होने पर कॉल करते हैं.'   

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खटखटाते रहे दूतावास का दरवाजा 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिनिल और जैन टी के पिछले कुछ महीने से घर जाने के लिए बेताब थे. उन्होंने कहा था कि वे इसको लेकर सितंबर 2024 से भारतीय दूतावास का दरवाजा खटखटा रहे हैं. बिनिल ने अपने आखिरी मैसेज में कहा था कि उन्हें जबरदस्ती युद्ध में फ्रंटलाइन से लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे उनका जीवन खतरे में है. बता दें कि बिनिल और जैन से पहले संदीप नाम के एक भारतीय की भी साल 2024 में ड्रोन हमले में मौत हुई थी. बिनिल और जैन जैसे कई भारतीय युवा रूसी सेना में इलेक्ट्रिशियन, कुक, ड्राइवर और प्लंबर जैसी नौकरी की उम्मीद से रूस गए थे, हालांकि उनके पासपोर्ट को जब्त कर लिया गया और उन्हें जबरदस्ती सेना में शामिल किया गया. 
 

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