Last Updated:January 13, 2025, 23:48 IST
INS TUSHIL : तीन साल से ज्यादा समय से चल रहे रूस यूक्रेन युद्ध के चलते माना जा रहा था कि INS तुशिल की डिलिवरी में देरी हो सकती है, लेकिन रूस ने अपनी दोस्ती निभाई. अब यह पूरी दुनिया में अपनी ताकत को ट्रेलर...और पढ़ें
INS TUSHIL : स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तुशिल ने 17 दिसंबर 2024 को रूस के कलिनिनग्राद से भारत के लिए अपनी यात्रा शुरू की थी. 12 जनवरी को INS तुशिल नाइजीरिया के लागोस बंदरगाह पर पहुंचा. यह उसकी गल्फ ऑफ गिनी में चल रही तैनाती के तहत एक ऑपरेशनल टर्नअराउंड का हिस्सा था. भारतीय नौसेना की ताकत के प्रतीक के तौर पर मित्र देशों को उससे रूबरू करवाया जा रहा है. नाइजीरियाई नौसेना के एक जहाज ने बंदरगाह तक पहुंचने में मदद की. यहां पहुंचने पर नाइजीरियाई नौसेना के अधिकारियों, भारतीय उच्चायोग के प्रतिनिधियों और लागोस में भारतीय समुदाय द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया. इस पोर्ट कॉल के दौराना INS तुशिल के कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन पीटर वर्गीस नाइजीरियाई नौसेना के वरिष्ठ नेतृत्व से मुलाकात करेंगे. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय नौसैनिक सहयोग को मजबूत करना होगा.
कई देशों की यात्रा कर चुका है तुशिल
लागोस में अपने पड़ाव के दौरान INS तुशिल टेबलटॉप अभ्यास, संयुक्त प्रशिक्षण गतिविधियां जैसे अलग-अलग प्रोफेशनल इंटरएक्शन आयोजित करेगा. ओपन फ़ॉर विजिटर्स के तहत नाइजीरिया में रहने वाले भारतीय समुदाय और नाइजीरियाई नौसेना अधिकारियों के लिए एक डेक रिसेप्शन का आयोजन किया जाएगा. रूस से अपनी यात्रा शुरू करने के बाद तुशिल सेनेगल, मोरक्को की यात्रा भी कर चुका है. INS तुशिल की यात्रा बाल्टिक सागर, उत्तरी सागर, अटलांटिक महासागर होते हुए भारतीय महासागर के रास्ते भारत में आकर समाप्त होगी. इस रूट के कई मित्र देशों के बंदरगाहों पर रुकता हुआ आ रहा है. अपनी पूरी यात्रा के दौरान जहाज ज्वाइंट पेट्रोलिंग और समुद्री साझेदारी के अभ्यास करेगा. खास बात तो यह है कि समुद्री लुटेरों के इलाकों में भी अभ्यास को अंजाम देगा.
तुशिल की ताकत
इस वॉरशिप की ताक़त तो इसका क्रेस्ट है “अभेद्य कवचम” और इसके ध्येय वाक्य “निर्भय अभेद्य और बलशील” से साफ हो जाता है. तुशील की रफ्तार समुद्र में 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे की है. तुशिल 3000 किमी तक की दूरी एक बार में तय कर सकता है. इससे ब्रह्मोस मिसाइल फायर किया जा सकता है. एंटी सबमरीन वॉरफेयर के लिए भी इस खास तौर पर डिजाइन किया गया है. दुश्मन की सबमरीन के हमलों से निपटने के लिए एंटी सबमरीन रॉकेट्स और टॉरपीडो भी इस वॉरशिप में मौजूद हैं. इस वॉरशिप पर एक हेलीकॉप्टर को भी तैनात किया जा सकता है. इसका वजन 3900 टन है. साल 2016 में भारत और रूस के बीच चार तलवार क्लास स्टेल्थ फ्रिगेट्स बनाने के लिए समझौता हुआ था. जिनमें से दो रूस में और दो भारत में बनने थे. तलवार क्लास का ये फॉलोऑन प्रोजेक्ट है. तुशिल तलवार क्लास के तीसरे बैच का पहला वॉरशिप है. भारतीय नौसेना में तलवार क्लास के वॉरशिप 2003 से शामिल होना शुरू हो गए थे. अब तक इस क्लास के 6 जंगी जहाज इस समय भारतीय नौसेना में समुद्री सुरक्षा में लगे है. इन 6 स्टेल्थ फ्रिगेट्स में से 4 को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया जा चुका है. जबकि बाकी दो को ब्रह्मोस से लैस करने काम जारी है.
First Published :
January 13, 2025, 23:32 IST