क्‍या होती है महंगाई दर? क्‍यों इसके नाम से ही डर जाते हैं आम आदमी और सरकार

12 hours ago

Last Updated:January 14, 2025, 15:05 IST

What is Inflation : क्‍या आपको पता है कि महंगाई दर कैसे नापी जाती है. खुदरा और थोक महंगाई दर का क्‍या असर होता है और किसी वस्‍तु के महंगे होने से क्‍या मतलब होता है.

नई दिल्‍ली. महंगाई दर के बारे में तो आपने कई बार सुना होगा, कभी सोचा है कि आखिर यह क्‍या बला है जो पूरे देश और दुनिया को हिला देती है. महंगाई दर के बढ़ते ही आम आदमी से लेकर सरकार और रिजर्व बैंक के माथे पर भी पसीना आ जाता है. इसके नाम में आखिर ऐसा क्‍या है जो हर किसी को डर लग जाता है. महंगाई दर भी 2 तरह की होती है, लेकिन इसका असर सिर्फ एक ही तरह का होता है और वह है गंभीर असर.

महंगाई की बात करें तो एक होती है थोक महंगाई और दूसरी है खुदरा महंगाई (Retail Inflation) जिसे उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (CPI) भी कहा जाता है. थोक महंगाई किसी वस्‍तु या सेवा के थोक मूल्‍य को बताती है. जब बात खुदरा मूल्‍य की हो तो इसे उपभोक्‍ता के मूल्‍य से जोड़ते हैं. मसलन, उपभोक्‍ता जिस कीमत पर कोई सामान खरीदता है, वही उस वस्‍तु या सेवा का खुदरा मूल्‍य होता है. इसमें होने वाली वृद्धि को ही खुदरा महंगाई कहा जाता है.

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क्‍या होती है महंगाई
सबसे पहले तो आपको महंगाई के बारे में बताते हैं कि आखिर महंगाई से क्‍या मतलब होता है. महंगाई का मतलब है कि कोई वस्‍तु या सेवा का मूल्‍य अगर पिछले साल 100 रुपये था तो इस साल कितना होगा. अगर इस साल मूल्‍य बढ़कर 120 रुपये हो गया तो कहा जाएगा कि अमुक वस्‍तु या सेवा 20 रुपये महंगी हो गई है. अब यह बढ़ोतरी अगर वस्‍तु या सेवा के थोक भाव में होती है तो इसे थोक महंगाई कहा जाता है. अगर किसी वस्‍तु या सेवा की खुदरा कीमत में बढ़ोतरी होती है तो इस तरह की महंगाई को खुदरा महंगाई कहा जाता है.

क्‍या होती है महंगाई दर
जैसा कि हमने आपको बताया कि महंगाई का मतलब है कि किसी वस्‍तु की कीमत पिछले साल क्‍या थी और आज क्‍या है. इसके बीच का अंतर ही महंगाई कही जाती है. अब इसे दर के रूप में समझना है तो ऐसे समझें कि 100 रुपये की कीमत वाली कोई चीज आज अगर 105 रुपये में मिल रही है तो कहा जाएगा कि इसमें 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इसका मतलब है कि अमुक वस्‍तु या सेवा की महंगाई दर 5 फीसदी रही. अब अगर यह महंगाई दर थोक मूल्‍य या सेवा में जुड़ती है तो थोक महंगाई दर कही जाएगी, जबकि खुदरा मूल्‍य के साथ जुड़ने पर इसे खुदरा महंगाई दर कहा जाता है.

299 चीजों से नापी जाती है महंगाई
खुदरा महंगाई को नापने के लिए सरकार 299 तरह की चीजों को शामिल करती है. इसमें खाने-पीने की चीजें, कपड़े, मकान, ईंधन और परिवहन को भी शामिल किया जाता है. केंद्र सरकार का सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्‍वयन मंत्रालय इन चीजों की कीमतों के आंकड़े जुटाता है और उसी आधार पर महंगाई दर के आंकड़े पेश करता है. इस गणना हर महीने और हर साल के आधार पर की जाती है.

क्‍यों बढ़ती है महंगाई
महंगाई खुदरा हो या थोक इसके बढ़ने के पीछे मुख्‍य रूप से 3 कारण होते हैं. पहला है कि अगर किसी वस्‍तु या सेवा की डिमांड बढ़ जाती है तो उसकी कीमत बढ़ जाएगी, जिसका मतलब हुआ कि अमुक चीज या सेवा महंगी हो गई. दूसरा, अगर लोगों के पास पैसे अधिक आते हैं तो वे खरीदारी ज्‍यादा करने लगते हैं और उस चीज की डिमांड बढ़ जाती है और आखिर में उसकी कीमत भी बढ़ जाएगी. तीसरी वजह है कि अगर अमुक वस्‍तु के कच्‍चे माल की कीमत बढ़ जाती है या फिर लेबर का चार्ज बढ़ जाता है तो भी उस चीज की कीमत बढ़ जाएगी और कहा जाएगा कि वह वस्‍तु या सेवा महंगी हो गई है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

January 14, 2025, 15:05 IST

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