Last Updated:March 15, 2025, 09:19 IST
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के जमकर होली मनाने के कई किस्से हैं. उन्हें रंगों के इस त्योहार को मनाने में खूब मजा आता था. उन्होंने तो म्यांमार में दो विदेशी राष्ट्रप्रमुखों के साथ भी होली खेल ली.

हाइलाइट्स
नेहरू होली पर तीन मूर्ति भवन आम जनता के लिए खोलते थे.नेहरू ने म्यांमार में विदेशी राष्ट्रप्रमुखों के साथ होली खेली.1963 तक तीन मूर्ति भवन में होली का आयोजन होता था.भारत के दो प्रधानमंत्री थे, जो होली पर प्रधानमंत्री हाउस को आम लोगों के लिए खोल देते थे. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू तब आम जनता के लिए तीन मूर्ति भवन के दरवाजे खोल देते थे. जनता के साथ होली खेलते थे तो अटल बिहारी वाजपेयी उस दिन पीएम हाउस में जनता से गुलाल लगवाया करते थे.
नेहरू के बारे में मशूहर है कि वह जमकर होली खेलते थे. यहां तक कि जब वह एक बार होली के मौके पर म्यांमार गए तो वहां उन्होंने दो विदेशी राष्ट्रप्रमुखों से भी होली खेली. जब नेहरू देश में होते थे तो तीन मूर्ति भवन में होली खेलत और गुलाल लगवाते थे.
नेहरू होली पर पूरा आनंद लेते थे. तब पीएम हाउस रहा तीन मूर्ति भवन के लिए होली बड़ा त्योहार होता था. तब सुरक्षा को लेकर इस तरह की चिंताएं नहीं थीं, जैसी आज. ना इसे लेकर बहुत कड़े नियम. तब होली के दिन हजारों लोग तीन मूर्ति के लॉन में भर जाया करते थे. वहां वो सभी नेहरू के साथ होली खेलते थे.
1963 तक चला सिलसिला
होली का ये सिलसिला तीनमूर्ति भवन में 1963 तक चलता रहा. वर्ष 1964 में नेहरू अस्वस्थ थे. उस साल होली वहां हुई नहीं. फिर 27 मई 1964 को नेहरू के निधन के बाद ये सिलसिला बंद ही हो गया.
इसके बाद किसी प्रधानमंत्री के दौर में पीएम आवास पर इतने बड़े पैमाने पर लोगों का जमावड़ा नहीं हुआ. अगर हुआ भी तो उसमें कड़े सुरक्षा प्रावधान भी लागू रहे. अटलबिहारी जब प्रधानमंत्री बने तो काफी लोग उन्हें गुलाल लगाने पीएम आवास जाते थे.
होली के दिन तीन मूर्ति भवन स्थित आवास के दरवाजे आम जनता के लिए खुल जाते थे और नेहरू उनके साथ होली खेलते थे. (फाइळ फोटो)
वैसे नेहरू के होली के कई किस्से हैं. वैसे नेहरू ने अपनी ऑटोबॉयोग्राफी माई स्टोरी में अपने बचपन के बारे में लिखा, जब त्योहार के दिन करीब आते थे तो हम सभी उत्साह से भर जाते थे. होली के दिन सारे शहर में जब रंगरेलियों की धूम मच जाती थी तब हम लोग एक दूसरे पर रंग की पिचकारियां चलाते थे.
जब जैकलीन कैनेडी भारत आईं और नेहरू से होली खेली
अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी की पत्नी जैकलीन 1962 में 09 दिनों की निजी यात्रा पर भारत आईं. बीके नेहरू ने अपनी आत्मकथा ‘नाइस गाइज़ फ़िनिश सेकेंड’ में इसका जिक्र किया है. उन्होंने लिखा, जिस दिन जैकलीन का भारत में आखिरी दिन था, संयोग से उस दिन होली थी. हवाई अड्डे जाने से पहले जैकलीन नेहरू को गुड बाई कहने उनके निवास स्थान तीनमूर्ति भवन गईं.
होली पर गुलाल से सराबोर नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गांधी (courtesy rajiv gandhi foundation)
जैकलीन ने हमेशा की तरह काफ़ी फ़ैशनेबल कपड़े पहन रखे थे. तत्कालीन अमेरिकी राजदूत गालब्रैथ को होली के बारे में पता था, इसलिए वो कुर्ता पायजामा पहन कर आए थे.
नेहरू ने गुलाल का टीका लगाया
बीके नेहरू लिखते हैं, “मैंने भी होली के मिज़ाज के ख़िलाफ़ लाउंज सूट पहन रखा था. मुझे पता था कि नेहरू होली खेलने के शौकीन थे. जैसे ही जैकलीन तीन मूर्ति भवन पहुंची. उनके सामने चांदी की ट्रे में कई रंगों में गुलाल भरी छोटी छोटी कटोरियां लाई गईं. नेहरू ने जैकलीन के माथे पर गुलाल का टीका लगाया. उन्होंने भी नेहरू के माथे पर टीका लगा दिया. इंदिरा गांधी ने भी यही किया.
रंग गीले नहीं थे, इसलिए थोड़े पानी की मदद से जैकलीन का चेहरा और कपड़े दोनों साफ़ हो गए. नेहरू ने फिर अमेरिकी राजदूत गालब्रेथ के साथ पालम हवाई अड्डे पर जैकलीन कैनेडी को विदाई दी.
देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू और पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के बीच होली. (courtesy rajiv gandhi foundation)
तब म्यांमार में नेहरू ने जमकर खेली होली
दूसरा वाकया म्यांमार का है.इसे भी बीके नेहरू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है. तब नेहरू और मिस्र के राष्ट्रपति गमेल अब्देल नासेर किसी सम्मेलन या मीटिंग के सिलसिले में बर्मा यानि म्यांमार में थे. साल था 1958. अगले दिन वहां भी होली थी. म्यांमार में होली वसंत के शुभ आगमन के तौर मनाई जाती है. सभी अतिथियों को होली खेलने के लिए वहां के स्थानीय वस्त्र लुंगी दी गई.
अलग-अलग पंडाल सजाए गए जिनमें ये अतिथिगण जाकर बैठते. चांदी की थाल लिए कुछ बर्मीज युवतियां आतीं. अंगुलियों से पानी छिड़कतीं. उसके बाद अतिथि भी उसी थाल में अंगुलियां डुबोकर पानी छिड़कते. लगातार दो-तीन पंडालों में जब ऐसा ही दोहराया गया तो नेहरू ऊब गए. उठकर बोले कि मैं अभी दिखाता हूं कि भारत में होली कैसे खेली जाती है.
मिस्र और म्यांमार के राष्ट्रप्रमुखों के साथ होली खेलने के बाद नेहरू (फाइल फोटो)
नेहरू पानी की बकेट मिस्र के प्रेजिडेंट और बर्मा के पीएम पर उड़लने लगे
नासेर के साथ बहुत सारे लोग आए थे. नेहरू ने उनसे कहा कि जहां भी कोई बकेट दिखे उसमें पानी भरकर ले आएं. ऐसा ही किया गया. उसके बाद नेहरू ने पूरा का पूरा बकेट इजिप्ट के प्रेजिडेंट और बर्मा के प्रधानमंत्री पर उड़ेल दिया. बस होली का खेल शुरू हो गया था. तीनों देशों के प्रधानमंत्री और उनके विदेशमंत्री एक दूसरे के ऊपर रंग डालने या पानी उड़लने के लिए भाग रहे थे.
पीडी टंडन को रंगों से भरे गड्ढे में डाल दिया
इलाहाबाद के आनंद भवन में भी होली मनाए जाने के कई किस्से हैं. आजादी से पहले नेशनल हेराल्ड के कॉरेस्पोंडेंट रहे (बाद में विरोधी) पुरुषोत्तम दास टंडन ने कहीं जिक्र किया है कि इलाहाबाद के आनंद भवन में जमकर होली होती थी. खासकर नेहरू रंग से डूबे बकेट को उठाकर फेंकते थे और गड्ढे बनाकर उनमें रंगीन पानी भरा जाता था. मेहमानों को उसी में गिराया जाता था.
टंडन ने जिक्र किया जब आनंद भवन होली के दिन पहुंचे तो उन्हें अंदाज नहीं था कि वहां इतनी जबरदस्त होली होती है. वो बचने के लिए कहीं छिप गए. उन्हें ढूंढकर बाहर निकाला गया. नेहरू ने होली के अवसर पर बनाए गए एक गड्ढे में उन्हें फेंक दिया. हालांकि इससे उन्हें चोट भी लग गई.
इंदिरा की होली
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी होली को अपने परिवार और करीबी लोगों के साथ मनाती थीं. उनके कार्यकाल के दौरान होली का आयोजन उनके आधिकारिक निवास पर होता था, जहां वे मंत्रियों, कर्मचारियों और परिवार के साथ रंग और गुलाल से होली खेलती थीं. हालांकि उनकी छवि एक मजबूत नेता की थी, लेकिन होली के मौके पर वे थोड़ी नरम और उत्सवप्रिय दिखाई देती थीं.
राजीव गांधी की होली
सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपनी आधुनिक सोच के लिए जाने जाते थे. वे होली को अपने परिवार, खासकर पत्नी सोनिया गांधी और बच्चों राहुल व प्रियंका के साथ मनाते थे. उनके समय में होली का उत्सव निजी और पारिवारिक स्तर पर ज्यादा केंद्रित रहता था, लेकिन वे कभी-कभी सार्वजनिक रूप से भी लोगों के साथ शामिल होते थे.
अटल मनाते थे दोस्तों और सहयोगियों के साथ
अटल बिहारी वाजपेयी: कवि और जननेता अटल बिहारी वाजपेयी होली को साहित्यिक और सांस्कृतिक अंदाज में मनाते थे. वे अपने दोस्तों, सहयोगियों और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ रंग खेलते थे. वाजपेयी की होली में अक्सर हास्य, कविताएं और ठिठोली शामिल होती थी. उनके निवास पर आयोजित होली के कार्यक्रमों में संगीत और फाग गायन का भी समावेश होता था.
लाल बहादुर शास्त्री की सादगी भरी होली
लाल बहादुर शास्त्री की होली उनके व्यक्तित्व की तरह ही सादगीपूर्ण, पारिवारिक और जन-केंद्रित थी. वे इसे बड़े धूमधाम से नहीं, बल्कि अपने परिवार, कर्मचारियों और करीबी लोगों के साथ मनाते थे. देश की स्थिति के प्रति उनकी संवेदनशीलता और सादगी ने होली को एक अनुकरणीय मिसाल बनाया. उनके समय में होली का आयोजन उनके आधिकारिक निवास पर होता था, लेकिन शोर-शराबे से दूर, शांत और सौहार्दपूर्ण माहौल में.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
March 15, 2025, 09:19 IST