Bangladesh News: छात्रसंघ चुनाव को राजनीति का नर्सरी कहा जाता है. छात्रसंघ के जरिए छात्र मुख्यधारा की राजनीति का ककहरा सीखते हैं. दुनिया भर में कई ऐसे नेता हुए जिन्होंने छात्र राजनीति के जरिए राजनीति में कदम रखा और शिखर पर पहुंचे. बांग्लादेश में पिछले साल हुए आंदोलन में छात्रों ने अहम भूमिका निभाई थी. जिसके बाद वहां पर तख्ता पलट हो गया. हालांकि आंदोलन उग्र हुआ तो हिंदुओं पर अत्याचार हुआ और तोड़फोड़- आगजनी की भी घटनाएं देखी गई. अब वहां पर छात्रों के नेतृत्व में देश में एक नये राजनीतिक दल का उदय होने जा रहा है.
खत्म हुआ था हसीना का शासन
आंदोलन के कारण अगस्त 2024 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को उखाड़ फेंका गया था. मध्य ढाका के माणिक मिया एवेन्यू में ‘जातीय नागरिक पार्टी’ या राष्ट्रीय नागरिक पार्टी (एनसीपी) की शुरुआत के लिए एक बड़ा मंच तैयार है. जिसका नेतृत्व भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन, जिसे स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (एसएडी) भी कहा जाता है, के प्रमुख नेता कर रहे हैं. छात्र आंदोलन ने बड़े पैमाने पर विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसके परिणामस्वरूप पिछले वर्ष पांच अगस्त को हसीना के 15 वर्षों से अधिक के शासन का अंत हुआ था.
अंतरिम सरकार का गठन
इस घटनाक्रम के तीन दिन बाद, मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला, जो प्रभावी रूप से प्रधानमंत्री हैं. एनसीपी नेताओं ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि स्थापना समारोह में देश भर से छात्रों सहित लगभग तीन लाख लोग आएंगे. नयी पार्टी के मीडिया प्रकोष्ठ के एक प्रवक्ता ने कहा, “जुलाई-अगस्त के जन-विद्रोह में अपनी जान देने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों के साथ-साथ सभी 64 जिलों के लोग हमारे उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे. उन्होंने कहा, “हमने प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया है.
मुहम्मद यूनुस कर रहे हैं समर्थन
नई पार्टी की शुरुआत यूनुस के समर्थन से की जा रही है, जिन्होंने अगस्त 2024 में एसएडी के उम्मीदवार के रूप में मुख्य सलाहकार का पद संभाला था. एनसीपी नेताओं ने कहा कि यूनुस भी उनके स्थापना समारोह में आमंत्रित हैं. अन्य उच्च-स्तरीय आमंत्रित हस्तियों में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया, उनके पुत्र और कार्यवाहक बीएनपी अध्यक्ष तारिक रहमान, बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर, जमात-ए-इस्लामी के अमीर शफीकुर रहमान और कई इस्लामी, दक्षिणपंथी और वामपंथी दलों और समूहों के नेता शामिल हैं. (भाषा)