दुनिया के इस महाद्वीप पर क्यों फटकते भी नहीं उल्लू,सुनने की ताकत तो बहुत तगड़ी

3 days ago

असल में उल्लू वैसा होता नहीं जैसा हम समझते हैं. रिसर्च और अध्ययन उसे बुद्धिमान बताते हैं. यूरोप और अमेरिका में भी उसे इंटैलिजेंट पक्षी मानते हैं. वैसे ये दुनिया में हर जगह मिलता है बस एक बड़े महाद्वीप में फटकने भी नहीं जाता.

News18 हिंदी Last Updated :March 26, 2025, 18:32 ISTEditor pictureFiled by
  Sanjay Srivastava

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उल्लू भारत में बेशक उल्लू माना जाता हो लेकिन यूरोप और अमेरिका में वो बुद्धिमान पक्षी माना जाता है. भारत में इस पक्षी की इमेज चाहे जैसी हो लेकिन भारत से अलग दुनिया में उल्लूओं की इमेज बड़ी शानदार है.इसकी वजह क्या है, ये हम आपको आगे बताएंगे.

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उल्लुओं का दिमाग बड़ा और देखने और सुनने की क्षमता अच्छी होती है. उनकी आंखें किसी अन्य पक्षी की तुलना में कुछ ज्यादा बड़ी होती हैं, उसकी तुलना में उनका दिमाग छोटा होता है. उल्लू अपनी गर्दन को 270 डिग्री तक मोड़ सकता है. वह अपने साथी का बहुत वफादार पार्टनर बनता है यानि अगर उसने किसी के साथ जीने की कसम खा ली तो फिर उससे दगाबाजी नहीं करता, जैसा दूसरे पक्षियों में खूब मिलता है. मतलब आप उसकी वफादारी को पूरे नंबर दे सकते हैं.

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उल्लू को बुद्धिमान मानने का मिथक दुनियाभर में ग्रीस के जरिए फैला. वो शायद इसलिए हुआ क्योंकि यूनान में ज्ञान की देवी एथेना को माना जाता है. एथेना अपने कंधे पर उल्लू को साथ लेकर चलती हैं. प्राचीन यूनानी एथेनियाई लोग उल्लुओं को बुद्धि और ज्ञान से जोड़ते थे क्योंकि उनका मानना ​​था कि उल्लू एक "आंतरिक प्रकाश" देखते हैं जो मनुष्य नहीं देख सकते. संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों में भी उल्लुओं को बुद्धिमान माना जाता है.

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यूनान में उल्लुओं के समूह को पार्लियामेंट यानि संसद कहा जाता है. पार्लियामेंट शब्द प्राचीन यूनान में तब कहा जाता था जब एक समुदाय के बुद्धिमान नेता साथ इकट्ठा होते थे. ये इसलिए कहा गया, क्योंकि यूनान में ये माना जाता था कि उल्लू बुद्धिमान और बुद्धिमान प्राणी हैं. और ये तब इकट्ठा होते हैं जब उन्हें महत्वपूर्ण मामलों पर विचार-विमर्श करना होता है.

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ग्रीक लेखक ईसप ने ईसप की दंतकथाओं में उल्लुओं को बुद्धिमान बताया था. शेक्सपियर की रचनाओं में उल्लुओं का सकारात्मक संदर्भ दिया गया है. जब वो शिकार करने निकलते हैं तो इसमें भी पूरी बुद्धिमानी का परिचय देते हैं. उनका पूरा चेहरा उसे बुद्धिमान चिंतक जैसी इमेज देता है. आमतौर पर वो एकांतवासी होते हैं. दुनियाभर में उल्लुओं की 200 से अधिक प्रजातियां हैं. उल्लू अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप पर रहते हैं. इस महाद्वीप पर तो वो फटकता भी नहीं.

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उल्लू अंटार्कटिका में नहीं रहते, इसके कई कारण हैं - अंटार्कटिका दुनिया का सबसे ठंडा और शुष्क महाद्वीप है. उल्लुओं को जीवित रहने के लिए गर्म जलवायु की जरूरत होती है. अंटार्कटिका की अत्यधिक ठंडी और बर्फीली परिस्थितियां उनके लिए अनुकूल नहीं हैं. (image generated by Meta AI)

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उल्लू मांसाहारी होते हैं. उनका मुख्य भोजन छोटे स्तनधारी, पक्षी और कीड़े होते हैं. अंटार्कटिका में इस तरह के शिकार की कमी है. उल्लुओं को घोंसला बनाने और रहने के लिए पेड़ों की जरूरत होती है. अंटार्कटिका में पेड़ नहीं पाए जाते, जिससे उल्लुओं के लिए आवास की समस्या होती है. उनका शरीर ठंडे वातावरण के लायक नहीं होता. (Image generated by Meta AI)

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उल्लुओं के प्रति मनुष्य की जिज्ञासा हजारों वर्ष पहले शुरू हुई. उल्लू के पास कुछ ऐसी चीज़ होती है जो इंसानों के पास नहीं होती - रात में देखने की ताकत. जब रात होती है, तो उल्लू विशिष्ट हूट, चीख़ और अन्य अनोखी आवाज़ों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. उनकी घूरती हुई आंखें रात के अंधेरे में सबकुछ देख सकती हैं.

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बाइबिल में उल्लू अक्सर विनाश, अकेलेपन और वीरानी जैसे नकारात्मक अनुभवों और भावनाओं से जोड़े गए हैं. यूरोप में मध्य युग तक, उल्लुओं को मुख्य रूप से मृत्यु के अग्रदूत के रूप में देखा जाता था. रात में उल्लू की चीख को राक्षसी माना जाता था. उल्लू से मुठभेड़ को विनाश का प्रतीक माना जाता था. अमेरिकी मूल-निवासी भी अक्सर उल्लू को मौत से जोड़कर देखते हैं.

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अफ़्रीकी संस्कृति में भी उल्लू को अक्सर मृत्यु के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. उल्लू का दिखना दुर्भाग्य, शोक और मृत्यु से जुड़ा माना जाता है. अफ़्रीका के कुछ हिस्सों में उल्लू के शरीर के अंगों का व्यापार होता है - जादू-टोना करने वाले डॉक्टर, जादूगर और आध्यात्मिक चिकित्सक इन्हें जादुई या उपचार गुणों वाला बताकर बेचते हैं.

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उल्लू की सुनने की क्षमता बहुत ही तीव्र होती है. वे इंसानों से 10 गुना धीमी आवाज भी सुन सकते हैं. उनके कान भी अलग-अलग दिशाओं में घूम सकते हैं, जिससे वे शिकार की सटीक स्थिति का पता लगा सकते हैं. उल्लू की उड़ान बहुत ही शांत होती है. उनके पंखों की विशेष संरचना उन्हें बिना आवाज किए उड़ने में मदद करती है, जिससे वे अपने शिकार को आसानी से पकड़ सकते हैं.

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