दुलरुआ, लाड़ला और 'तड़ीपार' में से कौन साबित होगा बिहार का अंडरडॉग प्लेयर?

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Last Updated:August 19, 2025, 18:23 IST

Bihar Chunav 2025: बिहार चुनाव 2025 में दुलरुआ, लाड़ला और 'तड़ीपार' की खूब चर्चा हो रही है. निशांत कुमार, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव में से कौन बिहार की राजनीति में अंडरडॉग प्लेयर बन सकते हैं? कौन सबसे बड़...और पढ़ें

दुलरुआ, लाड़ला और 'तड़ीपार' में से कौन साबित होगा बिहार का अंडरडॉग प्लेयर?बिहार चुनाव 2025 में किसका किस्मत चमकेगा?

पटना. बिहार चुनाव 2025 में तीन चेहरों की खूब चर्चा हो रही है. पहला, पूर्व मुख्यमंत्री का दुलरुआ है तो दूसरा वर्तमान मुख्यमंत्री का लाड़ला है. जबकि, तीसरा पूर्व मुख्यमंत्री का ‘तड़ीपार’ बेटा है. दुलरुआ और लाड़ला खुलेतौर पर अब एक-दूसरे पर बयानबाजी करना शुरू कर दिया है, जो कि पहले नहीं किया करते थे. लेकिन, तीसरा शख्स फिलहाल पार्टी और परिवार से ‘तड़ीपार’ होकर नए वजूद की लड़ाई में जुटा है. ऐसे में सवाल उठता है कि इन तीनों में से किसका किस्मत चमकने वाला है? कौन बिहार की राजनीति का अंडरडॉग प्लेयर साबित हो सकता है? बिहार के वर्तमान और भूतपूर्व सीएम के इन तीनों लाड़लों में से दो ने तो सीएम बनने की इच्छा भी जता दिया है. लेकिन तीसरा शख्स अभी भी अपने पिता को ही सीएम बनाने की बात कर रहा है. ऐसे में इन तीनों राजकुमारों में से किसका मुराद पूरा हो सकता है?

निशांत कुमार, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव में से कौन सीएम या फिर बड़ा नेता बनेगा? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इकलौते बेटे निशांत कुमार, राजद नेता लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव और उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं. इन तीनों की सियासी महत्वाकांक्षाएं और उनके पिता की विरासत बिहार की सियासत को नया रंग देने को तैयार हैं. निशांत अभी राजनीति में औपचारिक रूप से नहीं उतरे, लेकिन जनता दल यूनाइटेड के कार्यकर्ताओं की मांग और उनके बढ़ते दखल ने सियासी हलचल पैदा कर दी है. दूसरी ओर, तेजस्वी और तेज प्रताप पहले से ही सक्रिय हैं, लेकिन उनकी राहें और मकसद अलग-अलग हैं.

निशांत कुमार:

नीतीश की विरासत का नया चेहरा निशांत कुमार बन सकते हैं. नीतीश कुमार के इकलौते बेटे हैं और अब तक सियासत से दूरी बनाए रखने के लिए जाने जाते थे. लेकिन हाल के महीनों में उनकी सक्रियता ने चर्चा को हवा दी है. अगस्त 2025 में पटना में जेडीयू कार्यालय के बाहर लगे पोस्टरों में कार्यकर्ताओं ने निशांत को चुनाव लड़ने की मांग की, जिसने उनके सियासी प्रवेश की अटकलों को बल दिया. निशांत ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उनका मकसद अपने पिता नीतीश को फिर से मुख्यमंत्री बनाना है न कि खुद सीएम बनना. मार्च 2025 में होली समारोह में निशांत को जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं के साथ देखा गया, और पार्टी सूत्रों ने संकेत दिए कि वे जल्द नीतीश के उत्तराधिकारी के रूप में उभर सकते हैं. हालांकि, निशांत की राह आसान नहीं है. बिहार में मुख्यमंत्री पुत्रों का इतिहास रहा है, लेकिन कोई भी अपने पिता की तरह सफल नहीं हो पाया.

तेजस्वी यादव:

तेजस्वी यादव राजद के युवा चेहरा और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. पहले ही दो बार उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी अगुवाई में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और 2024 के लोकसभा चुनाव में नौकरी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर उनकी रणनीति ने युवाओं को आकर्षित किया. सी वोटर सर्वे में 36% लोगों ने तेजस्वी को सीएम की पहली पसंद बताया, जो नीतीश के 15% और प्रशांत किशोर 17% से कहीं आगे है. तेजस्वी ने खुलकर कहा है कि वह 2025 में महागठबंधन की ओर से सीएम पद के उम्मीदवार होंगे. उनके पिता लालू प्रसाद और मां राबड़ी देवी भी उनकी दावेदारी का समर्थन करते हैं.

तेज प्रताप यादव:

लालू-राबड़ी के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव बिहार सियासत में एक अनिश्चित चेहरा रहे हैं. वे 2015 में महागठबंधन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे, लेकिन उनके बयान और फैसले अक्सर विवादों में रहे. हाल में तेज प्रताप ने तेजस्वी को “खुली चुनौती” दी, जिससे भाइयों के बीच तनाव की अटकलें तेज हुईं. तेज प्रताप ने अपनी अलग पार्टी बनाने के संकेत भी दिए, लेकिन इसका कोई ठोस आधार नहीं दिखता. उनकी सियासी महत्वाकांक्षा स्पष्ट नहीं है. वे न तो खुद सीएम बनने की बात करते हैं और न ही अपनी मां राबड़ी को सीएम बनाने की वकालत करते हैं.

2025 के बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव की किस्मत सबसे ज्यादा चमकने की संभावना है, क्योंकि उनकी लोकप्रियता, सियासी अनुभव और राजद का मजबूत सामाजिक आधार उन्हें मजबूत दावेदार बनाता है. निशांत कुमार अपने पिता नीतीश को सीएम बनाने के लिए सक्रिय हैं, लेकिन उनकी अपनी सियासी महत्वाकांक्षा अभी अस्पष्ट है. तेज प्रताप की सियासी अस्थिरता और सीमित जनाधार उन्हें इस दौड़ में कमजोर बनाता है. बिहार की सियासत में यह त्रिकोणीय जंग न केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की कहानी है, बल्कि सामाजिक समीकरणों और गठबंधन की रणनीति का भी खेल है.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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First Published :

August 19, 2025, 18:23 IST

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