पंचायत सचिव प्रधान का चमचा बना तो सिस्टम का बंटाधार तय, समझिए कैसे

6 hours ago

Last Updated:June 29, 2025, 09:17 IST

Panchayat Season 4: किसी भी गांव में पंचायत सचिव अगर ग्राम प्रधान की हां में हां मिलाने लगे तो वहां के प्रशासन और विकास पर नेगेटिव असर पड़ सकता है.

पंचायत सचिव प्रधान का चमचा बना तो सिस्टम का बंटाधार तय, समझिए कैसे

Panchayat Season 4: पंचायत सचिव ग्राम प्रधान और पंचायत समिति के बीच सेतु का काम करते हैं

नई दिल्ली (Panchayat Season 4). वेबसीरीज पंचायत का सीजन 4 रिलीज हो चुका है. इसका पहला सीजन 2020 में आया था. पंचायत सीजन 4 ने दर्शकों के मन में कई सवाल छोड़ दिए हैं. ग्रामीण परिवेश पर रची-बसी पंचायत की कहानी को बहुत पसंद किया जाता है लेकिन अगर इसे वास्तविक परिवेश से जोड़ा जाए तो इसमें कुछ खामियां नजर आ सकती हैं. उदाहरण, ‘पंचायत’ वेबसीरीज में सचिव अभिषेक त्रिपाठी अगर ग्राम प्रधान का ‘चमचा’ बन जाए तो ग्रामीण प्रशासन और विकास पर गंभीर असर पड़ सकता है.

वास्तविक जीवन में पंचायत सचिव ग्राम पंचायत का एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक स्तंभ होता है. जिस तरह से ‘पंचायत’ वेब सीरीज में उसे ग्राम प्रधान के साथ घूमते-फिरते या राजनीति का हिस्सा बनते दिखाया गया है, असल में ऐसा नहीं होता है. पंचायत सचिव एक बहुत जिम्मेदारी भरा पद है. गांव के विकास में उसका खास योगदान होता है. वह किसी एक पार्टी या व्यक्ति को रिप्रेजेंट नहीं करता है. पंचायत सीजन 4 के अभिषेक त्रिपाठी के किरदार से समझिए पंचायत सचिव की वास्तविक जिम्मेदारियां.

Who is Panchayat Sachiv: पंचायत सचिव कौन होता है?

पंचायत सचिव ग्राम पंचायत का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है. इनका काम ग्राम पंचायत की बैठकों का आयोजन, सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन और रिकॉर्ड का रखरखाव करना है. पंचायत सचिव केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को लागू करने में जरूरी भूमिका निभाते हैं. सचिव ग्राम प्रधान और पंचायत समिति के बीच पुल का काम करते हैं. इसलिए उनका निष्पक्ष और पारदर्शी रहना अनिवार्य है. प्रधान का ‘चमचा’ बनकर सचिव अपनी निष्पक्षता खो देते हैं, जिससे सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं.

सिस्टम पर पड़ता है ‘चमचागिरी’ का असर

जब पंचायत सचिव प्रधान के गलत इरादों या व्यक्तिगत हितों का समर्थन करता है तो कई समस्याएं उभरती हैं:

भ्रष्टाचार में वृद्धि: सचिव के सहयोग से प्रधान सरकारी फंड्स का दुरुपयोग (जैसे मनरेगा में फर्जी मजदूरों के नाम दर्ज करना या योजनाओं में कमीशनखोरी) कर सकता है. इससे विकास कार्य प्रभावित होते हैं.

पारदर्शिता का अभाव: अगर सचिव रिकॉर्ड में हेरफेर करते हैं तो ग्रामीणों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. उदाहरण: स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों की गलत संख्या दिखा सकते हैं.

ग्रामीणों का विश्वास टूटना: जब ग्रामीण देखते हैं कि सचिव और प्रधान मिलकर अनुचित लाभ उठा रहे हैं तो वे पंचायत सिस्टम से विश्वास खो देते हैं. इससे सामुदायिक भागीदारी कम होती है.

कानूनी उल्लंघन: पंचायत सचिव का गलत कामों में शामिल होना पंचायती राज अधिनियम का उल्लंघन है, जो निलंबन या बर्खास्तगी का कारण बन सकता है.

मनरेगा में संदिग्ध पाई गई सचिव की भूमिका

वास्तविक जीवन में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां पंचायत सचिव और प्रधान की मिलीभगत से सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग हुआ. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में मनरेगा फंड्स के दुरुपयोग की शिकायतें आम हैं. 2023 में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कई राज्यों में अनियमितताओं की जांच के लिए ऑडिट शुरू किया था. ऐसे मामलों में सचिव की भूमिका अक्सर संदिग्ध पाई गई क्योंकि वे रिकॉर्ड रखने और सत्यापन के लिए जिम्मेदार होते हैं.

पंचायत के अभिषेक त्रिपाठी कैसे सचिव हैं?

‘पंचायत’ सीरीज में अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) नैतिक और जिम्मेदार सचिव की भूमिका निभा रहे हैं. वह कई बार प्रधान और अन्य प्रभावशाली लोगों के दबाव में आते-आते बचे. अभी तक उन्होंने अपनी ईमानदारी को बचाए रखा है. अगर अभिषेक गांव प्रधान का ‘चमचा’ बन जाते हैं तो उन्हें सस्पेंड करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा. अगर कोई पंचायत सचिव अनुचित कार्यों में शामिल पाया जाता है तो पंचायती राज अधिनियम के तहत जिला प्रशासन द्वारा जांच और निलंबन की कार्रवाई हो सकती है.

पंचायत सचिव को क्या करना चाहिए?

गांव में भ्रष्टाचार रोकने में पंचायत सचिव अहम भूमिका अदा करते हैं. कुछ ऐसे काम हैं, जो हर पंचायत सचिव को अनिवार्य रूप से करने चाहिए-

निगरानी और जवाबदेही: पंचायतों में डिजिटल रिकॉर्ड-कीपिंग और ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम को मजबूत करना चाहिए. प्रशिक्षण और जागरूकता: सचिवों को नियमित ट्रेनिंग देकर उन्हें उनकी भूमिका और नैतिक जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करना जरूरी है. शिकायत निवारण तंत्र: ग्रामीणों के लिए एक मजबूत शिकायत तंत्र होना चाहिए ताकि वे सचिव या प्रधान की अनियमितताओं की शिकायत आसानी से कर सकें. कानूनी कार्रवाई: अनुचित कार्यों में शामिल सचिवों के खिलाफ तुरंत जांच और निलंबन की प्रक्रिया को लागू करना चाहिए.

Deepali Porwal

Having an experience of 9 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle, entertainment and career. Currently, she is covering wide topics related to Education & Career but she also h...और पढ़ें

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