पाकिस्तानी PM ने की चापलूसी की सारी हदें पार, ट्रंप का नोबल प्राइज का सपना हो गया चकनाचूर!

2 hours ago

DNA Analysis: आज डीएनए में हम आपको अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सबसे बड़े सपने के टूटने का विश्लेषण करेंगे. डोनाल्ड ट्रंप को पिछले कुछ समय से दिन-रात, सोते-जागते सिर्फ एक ही ख्याल आ रहा है. ​किसी तरह उनको शांति का नोबल पुरस्कार मिल जाए.  इसके लिए वो हर मुमकिन कोशिश भी कर रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में डॉनल्ड ट्रंप कई बार खुद को नोबल शांति पुरस्कार देने की मांग भी कर चुके हैं. और अपनी आखिरी कोशिश के तौर पर ट्रंप ने पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को व्हाइट हाउस बुलाकर यूएन मे अपने लिए लॉबिंग करने के लिए तैयार किया. और आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भी अपने देश की बेइज्जती करवाते हुए दुनिया के सबसे बड़े मंच से बहुत ही बेशर्मी के साथ अपने देश के लिए कुछ नहीं, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग कर डाली.
 
लेकिन इसके बावजूद डोनाल्ड ट्रंप के नोबल पुरस्कार का सपना टूटना तय हो गया है. ये खबर सुनकर अमेरिका के राष्ट्रपति बदहवास हो सकते हैं. गुस्से से लाल पीले हो सकते हैं. उनको बड़ा झटका लग सकता है. लेकिन खुद नोबल शांति पुरस्कार देने वाली कमेटी में शामिल सदस्यों ने ट्रंप को नोबल मिलने की संभावनाओं को लगभग खारिज कर दिया है. आज आपको जानना चाहिए, पिछले कुछ महीनों के अंदर 7 युद्धों को खत्म कराने का दावा करने वाले डोनाल्ड ट्रंप से ऐसी कौन सी गलतियां हो गईं. जिनसे नोबल देने वाली कमेटी उनका पत्ता काटने वाली है. भारत ने डोनाल्ड ट्रंप को नोबल से दूर करने वाली सबसे बड़ी गलती को लेकर क्या बड़ा संदेश दिया है. और ट्रंप को नोबल पुरस्कार ना मिलने के पीछे शहबाज शरीफ की चापलूसी किस तरह जिम्मेदार है? हम आपको शहबाज शरीफ की चापलूसी का सबसे नया सबूत आगे बताएंगे लेकिन पहले जानिए नोबेल कमेटी से जुड़े लोगों और इस क्षेत्र में महारथ रखने वाले विशेषज्ञों ने डोनाल्ड ट्रंप को नोबल पुरस्कार नहीं मिलने की क्या वजह बताई है?

#DNAWithRahulSinha | पाकिस्तान PM शहबाज शरीफ ने की चापलूसी की सारी हदें पार, UN के मंच से ट्रंप के लिए की नोबेल की मांग#DNA #DonaldTrump #UnitedStates #ShehbazSharif #NobelPrize @RahulSinhaTV pic.twitter.com/RUZ4APBTkS

— Zee News (@ZeeNews) September 26, 2025

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इन विशेषज्ञों की मानें तो डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया में शांति कम और अराजकता ज्यादा फैलाई है. जिससे सारी दुनिया परेशान हो गई है. यानी वो ये कहना चाहते हैं कि ट्रंप के DNA में ही अराजकता है. हम एक एक करके आपको डोनाल्ड ट्रंप का सबसे बड़ा सपना तोड़ने वाली वजहों के बारे में बताते हैं. इतिहासकार और नोबेल पुरस्कार के विशेषज्ञ Asle Sveen ने दावा किया है 10 अक्टूबर को ट्रंप को नोबल पुरस्कार मिलने की कोई संभावना नहीं है. क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां अंतरराष्ट्रीय शांति और भाईचारे को बढ़ावा नहीं दे रही हैं.

-Asle Sveen के मुताबिक ट्रंप ने इजरायल को गाजा संघर्ष में समर्थन दिया. जिस वजह से अब तक वहां पर शांति नहीं आ पाई है.
-गाजा संघर्ष में अब तक 65 हज़ार 400 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 1 लाख 67 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. और इसका कसूरवार ट्रंप को भी माना जा रहा है . फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने तो ट्रंप से सीधे सीधे कह दिया अगर नोबेल चाहिए तो गाजा युद्ध रुकवाओ लेकिन ट्रंप इसमें सफल नहीं हो पाए.
-Asle Sveen के मुताबिक ट्रंप ने पुतिन के साथ संबंधों में सुधार के जो प्रयास किए जो कि नोबेल शांति पुरस्कार के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं. जो उनको नोबेल पुरस्कार का दावेदार नहीं बनाते. इसके अलावा पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो की निदेशक Nina Graeger ने भी ट्रंप को नोबल पुरस्कार नहीं मिलने का दावा किया. उन्होंने इसकी तीन बड़ी वजहें बताई हैं.

-ट्रंप ने कोविड जैसी महामारी से लड़ाई के दौरान खुद को वैश्विक स्वास्थ्य संकटों से निपटने वाली संस्था WHO से अलग कर लिया था. ये फैसला अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य सहयोग के खिलाफ था.
-ट्रंप ने अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से भी बाहर कर दिया था. ट्रंप का इस समझौते से बाहर जाना इस बात का संकेत था कि अमेरिका वैश्विक जलवायु संकट के समाधान में भागीदारी नहीं करना चाहता। यह सामूहिक जिम्मेदारी और विश्व शांति के सिद्धांत के खिलाफ था.
-इसके अलावा दुनिया में ट्रंप ने टैरिफ वॉर शुरू करके रही सही कसर भी पूरी कर दी. क्योंकि इससे अमेरिका के भारत और यूरोपीय देशों से रिश्ते खराब हुए और दुनिया में अराजकता फैली. वैसे ऐसा सिर्फ नोबल मामलों के विशेषज्ञ नहीं कह रहे. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी टैरिफ वॉर को लेकर जो बयान दिया है, उसमें भी यही संदेश छिपा है. आपको ये बयान जानना चाहिए.

विदेश मंत्री एस जयशंकर क्या कहना चाह रहे हैं?

विदेश मंत्री एस जयशंकर यही कहना चाह रहे हैं. रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर प्रतिबंध लगाने से शांति नहीं अराजकता बढ़ेगी. सच्चाई भी यही है. भारत पर टैरिफ लगाने से रूस-यूक्रेन वॉर नहीं रूकी लेकिन भारत-अमेरिका संबंध जरूर बिगड़ गए. इसीलिए टैरिफ भी नोबेल पुरस्कार के लिए ट्रंप का नंबर कटवा रहे हैं. लेकिन ट्रंप की गलतियों की लिस्ट यहीं पर खत्म नहीं होगी.

नोबेल कमेटी:  Asle Toje

नोबेल कमेटी के उप नेता Asle Toje ने भी ट्रंप को नोबेल मिलने की संभावना को खारिज कर दिया है. ट्रंप जिस तरह दुनिया में खुद को नोबेल पुरस्कार दिलाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. नोबेल कमेटी के उप नेता ने इसी लॉबिंग को ट्रंप को नोबेल ना मिलने की सबसे बड़ी वजह बताया है? ट्रंप लगातार हर मंच पर दावा कर रहे हैं कि उन्होंने 7 युद्ध रुकवा दिए हैं. कई देशों के नेताओं से वो खुद को नोबेल दिए जाने की सिफारिश भी करवा चुके हैं. इसमें इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू के अलावा पाकिस्तान, अजरबैजान और कंबोडिया जैसे जरूरतमंद देशों से ट्रंप ने खुद को नोबेल पुरस्कार देने की सिफारिश करवाई. इसके अलावा ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से भी खुद को नोबेल पुरस्कार देने की मांग की थी. आज आपको ट्रंप के उस बयान को भी जानना चाहिए.

यानि दुनिया के सबसे बड़े मंच पर भी ट्रंप खुद के लिए नोबेल मांग रहे हैं. दुनिया भर में इसके लिए ट्रंप का मजाक भी उड़ाया गया और नोबेल कमेटी भी इससे हैरान है. नोबेल कमेटी के उप नेता Asle Toje के मुताबिक, 

-ट्रंप नोबेल के लिए जिस तरह की लॉबिंग कर रहे हैं वो आमतौर पर नकारात्मक प्रभाव डालती है.
-क्योंकि नोबेल कमेटी स्वतंत्र रूप से काम करना पसंद करती है.
-और जो उम्मीदवार बहुत लॉबिंग करते हैं, उनके चयन की संभावना कम होती है.

चापलूसों में पाक पीएम शहबाज शरीफ सबसे आगे

ठीक यही बात नोबेल शांति पुरस्कार कमेटी के नेता Joergen Watne Frydnes ने भी कही है. उन्होंने कहा कि सभी राजनेता नोबेल शांति पुरस्कार जीतना चाहते हैं, लेकिन कमेटी अपने काम में बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं होती. यही वजह है ट्रंप को इस बार नोबेल पुरस्कार मिलने की कोई संभावना नहीं है. और इसकी वजह वो नेता भी है जो ट्रंप को खुश करने के लिए शांति के नोबेल के लिए बार बार उनके नाम को आगे कर रहे हैं. ऐसे चापलूस नेताओं ने फायदे से ज्यादा ट्रंप का नुकसान करवा दिया. और इस काम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का नाम सबसे आगे चल रहा है.

नोबेल पाने की आखिरी कोशिश के तौर पर कल डॉनल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की बहुत पुरानी मन्नत पूरी कर दी. ट्रंप ने शहबाज शरीफ को व्हाइट हाउस में घुसने का मौका दे दिया. लगभग 6 साल बाद पाकिस्तान के किसी प्रधानमंत्री को व्हाइट हाउस में एंट्री मिल पाई है. इससे पहले 2019 में इमरान खान व्हाइट हाउस गए थे. इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपतियों ने पाकिस्तान के नेताओं से फोन पर बात करना भी बंद कर दिया था. हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप ने शहबाज को नोबेल के खातिर शहबाज को व्हाइट हाउस में बुला तो लिया, लेकिन उनकी ठीक ठाक बेइज्जती भी कर दी. लेकिन शहबाज शरीफ को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वो इसके आदी हैं. यही वजह है अमेरिका में शहबाज ट्रंप की खुशामद में लगे रहे. जिस वक्त नोबेल कमेटी के लोग बहुत ज्यादा लॉबिंग की वजह से ट्रंप का पत्ता कटने का बयान दे रहे थे. उसी वक्त शहबाज शरीफ ने दुनिया के सबसे बड़े मंच से चापलूसी की सारी हदों को पार करते हुए डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार मांग लिया और साबित कर दिया कि पाकिस्तान के नेता सिर्फ खैरात मांगने में नहीं, चापलूसी करने में भी दुनिया में नंबर वन हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के लिए अपने देश की समस्याएं बड़ी नहीं है. वो सिर्फ बड़े देशों की चापलूसी करना ही जानते हैं. आज आपको शहबाज शरीफ का ये बयान भी जानना चाहिए.

शहबाज के बयान से ट्रंप हुए गदगद?

-शहबाज शरीफ ने ट्रंप को Man Of Peace यानि शांति पुरुष करार दिया है.आपको शहबाज शरीफ के बयान को जानकर हंसी आ रही होगी. आप भी सोच रहे होंगे कि पाकिस्तान का प्रधानमंत्री आखिर इतना बेबस-लाचार और मानसिक तौर पर अपाहिज कैसे हो सकता है. जो अपनी आवाम की बात करने की जगह यूएन के मंच का इस्तेमाल ट्रंप के लिए कर रहा है. उसके लिए नोबेल पुरस्कार मांग रहा है.

- शहबाज ने कहा अमेरिकी राष्ट्रपति के निर्भीक, साहसी और निर्णायक कदमों ने पाकिस्तान और भारत के बीच युद्धविराम को सुगम बनाने में मदद की है. शब्द का चयन देखिए. चुन-चुनकर ऐसे शब्द शहबाज ने बोले जिससे ट्रंप गदगद हो गए होंगे.
- शहबाज ने कहा कि ट्रंप की वजह से दक्षिण एशिया में एक बड़ी तबाही टल गई.
- इतना ही नहीं शहबाज ने गाजा में संघर्ष को समाप्त करने और मिडिल ईस्ट में शांति बहाल करने के लिए मुस्लिम देशों के नेताओं को आमंत्रित करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप की तारीफ की. कुल मिलाकर ट्रंप को किसी भी तरह से खुश करने की कोशिश की.

पाकिस्तानियों की असलियत दुनिया के सामने आई

इस भाषण के दौरान भी पाकिस्तानियों ने यूएन सभागार में अपनी हरकतों से अपने मुल्क को बेइज्जत करवाया. जिस वक्त शहबाज ने ट्रंप के लिए नोबेल की मांग की उस वक्त पाकिस्तानी इतने उत्साहित हो गए कि यूएन सभागार में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने लगे. सोचिए शहबाज की चापलूसी देखकर पाकिस्तानियों का सीना गर्व से भर गया. इसके बाद यूएन में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि ने पाकिस्तान के सूचना मंत्री से नारेबाजी बंद करवाने के लिए कहा. फिर पाकिस्तान के सूचना मंत्री चुप होने का इशारा करने लगे. हालांकि तब तक पाकिस्तानियों की असलियत दुनिया के सामने आ चुकी थी.

कुल मिलाकर ट्रंप ने व्हाइट हाउस बुलाकर शहबाज शरीफ से अपना एजेंडा पूरा करवा लिया. अब वो फिर से दुनिया को बताएंगे. पाकिस्तान मेरे लिए नोबेल मांग रहा है. लेकिन इसके बावजूद ट्रंप ने शहबाज और मुनीर को व्हाइट हाउस में ठीक ठाक बेइज्जत भी कर दिया. ट्रंप ने ये कैसे किया अब आप ये भी समझिए. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शहबाज शरीफ और पाकिस्तान की आतंकी सेना के चीफ आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में बुलाकर काफी देर तक इंतजार करवाया और खुद ये बात सारी दुनिया को बता दी. जानिए कैसे ट्रंप व्हाइट हाउस में शहबाज और मुनीर का मजाक उड़ा रहे हैं.

कहीं ट्रंप नाराज ना हो जाएं

ट्रंप की बात सुनकर उप राष्ट्रपति जे डी वेंस और सभी पत्रकार जोर जोर से हंसने लगे . क्योंकि पहले तो ट्रंप ने दुनिया भर से खैरात मांगने में एक्सपर्ट शहबाज शरीफ को महान नेता बताया. इसके बाद दुनिया को ये भी बता दिया ये महान नेता उनके लिए इतने महत्वपूर्ण हैं कि बगल वाले कमरे में बैठकर आधे घंटे से इंतजार कर रहे हैं. और डोनाल्ड ट्रंप को इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ रहा. यानि ट्रंप उनको रिसीव करने के लिए भी दरवाजे तक नहीं गए. जबकि 2019 में इमरान खान को ट्रंप ने दरवाजे पर जाकर रिसीव किया था. इसके अलावा शहबाज शरीफ और पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर के साथ ट्रंप ने बंद कमरे में बात की और व्हाइट हाउस ने इसका वीडियो और पिक्चर भी जारी नहीं की. इसकी वजह ये भी हो सकती है. अगर पत्रकार होते तो ट्रंप सबके सामने शहबाज को अपनी स्क्रिप्ट कैसे सिखा पाते. और इसके अलावा तो इस बैठक में और कोई चर्चा हुई नहीं होगी.  पाकिस्तान की ओर से अपनी इज्जत बचाने के लिए वीडियो और कुछ पिक्चर जारी की गईं. जिसमें शहबाज शरीफ झेंपते नजर आ रहे थे.  वीडियो के एक हिस्से में शहबाज शरीफ ने खुद को ट्रंप से दोस्ताना दिखाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री की तरह डरते डरते उनके कंधे पर हाथ भी मारा लेकिन फौरन हटा भी लिया. कहीं ट्रंप नाराज ना हो जाएं.

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