नई दिल्ली. नए साल में बाबा विश्वनाथ मंदिर पहुंचना आसान होने वाला है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं को 2025 में खास तोहफा मिलने जा रहा है, जिससे यहां आने जाने श्रद्धालुओं को आसपास लगने वाले जाम में नहीं फंसना होगा. इससे समय की बचत होगी. यानी कम समय में दर्शन कर लौटा जा सकेगा. कैंट स्टेशन से मंदिर के करीब तक निर्माणाधीन रोपवे के पहले चरण का काम पूरा होने जा रहा है.
रोपवे निर्माण करने वाली एनएचएआई की कंपनी एनएचएलएमएल के सीईओ प्रकाश गौड़ ने बताया कि कि इस दो किमी. लंबे रूट रोपवे का निर्माण किया जा चुका है. केबल लगाने का काम पूरा करके केबल कार लगाई जा रही हैं. जल्द ही सभी केबल कार लगा दी जाएंगी और रोपवे शुरू हो जाएगा. इस तरह नए साल में काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को राहत मिलने जा रही है. इसमें तीन स्टेशन पड़ेंगे. पहला कैंट जहां से रोपवे शुरू हो रहा है. दूसरा विद्यापीठ और तीसरा रथयात्रा स्टेशन होगा. इस स्टेशन के पास भारत माता का मंदिर पड़ता है, इस मंदिर के दर्शन करने वाले लोगों को भी राहत होगी.
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10 सीटों वाली केबल कार
स्विट्जरलैंड को रोपवे पर एक्सपर्टीस हैं. इसलिए केबल कार वहां से मंगाई जा रही हैं. इस रोपवे में 10 सीटों वाली केबल कार चलेगी. शुरुआत में कुल 18 केबल कार रोपवे में चलेंगी. हालांकि रोपवे का डिजाइन ऐसा किया जाएगा कि केबल कार की संख्या जरूरत के अनुसार बढ़ाई जा सके.
पूरे रूट पर पांच स्टेशन होंगे
पूरे रोपवे की लंबाई 3.75 किमी होगी. इसमें पांच स्टेशन बनाए जाएंगे, लेकिन चढ़ने उतरने के लिए चार स्टेशन ही होंगे. पांचवां स्टेशन तकनीकी कारणों से बनाया जाएगा. इन चार स्टेशनों में पहला कैंट रेलवे स्टेशन होगा, दूसरा विद्यापीठ, तीसरा रथयात्रा और चौथा अंतिम स्टेशन गोदौलिया होगा. पहले फेज में चार स्टेशन शुरू हो जाएंगे.
इस संगम में रोपवे का काम होगा शुरू
नए साल में प्रयागराज संगम में रोपवे निर्माण का काम शुरू हो जाएगा. कंपनी को काम अवार्ड कर दिया है और 2026 तक काम पूरा करना है. रोपवे शंकर विमान मंडपम से त्रिवेणी पुष्प, संगम तक चलेगा. केवल दो स्टेशन शंकर विमान मंडपम और त्रिवेणी पुष्प ही होंगे. यानी 2.2 किमी. लंबे रोपवे में बीच में कोई स्टेशन नहीं होगा. बीच में तीन टावर होंगे. अभी तक इस दूरी को तय करने में करीब 30 मिनट का समय लगता है लेकिन रोपवे से केवल 7 मिनट में पहुंचा जा सकेगा. आंकड़ों के अनुसार 5 करोड़ श्रद्धालु हर वर्ष संगम आते हैं. तमाम श्रद्धालुओं को राहत मिलेगा.
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FIRST PUBLISHED :
January 6, 2025, 09:30 IST