Last Updated:June 30, 2025, 19:15 IST
Bihar Chunav: बिहार चुनाव 2025 से पहले क्या भूमिहार नेता एकजुट हो रहे हैं? मुजफ्फरपुर में सुरेश शर्मा, अजीत कुमार और रंजन कुमार जैसे भूमिहार नेताओं की किस बात को लेकर सीक्रेट मीटिंग हुई? क्या इस बार भूमिहार बहु...और पढ़ें

क्या बिहार में भूमिहार नेताओं की सीक्रेट मीटिंग शुरू हो गई है?
हाइलाइट्स
बिहार चुनाव से पहले भूमिहार नेता एकजुट हो रहे हैं.मुजफ्फरपुर में भूमिहार नेताओं की सीक्रेट मीटिंग हुई?भूमिहार बहुल सीटों पर ज्यादा टिकट की मांग हो रही है.पटना. बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां जहां अलग-अलग जातियों की रैली कर रही हैं, वहीं कुछ राजनीतिक पार्टियों में एक ही जाति के नेताओं की भी बैठकें शुरू हो गई हैं. खास जाति से जुड़े इन नेताओं की बैठकें इस बात को लेकर हो रही हैं कि अगर इस बार के चुनाव में आपस में ही लड़ेंगे तो दूसरी जातियां और पार्टियां फिर से बाजी मार लेंगी. बिहार की सियासत में जाति का समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण स्थान रहा है. खासकर भूमिहार समुदाय, जो राज्य की आबादी का लगभग 3-4% है, अपनी राजनीतिक ताकत के लिए जाना जाता है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों ने भूमिहार उम्मीदवारों को टिकट देकर इस समुदाय को साधने की कोशिश की. लेकिन देखा गया कि भूमिहार बहुल कई सीटों पर राजपूत उम्मीदवार जीत गए और भूमिहार उम्मीदवार हार गए.
बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए खासकर एनडीए के भूमिहार नेताओं की बैठकों और उनकी रणनीति का दौर शुरू हो गया है. मुजफ्फरपुर से आई एक तस्वीर ने राज्य के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, जिसमें जिले के तीन भूमिहार नेता सुरेश शर्मा, अजीत कुमार और रंजन कुमार गुप्त बैठक कर रहे हैं. बिहार चुनाव 2025 को लेकर इन बैठकों के कई मायने तलाशे जा रहे हैं. खासकर बिहार की भूमिहार बहुल सीटों पर उनके दावे की पड़ताल भी शुरू हो गई है.
चुनाव से पहले भूमिहार हो रहे हैं एकजुट? 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों के लिए विभिन्न पार्टियों ने सामाजिक समीकरणों को साधते हुए टिकट वितरण किया. भारतीय जनता पार्टी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा और सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए 15 भूमिहार उम्मीदवारों को टिकट दिया. बीजेपी ने राजपूत (21) और यादव (11) उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी. बीजेपी ने 2020 के चुनाव में 27 सीटों की पहली चरण की सूची में कुल 6 भूमिहार उम्मीदवारों को टिकट दिया था. कांग्रेस ने उसी सूची में 6 भूमिहार प्रत्याशियों को टिकट दिया. आरजेडी ने केवल एक भूमिहार अनंत सिंह की पत्नी को मोकामा से टिकट दिया. जेडीयू के पास 2020 के विधानसभा चुनाव में 5 भूमिहार विधायक थे. वहीं, हम ने टिकारी से भूमिहार नेता अनिल कुमार को टिकट दिया.
इस बार आरजेडी कितने भूमिहारों को टिकट देगी?
राजनीतिक जानकारों की मानें तो भूमिहार अब एनडीए में निर्णायक समुदाय बन चुके हैं. 2023 की जनगणना की चर्चा और जातीय समीकरणों की बदलती तस्वीर से यह स्पष्ट है कि सभी पार्टियां उन्हें साधने में लगी हैं. यही कारण है कि भूमिहार नेतृत्व अब मिलकर आने वाली रणनीति तय करना चाहता है. ऐसे में आगामी चुनाव में भूमिहार नेता अब सामूहिक रूप से टिकट मांगने, क्षेत्रीय समझौतों और उम्मीदवार चयन पर असर डालने हेतु भूमिहार नेताओं की बैठकों की शुरुआत हुई है.
भूमिहार बहुल सीटों पर इस बार किस जाति का होगा जलवा?
मुजफ्फरपुर, मोकामा, सारण, पटना पश्चिम, मुंगेर, जमुई, शेखपुरा, पश्चिम चंपारण, भागलपुर, खगड़िया, बेगुसराय, बछवाड़ा, तेघड़ा, संदेश, आरा, जहानाबाद, छपरा, तरैया, हरनौत, इस्लामपुर, जमालपुर, दरभंगा ग्रामीण, बेनीपट्टी और हायाघाट जैसी सीटें भूमिहार बहुल सीट हैं,जहां इनकी आबादी 20 प्रतिशत के करीब है. ऐसे में अब भूमिहार नेता आपस में एकजुट होकर एनडीए और महागठबंधन में ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं.
2020 में बीजेपी और जेडीयू ने भूमिहारों को महत्वपूर्ण टिकट दिए, लेकिन आरजेडी और कांग्रेस ने भी इस समुदाय को साधने की कोशिश की. हालांकि कई ऐसी सीटें जो भूमिहारों को मिलना चाहिए था, वो सीटें राजपूत या अन्य जाति को मिलने के बाद चौधरी, शर्मा और राय जैसे कैंडिडेट टिकट पाने से वंचित रह गए. ऐसे में 2025 के चुनाव से पहले भूमिहार नेताओं की बैठकें उनकी सियासी ताकत को पुनर्जन्म करने की रणनीति हैं. मुजफ्फरपुर, जहानाबाद, बेगूसराय, नवादा, पू्र्वी चंपारण, दरभंगा और मुंगेर जैसे क्षेत्रों में उनकी जीत की संभावना मजबूत है.इसलिए भूमिहार नेता इस बार स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप चुनाव न लड़कर बीजेपी-जेडीयू या फिर कांग्रेस और आरजेडी के साथ गठबंधन में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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