बिहार में SIR पर मुंह की खाई, अब बंगाल में भी वही गलती दोहराने जा रहा विपक्ष?

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Last Updated:October 31, 2025, 18:41 IST

West Bengal Politics: TMC ने पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया को लेकर कोर्ट जाने की बात कही है. अभिषेक बनर्जी ने चेताते हुए कहा, अगर वोटरों के नाम हटे मिले तो दिल्ली में आंदोलन होगा. वहीं EC पर सुप्रीम कोर्ट ने भरोसा जताया. लेकिन सवाल उठने लगा है कि विपक्ष बंगाल में बिहार वाली गलती दोरहाने जा रहा है.

बिहार में SIR पर मुंह की खाई, अब बंगाल में भी वही गलती दोहराने जा रहा विपक्ष?पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया पर TMC का हमला. (फाइल फोटो)

West Bengal SIR Politics: बिहार में मतदाता सूची की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली थी. अब वही गलती दोहराने की तैयारी पश्चिम बंगाल में भी दिख रही है. तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने SIR प्रक्रिया को लेकर कोर्ट जाने का संकेत दिया है, जबकि चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट पहले ही “पूरी तरह भरोसेमंद” बता चुका है. ऐसे में राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि यह विवाद विपक्ष को फिर से असहज स्थिति में ला सकता है.

बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी SIR प्रक्रिया को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी TMC ने आरोप लगाया है कि मतदाता सूची से असली वोटरों के नाम हटाए जा रहे हैं. पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि अगर सही वोटरों के नाम लिस्ट से गायब पाए गए, तो दिल्ली में बड़ा आंदोलन होगा और जरूरत पड़ी तो अदालत भी जाया जाएगा.

TMC का दावा – वोटर लिस्ट से नाम गायब कर रही EC
TMC का आरोप है कि SIR प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही हजारों वोटरों के नाम डिलीट कर दिए गए. अभिषेक बनर्जी ने बूथ-स्तरीय एजेंटों के साथ बैठक में कहा कि पार्टी 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक अंचलवार हेल्प डेस्क लगाएगी ताकि लोग अपने नाम जांच सकें. उनका कहना है कि यह “मतदाता अधिकारों की रक्षा” का अभियान है. इसका मुकाबला पार्टी कानूनी और जन आंदोलन दोनों स्तर पर करेगी.

कोर्ट में भी शुरू हुई कानूनी बहस
अब कोलकाता हाईकोर्ट में भी इस मुद्दे पर जनहित याचिका दाखिल की गई है. अधिवक्ता सब्यसाची चटर्जी ने कहा कि SIR प्रक्रिया के लिए अधिकारियों द्वारा दिया गया समय अपर्याप्त है और इसे बढ़ाने की जरूरत है. याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि मतदाता सूची से मृत और फर्जी नाम हटाने के लिए नगरपालिका और पंचायत रिकॉर्ड का उपयोग हो तथा पूरी प्रक्रिया की निगरानी अदालत खुद करे.

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में EC पर जताया था भरोसा
इससे पहले बिहार में इसी तरह की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसे चुनाव आयोग पर पूरा भरोसा है. कोर्ट ने कहा था, “हमें कोई शक नहीं कि आयोग अपनी जिम्मेदारी निभाएगा, वे बाध्य हैं कि सब कुछ पारदर्शी तरीके से प्रकाशित करें.” अदालत ने मामले को बंद नहीं किया लेकिन हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था. इस फैसले के बाद बिहार में विपक्ष को कड़ा झटका लगा था.

बंगाल में दोहराई जा रही है बिहार जैसी रणनीति
अब राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिम बंगाल की TMC भी वही रास्ता अपनाने जा रही है जो बिहार में विपक्ष को नुकसान दे गया. दरअसल चुनाव आयोग का SIR एक संवैधानिक प्रक्रिया है और अदालतें इस पर सीधे रोक लगाने से परहेज करती हैं. ऐसे में विपक्ष की यह रणनीति न केवल कानूनी मोर्चे पर कमजोर मानी जा रही है, बल्कि इससे EC को और मजबूती भी मिल सकती है.

राजनीतिक रूप से बड़ा दांव, जनता की नजर कोर्ट पर
TMC का दावा है कि वह पारदर्शिता की लड़ाई लड़ रही है, जबकि विपक्ष के आलोचक इसे “राजनीतिक स्टंट” बता रहे हैं. हालांकि सभी की निगाहें अब 4 नवंबर पर हैं, जब सुप्रीम कोर्ट में बिहार SIR केस की अगली सुनवाई है जिसके फैसले का असर बंगाल की रणनीति पर भी पड़ेगा.

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

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First Published :

October 31, 2025, 17:42 IST

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