बिहार में दो दिग्गजों की लड़ाई में किसके हाथ लगेगी मलाई, पढ़ें Inside स्टोरी

15 hours ago

Last Updated:March 25, 2025, 18:51 IST

Bihar Politics: बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं, जिससे 2025 के चुनाव में अलग-अलग लड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. क्या इस बार बिहार चुनाव में 'बिल्ली के भाग्य से छींका ...और पढ़ें

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बिहार में दो दिग्गजों की लड़ाई में कौन मारेगा बाजी?

हाइलाइट्स

कांग्रेस और आरजेडी में मतभेद बढ़े.2025 चुनाव में अलग लड़ने की संभावना.इफ्तार के बाद राजनीतिक तापमान बढ़ा.

पटना. ‘बिल्ली के भाग्य से छींका टूटना’ वाले कहावत अर्थ क्या इस बिहार में चरितार्थ होने जा रहा है? क्या बिहार के आगामी चुनाव में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे? क्या बिहार में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के रास्ते अलग-अलग होने वाले हैं? क्या इफ्तार ने बता दिया है बिहार में कांग्रेस और आरजेडी का भविष्य क्या होने वाला है? दोनों के अलग-अलग चुनाव लड़ने से क्या NDA यानी बिल्ली के हाथ लग जाएगी मलाई? बीते कुछ दिनों से बिहार की राजनीति में कांग्रेस और आरजेडी के रास्ते अलग होने के संकेत मिल रहे हैं. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के इफ्तार पार्टी में कांग्रेस नेताओं की गैरमौजूदगी के अब मायने तलाशे जा रहे हैं. ऐसे में क्या अगर दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ती है तो एनडीए की सत्ता में वापसी की गारंटी 100 प्रतिशत हो जाएगी?

बिहार की राजनीति में कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन कई सालों से चल रहा है. हालांकि, पिछले कुछ दिनों से दोनों पार्टियों के बीच मतभेद साफ दिखाई दे रहे हैं. विधानसभा चुनाव 2020 के बाद से ही दोनों के रिश्ते में खटास की खबरें आने लगी थी. हालांकि, दो-तीन दिन पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने वाले अखिलेश सिंह के साथ लालू यादव के साथ रिश्ते ने इसे बचाए रखा. लेकिन, अब ऐसा लग रहा है कि नए प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार को पार्टी आलाकमान ने कुछ अलग सोचकर पार्टी की कमान दी है.

बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के रास्ते जुदा?
हाल ही में कांग्रेस और आरजेडी नेताओं के बयान एक-दूसरे के खिलाफ आए हैं, जिससे यह इशारा मिलता है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनावी रणनीति अपना सकती हैं. कांग्रेस का यह आरोप है कि आरजेडी ने पार्टी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है, जबकि आरजेडी का कहना है कि कांग्रेस अपने अंदरूनी मुद्दों से जूझ रही है और बिहार की जरूरतों को समझने में विफल है.

क्या इफ्तार ने सबकुछ दिया बता?
हालांकि, दोनों पार्टियों में जो गर्मी बढ़ी है, वह इफ्तार के बाद के घटनाक्रमों से जुड़ी है. इफ्तार पार्टी में राजनीतिक नेताओं की मुलाकातें और उनके बयान अक्सर चर्चा का विषय बनते हैं. इफ्तार पार्टी का आयोजन एक समय पर केवल सामाजिक या धार्मिक आयोजन हुआ करता था, लेकिन अब यह बिहार की राजनीति में एक मंच बन गया है, जहां नेता अपने संदेश छुपा कर भी जनता तक पहुंचाते हैं. इस बार इफ्तार के बाद कांग्रेस और आरजेडी के नेताओं के बीच जो बयानबाजी हुई, वह बिहार की राजनीति में एक नए समीकरण की ओर इशारा कर रही है.

क्या बिहार में बनेगा तीसरा मोर्चा?
कुछ नेताओं ने यह संकेत दिया कि यदि कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन नहीं होता तो आगामी चुनाव में दोनों पार्टियां अकेले ही मैदान में उतर सकती हैं. कांग्रेस और आरजेडी के बीच बढ़ते मतभेद और इफ्तार के बाद का राजनीतिक तापमान यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या बिहार में एक नया राजनीतिक गठबंधन या तीसरा मोर्चा बन सकता है? बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और उनके साथी दलों ने पहले ही यह संकेत दिया है कि वे 2025 में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए तैयार हैं. इसके अलावा, कई अन्य छोटे दल भी एक मजबूत भूमिका निभाने की कोशिश कर रहे हैं.

बिहार चुनाव 2025 के लिए राजनीतिक समीकरण अब और भी जटिल होते जा रहे हैं. कांग्रेस और आरजेडी के बीच का गठबंधन, जो पहले काफी मजबूत था, अब टूटने के कगार पर दिखाई दे रहा है. इफ्तार के बाद की राजनीति ने इस बात की ओर इशारा किया है कि आने वाले दिनों में बिहार में एक नया राजनीतिक मोर्चा बन सकता है. अगले कुछ महीने बिहार की राजनीति के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं, जहां पर राजनैतिक गठबंधन की धारा बदल सकती है और बिहार की जनता के लिए नई उम्मीदें और चुनौतियां सामने आ सकती हैं.

Location :

Patna,Patna,Bihar

First Published :

March 25, 2025, 18:51 IST

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