पोरबंदर: सर्दियों में ताजा और हरी सब्जियां बाजार में आती हैं. सर्दियों के मौसम में बैंगन बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते हैं. लोग बैंगन की सब्जी बनाकर खाते हैं और बाजरे की रोटियों के साथ भी इसका आनंद लेते हैं. पोरबंदर के बाजार में बैंगन की बिक्री बढ़ गई है. पोरबंदर पंथक के लोग सबसे पहले देवभूमि द्वारका जिले के जमरावल के बैंगन चुनते हैं. इस इलाके में एक किलो का बैंगन मिलता है, जिसमें बीज कम होते हैं और स्वाद बेहद लाजवाब होता है.
जमरावल और पाटा गांव के बैंगन का स्वाद अलग है
घेड़ पंथक के पाटा गांव के बैंगन हरे रंग के होते हैं और इनका स्वाद भी बेहतरीन होता है. जमरावल और पाटा गांव के बैंगन नीलामी यार्ड में कम देखे जाते हैं क्योंकि इनकी स्थानीय स्तर पर ज्यादा मांग होती है. पोरबंदर के मार्केटिंग यार्ड के सब्जी व्यापारी जिग्नेशभाई के अनुसार, “पालिताना से आने वाले हरे बैंगन और वडोदरा के पास ओड गांव के बैंगन भी स्वादिष्ट होते हैं. ओलो बैंगन नियमित रूप से यार्ड में देखे जाते हैं.”
ओलो बैंगन की सबसे ज्यादा मांग पोरबंदर जिले में
जब जमरावल और पाटा गांव के बैंगन बाजार में आते हैं, तो लोग सबसे पहले इन्हें खरीदते हैं. पालिताना और वडोदरा के बैंगन की कीमत 50 से 60 रुपये प्रति किलो है, जबकि जमरावल के बैंगन की कीमत 80 रुपये तक पहुंच जाती है.
सर्दियों में ओलो बैंगन की मिठास अलग
इस समय सर्दियों के मौसम में भरता के लिए बैंगन की मांग बढ़ी हुई है. खासतौर पर जमरावल और पाटा गांव के बैंगन की मिठास अलग होती है, जिससे इनकी मांग ज्यादा होती है. पोरबंदर के अदवाना गांव के किसान भीखुभाई ओडारा बैंगन का उत्पादन करते हैं. उनके अनुसार, “ओलो बैंगन काली मिट्टी में अच्छे से उगते हैं और उनकी मिठास भी शानदार होती है.”
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ओलो बैंगन और रोटला का स्वाद
सर्दियों में जब ओलो बैंगन आता है, तो लोग इसका स्वाद रोटी के साथ लेते हैं. ओलो बैंगन की सब्जी हरे प्याज, हरी लहसुन और टमाटर डालकर बनाई जाती है. दही से भी ओलो बैंगन तैयार होता है. वहीं, कच्चे ओलो बैंगन को उबालकर बिना पकाए, कच्चे तेल और हरी लहसुन की चटनी के साथ परोसा जाता है, जो अलग स्वाद देता है.
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FIRST PUBLISHED :
December 7, 2024, 14:25 IST