Last Updated:March 26, 2025, 23:08 IST
एस जयशंकर ने बताया कि भारत-चीन संबंधों में पिछले अक्टूबर से सुधार हुआ है. 2020 का गलवान संघर्ष बहुत दर्दनाक था. 1962 के युद्ध के बाद संबंधों में खटास आई थी. 2020 के बाद सुधार के प्रयास जारी हैं.

जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन संबंधों में पिछले अक्टूबर से सुधार के संकेत मिले. (Image:PTI)
हाइलाइट्स
भारत-चीन संबंधों में अक्टूबर से सुधार हुआ है.गलवान संघर्ष को जयशंकर ने दर्दनाक बताया.1962 युद्ध के बाद संबंधों में खटास आई थी.नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि भारत और चीन के संबंधों में पिछले साल अक्टूबर से कुछ सुधार हुआ है. उन्होंने 2020 में गलवान घाटी संघर्ष को संबंधों के लिए बहुत दर्दनाक बताया. एशिया सोसाइटी के अध्यक्ष क्यूंग-वा कांग के साथ बातचीत करते हुए, जयशंकर ने कहा कि भारत 2020 में चीन की कार्रवाइयों के कारण हुए नुकसान को ठीक करने की कोशिश कर रहा है. जयशंकर ने कहा कि अंतर को विवाद नहीं बनना चाहिए और प्रतिस्पर्धा को संघर्ष नहीं बनना चाहिए. हम कई मुद्दों पर प्रतिस्पर्धा करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे बीच संघर्ष होना चाहिए.
भारत और चीन के बीच संबंधों के ऐतिहासिक संदर्भ पर बोलते हुए, जयशंकर ने बताया कि 1962 में चीन के साथ युद्ध के बाद भारत ने बीजिंग में 14 साल तक राजदूत नहीं भेजा और इसके बाद 12 साल तक भारतीय प्रधानमंत्री ने चीन का दौरा नहीं किया. 1988 से 2020 तक, सीमा पर घटनाओं के बावजूद, कोई खून-खराबा नहीं हुआ था. उन्होंने कहा कि 2020 से पहले का आखिरी खून-खराबा 45 साल पहले हुआ था. 2020 में जो हुआ वह वास्तव में संबंधों के लिए बहुत दर्दनाक था. यह सिर्फ खून-खराबा नहीं था, यह लिखित समझौतों की अवहेलना थी.
जयशंकर ने कहा कि पिछले अक्टूबर से भारत और चीन के संबंधों में सुधार के संकेत मिले हैं. विदेश मंत्री जयशंकर ने जोड़ा कि हम इसके विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहे हैं. हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हम 2020 में उनकी कार्रवाइयों के कारण हुए कुछ नुकसान को ठीक कर सकते हैं और संबंधों को फिर से बना सकते हैं. हम ईमानदारी से सोचते हैं कि यह हमारे आपसी हित में है. अगर कोई 2020-2025 को देखे, तो यह एक ऐसा समय था जिसने न तो उन्हें और न ही हमें अच्छी तरह से सेवा दी.
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वैश्विक व्यवस्था में हो रहे बदलावों के बारे में बात करते हुए, जयशंकर ने कहा कि अमेरिका पिछले 80 वर्षों से सबसे शक्तिशाली देश रहा है. जिसने वैश्विक नियमों और प्रथाओं को निर्धारित किया है. अगर उसने अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रति अपने नजरिये को बदलना शुरू किया है, तो यह वैश्विक व्यवस्था की नींव में बदलाव का संकेत देता है. जयशंकर ने कहा कि अभी कुछ गहरा, महत्वपूर्ण और नतीजा देने वाला हो रहा है. कई अन्य घटनाएं और रुझान इसमें योगदान दे रहे हैं.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
March 26, 2025, 23:08 IST