नई दिल्ली. अतुल सुभाष की मां अंजू मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) डालकर अपने पोते की कस्टडी की मांग की है. चूंकि अभी अतुल की पत्नी निकिता, पत्नी का भाई और मां हिरासत में हैं, ऐसे में यह पता नहीं चल रहा है कि चार साल का उनका पोता है कहां.
क्या होता है हेबियस कॉर्पस जिसके तहत बच्चे के लिए गुहार लगाई है, आइए जानें-
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया है. इस याचिका के तहत कोर्ट ने उन्हें बच्चे का ठिकाने पता लगाने का निर्देश दिया है.
हैरानी की बात है कि पिछले दिनों निकिता ने बेंगलुरु पुलिस से पूछताछ में कहा था कि बेटा चाचा सुशील सिंघानिया की कस्टडी में है मगर सुशील ने इस बात से इंकार किया है. दरअसल अतुल के चार साल के बच्चे के बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आ पा रही है. निकिता, उनकी मां निशा और भाई अनुराग की गिरफ्तारी के बाद भी बच्चे का पता नहीं चल पाया है. इन सभी पर अतुल को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज है.
अतुल के पिता ने कहा- क्या उसे मार दिया गया है या वह जीवित है…
लैटिन भाषा के शब्द हेबियस कॉर्पस का अर्थ होता है ‘सशरीर’. इसे हिन्दी में कहते हैं- बंदी प्रत्यक्षीकरण. भारतीय संविधान के तहत नागरिक को हेबियस कॉर्पस का अधिकार मिला है. इसके तहत कोई नागरिक सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में हैबियस कॉर्पस पिटिशन दायर कर सकता है. तब कोर्ट पुलिस को आदेश जारी करता है (जिसने भी किसी अन्य व्यक्ति को हिरासत में लिया हुआ हो) कि न्यायालय के समक्ष उस व्यक्ति को पेश किया जाए. इस मामले में कोर्ट ने कहा है कि अगली सुनवाई जनवरी में की जाएगी.
अतुल के पिता पवार कुमार कहते हैं, हमें नहीं पता कि उसने हमारे पोते को कहां रखा है. क्या उसे मार दिया गया है या वह जीवित है? हमें उसके बारे में कुछ भी पता नहीं है. मैं चाहता हूं कि मेरा पोता हमारे साथ रहे. वकील के मुताबिक उत्तर प्रदेश (जौनपुर जहां अतुल की पत्नी रहती है), बेंगलुरु (जहां अतुल की आत्महत्या हुई) और हरियाणा (जहां गुरुग्राम में निकिता को गिरफ्तार किया गया था) के अधिकारी इस पूरे केस में शामिल हैं और उनमें से किसी को भी यह नहीं पता कि बच्चा कहां है. (एजेंसियों से इनपुट)
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FIRST PUBLISHED :
December 21, 2024, 11:44 IST